उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों की चल रही भर्ती जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़े उत्तर पुस्तिका विवाद में हाईकोर्ट के गत 12 जून के आदेश में दखल देने से इन्कार दिया। कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अभ्यर्थियों की विशेष अनुमति याचिका बुधवार को खारिज कर दी।
यह मामला प्रदेश में चल रही 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का है। सुप्रीम कोर्ट ने गत 9 जून को प्रदेश सरकार को शिक्षामित्रों के लिए 37339 पद खाली छोड़ कर बाकी पर भर्ती करने की इजाजत दे दी थी लेकिन इस बीच कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में नयी याचिका दाखिल कर भर्ती परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं पर सवाल उठाते हुए कि कहा था कि कुछ सवालों के उत्तर गलत हैं और भर्ती प्रक्रिया पर रोक मांगी थी, जिस पर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का मामला यूजीसी की विशेषज्ञ समिति को भेजते हुए भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी थी। एकलपीठ के रोक आदेश को प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट की खंडपीठ मे अपील दाखिल कर चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट के रणविजय मामले में दिये गए पूर्व फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एकलपीठ के न्यायाधीश ने विशेषज्ञ की तरह व्यवहार किया है जबकि उस फैसले के अनुसार अगर किसी प्रश्न में भ्रम है तो उसका लाभ एग्जामिनेशन बाडी को मिलेगा। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई करने के बाद गत 12 जून को एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी और प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक भर्तियां जारी रखने की इजाजत दे दी थी। हाईकोर्ट की खंडपीठ के 12 जून के आदेश को कुछ अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में नई विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर चुनौती दी।
बुधवार को यह मामला न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ में सुनवाई पर लगा था। हालांकि बताते चलें कि शिक्षा मित्रों का परीक्षा के न्यूनतम कट आफ अंकों को चुनौती देने का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जिस पर कोर्ट जुलाई में सुनवाई करेगा।
यह मामला प्रदेश में चल रही 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का है। सुप्रीम कोर्ट ने गत 9 जून को प्रदेश सरकार को शिक्षामित्रों के लिए 37339 पद खाली छोड़ कर बाकी पर भर्ती करने की इजाजत दे दी थी लेकिन इस बीच कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में नयी याचिका दाखिल कर भर्ती परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं पर सवाल उठाते हुए कि कहा था कि कुछ सवालों के उत्तर गलत हैं और भर्ती प्रक्रिया पर रोक मांगी थी, जिस पर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का मामला यूजीसी की विशेषज्ञ समिति को भेजते हुए भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी थी। एकलपीठ के रोक आदेश को प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट की खंडपीठ मे अपील दाखिल कर चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट के रणविजय मामले में दिये गए पूर्व फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एकलपीठ के न्यायाधीश ने विशेषज्ञ की तरह व्यवहार किया है जबकि उस फैसले के अनुसार अगर किसी प्रश्न में भ्रम है तो उसका लाभ एग्जामिनेशन बाडी को मिलेगा। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई करने के बाद गत 12 जून को एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी और प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक भर्तियां जारी रखने की इजाजत दे दी थी। हाईकोर्ट की खंडपीठ के 12 जून के आदेश को कुछ अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में नई विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर चुनौती दी।
बुधवार को यह मामला न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ में सुनवाई पर लगा था। हालांकि बताते चलें कि शिक्षा मित्रों का परीक्षा के न्यूनतम कट आफ अंकों को चुनौती देने का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जिस पर कोर्ट जुलाई में सुनवाई करेगा।