केंद्र सरकार ने एक सर्वे का हवाला देते हुए दावा किया कि देश के तमाम
कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे 80 हज़ार फ़र्जी टीचर ग़ायब हैं. इन
टीचरों की जानकारी आल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन में सामने आई है.
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने पहली बार देश की तमाम यूनिवर्सिटी और
कॉलेजों में पढ़ाने वाले टीचरों की निजी जानकारी मांगी थी, जिसमें उन
टीचरों से उनका आधार नम्बर भी मांगा गया था और जब इन जानकारियों के आधार पर
जांच की गई तो हजारों टीचर ऐसे मिले जो एक से ज्यादा संस्थानों में पढ़ाते
थे. इतना ही नहीं उन टीचरों ने अपने आधार नम्बर भी गलत बताए थे.
इसके बाद केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
और एआईसीटीई को आरोपी टीचरों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया. कार्रवाई के
बाद केंद्र को एक रिपोर्ट भेजी गई जिनमें 80 हज़ार टीचरों के नाम कम थे.
दलील दी गई कि वे सभी टीचर प्राइवेट थे और उनको सरकार की ओर से सैलरी नहीं
दी जाती थी इसलिए उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं की जा सकती. रिपोर्ट में यह
भी दावा किया गया कि संस्थानों में पढ़ाने वाले कई टीचरों के नाम सिर्फ़
काग़ज़ पर ही थे यानी हक़ीकत में उनका कोई वजूद ही नहीं था.
सर्वे में 80 हज़ार बोगस टीचर अब ग़ायब हो गए हैं. हिन्दुस्तान में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय
को मिले शिक्षकों के नए आंकड़ों में एक भी फ़र्ज़ी टीचर नहीं बचा है, जबकि
साल 2016-17 के लिए अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण में 80 हज़ार घोस्ट
टीचर सामने आए थे. रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे के लिए सभी टीचर के आधार नम्बर
मांगे गए थे. इन जानकारियों की जांच करने पर 80 हजार से अधिक बोगस
शिक्षकों की जानकारी सामने आई थी.
आधार
के जरिए पकड़ में आए 80 हजार फर्जी शिक्षक अब गायब हो गए हैं. मानव संसाधन
विकास मंत्रालय को मिले शिक्षकों के नए आंकड़ों में एक भी फर्जी शिक्षक
(घोस्ट टीचर) नहीं बचा है. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, फर्जी
शिक्षकों के सभी मामले निजी संस्थानों में थे.
एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस साल जनवरी महीने में अखिल भारतीय उच्च
शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करते हुए खुलासा किया था कि शिक्षकों के
आधार नामांकन से पता चला है कि देश में 80 हजार घोस्ट टीचर मौजूद हैं. एक
ही आधार के जरिए एक से अधिक संस्थानों में शिक्षक की मौजूदगी एवं गलत आधार
नंबर देखकर मंत्रालय इन आंकड़ों तक पहुंचा था.
अलग-अलग शिक्षा संस्थानों में पढ़ा रहे थे एक ही शिक्षक
मंत्रालय ने यूजीसी और एआईसीटीई से इस मामले में कार्रवाई करने को
कहा था. दोनों नियामक संस्थानों की ओर से लगातार हुई पूछताछ के बाद सभी
घोस्ट शिक्षकों के मामले समाप्त हो गए. यह पूछे जाने पर कि इन संस्थानों पर
क्या कार्रवाई हुई? अधिकारी ने कहा कि चूंकि ये सभी संस्थान प्राइवेट थे
और इन शिक्षकों को सरकार की ओर से वेतन नहीं दिया गया इसलिए इन पर कोई
कार्रवाई नहीं कर सकता. एक ही शिक्षक अलग-अलग शिक्षा संस्थानों में पढ़ा रहे
थे. कुछ जगह पर उन्होंने अयोग्य शिक्षकों को अपने स्थान पर कम वेतन पर रखा
था. कई मामलों में उच्च शिक्षा संस्थानों ने शिक्षकों की संख्या को कागजों
पर दर्शाया था. वास्तव में इन शिक्षकों का कोई वजूद ही नहीं था.
2016-17 के एश सर्वे से हुआ था खुलासा
अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (एश सर्वे) 2016-17 के लिए
पहली बार देश के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों से शिक्षकों की व्यक्तिगत
जानकारी ली गई थी. इसमें शिक्षकों का आधार नंबर भी मांगा गया था. इन
जानकारियों की जांच करने पर 80 हजार से अधिक बोगस शिक्षकों की जानकारी
सामने आई थी.
Information on UPTET Exam , Results , UPTET Admit Cards , 69000 Shikshak Bharti , Counselling , Niyukti Patra for UP Teachers & other related information
Ads Section
Follow Us
- ख़बरें अब तक
- सरकारी नौकरी
- Big Breaking News :सुप्रीमकोर्ट , शिक्षामित्र केस
- UPTET Merit / Counseling / Appointment
- rss
- MNP
- Online Bill Payment
- Online Booking
- Plan Change
- Registration / Payment Process for Landline
- SMS & Voice Calls
- Unlimited Calls
- Unlimited Internet Plan
- VAS services
- WiFi Hotspots
Breaking Posts
Breaking News
- प्रशिक्षु शिक्षक चयन-2011 (12091 अभ्यर्थियों की सूची) डाउनलोड करें
- समस्त AD बेसिक व BSA के CUG मोबाइल नम्बर : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- शिक्षा मित्र माहवार उपस्थिति प्रपत्र तारीख 1 से 31 तक, देखें और डाउनलोड करें,निचे क्लिक करें
- All District cut-off : 12460 शिक्षक भर्ती हेतु अंतिम कटऑफ और रिक्त पदों का विवरण
- JAN VAACHAN FORMAT: परिषदीय विद्यालयों हेतु जन वाचन का प्रारूप
Top Post Ad
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment