कानपुर देहात-आये दिन शिक्षामित्रों की सुसाइड की
घटनायें सुनने मे आ रही नही हैं। कहीं न कहीं उसका कारण आर्थिक तंगी बताया
जाता है। देखा जाए तो पिछली सपा सरकार में शिक्षामित्रों के एक बड़े समूह का
सहायक अध्यापक के पद समायोजन किया था।
जिसको लेकर शिक्षामित्रों में एक
नया उत्साह देखने को मिला था। वही सत्ता बदलते ही शिक्षामित्रों की दोबारा
शिक्षामित्र के पद पर वापसी होने के साथ शिक्षामित्रों पर एकाएक गाज गिर
पड़ी। इसके बाद कई अनशन व आंदोलन किये गए लेकिन नतीजा सिफर निकला। इधर
शिक्षामित्रों का मानदेय न आने के कारण उन पर दोहरी मार पड़ रही है, जिससे
वे बुरी तरह टूट गए हैं। इन समस्याओं के चलते शिक्षामित्रों के साथ होने
वाली ये घटनाएं आम हो गयी। जिनके पीछे आर्थिक तंगी की बात सामने आई है। ऐसा
ही एक मामला सिकंदरा थाना क्षेत्र के मानपुर गांव में सामने आया, जहां
गांव निवासी शिक्षामित्र ने घर में फांसी लगा ली। सूचना पर पहुंची पुलिस की
पूंछतांछ में परिजनों ने बताया कि आर्थिक तंगी से वह कुछ दिनों से तनाव
में रह रहा था। इसी से परेशान होकर उसके द्वारा आत्महत्या करने की बात
बताई।
मिली जानकारी के अनुसार मानपुर गांव के रंजीत पाल का 35 वर्षीय पुत्र
अश्वनी पाल प्राथमिक विद्यालय नैनापुर में शिक्षामित्र के पद पर कार्यरत
था। बताया गया कि कई दिनों से वह अकेले समय गुजार रहा था। पूंछने पर आर्थिक
परेशानी की बात बताता था। बीती रात उसने कमरे में छत के कुंडे से फांसी का
फंदा लगा लिया। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बेटे का शव फांसी पर
लटका देख घर में कोहराम मच गया। सूचना पर थानाध्यक्ष सिकंदरा पुलिस टीम के
साथ गांव पहुंचे और शव कब्जे में लेकर घटना की छानबीन की।
पूंछतांछ में उसके पिता ने पुलिस को बताया कि उसकी पत्नी शिवानी देवी
अपने पुत्र उत्कर्ष (7) को लेकर लुधियाना गई है। उनका आरोप है कि कई माह से
मानदेय न मिलने से आर्थिक तंगी के कारण वह कुछ दिनों से तनाव में रह रहा
था। इसी के चलते उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। पूंछतांछ के बाद पुलिस
ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भिजवाया। थानाध्यक्ष सिकंदरा मानिक
चंद्र पटेल ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने व छानबीन के बाद मामले में
अग्रिम कार्यवाही होगी।
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