वहीं, एक शिक्षक के दस्तावेज फर्जी मिले। जिसके बाद एसटीएफ ने इन सभी शिक्षकों गिरफ्तार कर लिया और बलरामपुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा कर सभी को जेल भेज दिया है। बता दें कि इस फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर का बताया जा रहा है।
मामला साल 2009 से जुड़ा है। विशिष्ट बीटीसी भर्ती के दौरान चारों शिक्षकों की भर्ती हुई थी। इन सभी ने तैनाती लेकर अपना काम करना शुरू कर दिया था। प्रमाण पत्रों की जांच के दौरान अनियमितता मिलने पर इनको 1 वर्ष पूर्व बर्खास्त कर वेतन रोक दिया गया था और जांच प्रचलित थी। इनमें 3 शिक्षक दूसरे के नाम पर नौकरी कर रहे थे, जबकि एक शिक्षक के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। गिरफ्तार शिक्षको में विंदेश्वरी प्रसाद तिवारी जो शशिकेश के नाम पर नौकरी कर रहे थे। शम्भू शरण पांडेय निवासी गांधी नगर जिला बस्ती, ये सौरभ पांडेय के नाम पर नौकरी कर रहे थे। मनोज कुमार यादव निवासी दुबौली जनपद महराजगंज जो कि संजय यादव के नाम पर नौकरी कर रहे थे। जबकि जीवन ज्योति शुक्ला का अभिलेख जांच के दौरान फर्जी पाए गए थे।
पूछताछ के दौरान गिरफ्तार शिक्षकों ने एसटीएफ को बताया है कि 'मनोज जायसवाल' नाम का शख्स पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड है जो कि गोरखपुर जिले का रहने वाला है। एसटीएफ ने गिरफ्तार शिक्षकों को स्थानीय पुलिस को सुपुर्द कर कोतवाली नगर में संबंधित धाराओं में केस दर्ज जेल भेज दिया है। पूरे मामले में पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने बताया कि एसटीएफ ने जांच पड़ताल कर 4 फर्जी शिक्षकों को अरेस्ट किया है। इन शिक्षकों में 2 पर एक माह पहले एफआईआर कराई गई थी। शेष पर आज एसटीएफ ने दर्ज कराई है।
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