सवाल पीएचडी का नहीं, पांच बिंदुओं का है

जासं, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (यूपीआरटीओयू) से मिली पीएचडी की डिग्री मान्य है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइड लाइन के अनुसार ही यह कोर्स संचालित किया जा रहा है। जिन संस्थानों ने पीएचडी डिग्री के अभ्यर्थियों के आवेदन निरस्त किए हैं उन्होंने पांच बिंदुओं को आधार बनाया है न कि पीएचडी की डिग्री को अमान्य माना है।
यह मानना है यूपीआरटीओयू के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह का।
कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने यूजीसी के उस सर्कुलर की चर्चा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने मुक्त विश्वविद्यालयों से संचालित डिग्री, डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स को रेगुलर विश्वविद्यालयों व संस्थानों के डिग्री, डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स की तरह ही मान्य किया है। उन्होंने कहा कि जिनको संशय हो वे यूजीसी से मार्गदर्शन मांग ले। यूजीसी के रेगुलेशन 11 जुलाई 2009 के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर आवेदन करने वाले ऐसे अभ्यर्थी जो नेट, स्लेट से छूट चाहते हैं उन्हें मिनिमम पांच शर्तो को पूरा करना होगा। इनमें पहली शर्त है कि पीएचडी रेगुलर मोड में होनी चाहिए। दो बाहरी परीक्षकों द्वारा पीएचडी की थीसिस जांची गई हो, शोधकर्ता द्वारा कम से कम दो रिसर्च पेपर प्रकाशित किया गया हो। इनमें से एक रेफरीड जनरल में प्रकाशित होनी चाहिए। दो सेमिनारों में दो रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए हों। ओपन पीएचडी वाइवा होना चाहिए। प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह का कहना है कि मुक्त विश्वविद्यालय की पीएचडी रेगुलर मोड में नहीं है। ऐसे में इन पांच बिंदुओं पर कैसे आवेदक को छूट दी जा सकती है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि मुक्त विश्वविद्यालय की पीएचडी अमान्य है। उन्होंने यूजीसी के 2018 में जारी किए गए उस सर्कुलर का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि मुक्त विश्वविद्यालय की डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स अन्य विश्वविद्यालयों की तरह की मान्य हैं।


केंद्र और राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की शिक्षक भर्ती में मान्य नहीं किया जा रहा है। डिग्रीधारकों को नेट की अनिवार्य अर्हता से यह कहते हुए छूट नहीं दी जा रही है कि दूरस्थ माध्यम से दी जाने वाली पीएचडी डिग्री मान्य नहीं है। पीएचडी डिग्रीधारकों ने यूजीसी और यूपी के राज्यपाल से गुहार लगाई है। इनका कहना है कि मुक्त विवि ने पीएचडी की डिग्री यूजीसी के नियमों के मुताबिक दी है। राज्यपाल राम नाईक ने मुक्त विवि की ओर से आयोजित दीक्षांत समारोह में डिग्रियां वितरित की हैं। इसलिए इसे न मान कर यूजीसी और राज्यपाल की भी अवहेलना की जा रही है।