अगर वह अपने पक्ष रखने नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ विभाग की ओर से प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षामित्रों के दूसरे चरण के समायोजन में 19 सहायक अध्यापकों की फर्जी तरीके से भर्ती कर तैनाती कर दी गई। एक मई 2015 को स्कूलों में तैनाती पाने वाले शिक्षक दो साल तक विभाग से वेतन भी लेते रहे। 26 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने पर मामले का खुलासा हुआ। शिक्षामित्रों के मूल स्कूलों में वापसी का आदेश जारी होने पर 19 शिक्षामित्र ऐसे मिले, जिनका कोई विद्यालय ही नहीं था।
जिले में शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद 19 फर्जी शिक्षक मिले, जोकि दो वर्षों से वेतन ले रहे थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इन फर्जी शिक्षकों का प्रपत्र-9 किससे जरिए भरा जा रहा था। गंभीर बात यह है कि इन फर्जी शिक्षकों का ब्योरा बेसिक शिक्षा विभाग के पास न होने के बाद इनका वेतन कैसे खातों में पहुंचा रहा था। ऐसे में लेखा विभाग के लिपिक भी संदेह के घेरे में हैं। बीएसए का कहना है कि लेखा विभाग के लिपिकों की गुप्त रूप से जांच कराई जाएगी और वेतन आहरण के मामले में पूछताछ भी होगी। वहीं ब्लॉक संसाधन केंद्र (बीआरसी) में तैनात लिपिकों से भी पूछताछ होगी।