इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसरों की
नियुक्ति के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर कोर्ट ने
विश्वविद्यालय के अधिवक्ता चंदन शर्मा से 21 जून तक जानकारी मांगी है।
याचिका में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में एकेडमिक दक्षता की गणना व
स्क्रीनिंग में अनियमितता तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों की
अनदेखी का आरोप लगाया गया है । यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी व
न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की खंडपीठ ने डा. नूरूद्दीन मोहम्मद तथा चार अन्य
की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता शैलेंद्र ने बहस की। याची के
अनुसार चार और पांच जून 2018 को क्रमश: 236 व 84 अभ्यर्थियों की सूची जारी
की गई। याची का कहना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की 13 जून 2013 की
अधिसूचना और परिशिष्ट तीन टेबल दो-बी, के अनुसार विश्वविद्यालय या कालेज के
अनुभव को वरीयता दिया जाना चाहिए। रेग्युलेशन में भी सहायक प्रोफेसर की
नियुक्ति की न्यूनतम योग्यता निर्धारित है। जिसके आधार पर एपीआइ स्कोर का
निर्धारण किया जाएगा। याचियों का कहना है कि स्क्रीनिंग व शार्टलिस्टिंग
(सूचीबद्ध करना) में अनियमितता कर उनकी अभ्यर्थिता निरस्त कर दी गई।
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