उच्चतम न्यायालय ने यूपी सरकार को बड़ी राहत देते हुए शिक्षक भर्ती परीक्षा- 2019 की उत्तर कुंजी को जारी करने की अनुमति देनेवाली इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने इस फैसले के खिलाफ आए उम्मीदवारों की अपील को खारिज कर दिया।
इस परीक्षा में 69,000 शिक्षकों की भर्ती की जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में उत्तर कुंजी जारी करने की अधिसूचना जारी की थी। इस पर उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने रोक लगा दी थी। लेकिन खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को पलटते हुए सरकार की अधिसूचना को सही ठहराया था। उम्मीदवार इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय आए थे।
यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और राकेश मिश्रा ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ में बहस की। उन्होंने कहा कि रणविजय केस (2018) में स्पष्ट कहा गया है कि जब भी भर्ती परीक्षा के प्रश्नों के उत्तर सही होने में कोई संदेह होगा तो उसका लाभ परीक्षार्थी को नहीं परीक्षा अथॉरिटी को जाएगा। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस फैसले की अनदेखी कर भर्ती की पूरी प्रक्रिया को ही रोक दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों के लिए कटआफ अंकों को लेकर भर्ती का यह मामला पहले से ही उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने भी पूरी भर्ती नहीं रोकी है और सिर्फ 37,339 पद खाली रखने को कहा है।
मामले के अनुसार, एकल पीठ ने 03 जून को एक उम्मीदवार अमिता त्रिपाठी की रिट याचिका पर शिक्षक भर्ती परीक्षा-2019 की उत्तर कुंजी जारी करने की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार ने उस फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी और खंडपीठ ने 12 जून को एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी। इस फैसले के खिलाफ उम्मीदवार उच्चतम न्यायालय आए थे।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने बुधवार को यह आदेश देते हुए उत्तर कुंजी की अधिसूचना पर रोक हटाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया। पीठ ने कहा कि उन्हें उच्च न्यायालय के फैसले में कोई खामी नजर नहीं आती।
भर्ती पर एक नजर
- एक दिसंबर 2018 को जारी हुआ था शासनादेश
- 5 दिसंबर 2018 को जारी हुआ भर्ती का विज्ञापन
- 22 दिसंबर तक 431466 अभ्यर्थियों ने किया था आवेदन
- 6 जनवरी 2019 को भर्ती के लिए लिखित परीक्षा हुई
- 7 जनवरी 2019 को सरकार ने 60/65 प्रतिशत कट ऑफ रखने की घोषणा की
- 11 जनवरी 2019 को 60/65 कटऑफ को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी
- 29 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने 40/45 कटऑफ रखने का आदेश दिया
- सरकार ने सिंगल बेंच के आदेश को मामले को डबल बेंच में चुनौती दी
- 6 मई को हाईकोर्ट ने 60/65 फीसदी कटऑफ के पक्ष में फैसला सुनाया
- 12 मई को 69000 लिखित परीक्षा का रिजल्ट घोषित हुआ
- 01 जून को जिला आवंटन सूची का प्रकाशन कराया गया
- 3 जून को काउंसिलिंग के पहले दिन हाईकोर्ट ने रोक लगाई
- 8 जून को कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और पक्षकारों को अपनी लिखित बहस, आपत्तियां व जवाब दाखिल करने के लिए 9 जून तक का समय दिया था।
- 9 जून सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में 37,000 पोस्ट शिक्षा मित्रों के लिए रिजर्व रखीं। सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की।
- 12 जून को डबल बेंच ने रोक हटाई
- 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने आंसर-की विवाद में सरकार के पक्ष में फैसला दिया
कटऑफ प्रकरण में मामला अभी लंबित
इस परीक्षा में 69,000 शिक्षकों की भर्ती की जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में उत्तर कुंजी जारी करने की अधिसूचना जारी की थी। इस पर उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने रोक लगा दी थी। लेकिन खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को पलटते हुए सरकार की अधिसूचना को सही ठहराया था। उम्मीदवार इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय आए थे।
यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और राकेश मिश्रा ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ में बहस की। उन्होंने कहा कि रणविजय केस (2018) में स्पष्ट कहा गया है कि जब भी भर्ती परीक्षा के प्रश्नों के उत्तर सही होने में कोई संदेह होगा तो उसका लाभ परीक्षार्थी को नहीं परीक्षा अथॉरिटी को जाएगा। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस फैसले की अनदेखी कर भर्ती की पूरी प्रक्रिया को ही रोक दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों के लिए कटआफ अंकों को लेकर भर्ती का यह मामला पहले से ही उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने भी पूरी भर्ती नहीं रोकी है और सिर्फ 37,339 पद खाली रखने को कहा है।
मामले के अनुसार, एकल पीठ ने 03 जून को एक उम्मीदवार अमिता त्रिपाठी की रिट याचिका पर शिक्षक भर्ती परीक्षा-2019 की उत्तर कुंजी जारी करने की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार ने उस फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी और खंडपीठ ने 12 जून को एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी। इस फैसले के खिलाफ उम्मीदवार उच्चतम न्यायालय आए थे।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने बुधवार को यह आदेश देते हुए उत्तर कुंजी की अधिसूचना पर रोक हटाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया। पीठ ने कहा कि उन्हें उच्च न्यायालय के फैसले में कोई खामी नजर नहीं आती।
भर्ती पर एक नजर
- एक दिसंबर 2018 को जारी हुआ था शासनादेश
- 5 दिसंबर 2018 को जारी हुआ भर्ती का विज्ञापन
- 22 दिसंबर तक 431466 अभ्यर्थियों ने किया था आवेदन
- 6 जनवरी 2019 को भर्ती के लिए लिखित परीक्षा हुई
- 7 जनवरी 2019 को सरकार ने 60/65 प्रतिशत कट ऑफ रखने की घोषणा की
- 11 जनवरी 2019 को 60/65 कटऑफ को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी
- 29 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने 40/45 कटऑफ रखने का आदेश दिया
- सरकार ने सिंगल बेंच के आदेश को मामले को डबल बेंच में चुनौती दी
- 6 मई को हाईकोर्ट ने 60/65 फीसदी कटऑफ के पक्ष में फैसला सुनाया
- 12 मई को 69000 लिखित परीक्षा का रिजल्ट घोषित हुआ
- 01 जून को जिला आवंटन सूची का प्रकाशन कराया गया
- 3 जून को काउंसिलिंग के पहले दिन हाईकोर्ट ने रोक लगाई
- 8 जून को कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और पक्षकारों को अपनी लिखित बहस, आपत्तियां व जवाब दाखिल करने के लिए 9 जून तक का समय दिया था।
- 9 जून सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में 37,000 पोस्ट शिक्षा मित्रों के लिए रिजर्व रखीं। सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की।
- 12 जून को डबल बेंच ने रोक हटाई
- 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने आंसर-की विवाद में सरकार के पक्ष में फैसला दिया
कटऑफ प्रकरण में मामला अभी लंबित