लखनऊ। राजस्व लेखपालों के रिक्त पदों को भरने की पिछले तीन वर्ष से चल रही कार्यवाही बेमतलब साबित हुई है। अधीनस्थ सेवा. चयन आयोग (यूपीएसएसएससी ) ने राजस्व परिषद से जून-2020 तक रिक्त पदों की भर्ती का नया प्रस्ताव मांग लिया है। अब तीन चयन वर्ष में रिक्त पदों पर भर्ती की कार्यवाहों एक साथ नए
सिरे से शुरू होने जा रही है। राजस्व परिषद की आयुक्त एवं सचिव ने मंडलायुक्तों से आरक्षण नियमों का पालन करते हुए एक सप्ताह में भर्ती प्रस्ताव उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। प्रदेश में राजस्व लेखपालों के 30.837 पद हैं। इनमें
8,000 से अधिक पद रिक्त हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता की कमान संभालने के बाद कई बार सार्वजनिक कार्यक्रमों व बैठकों में लेखपालों के रिक्त पर्दों को भरने के भिर्देश दिए। मगर, अपने हिसाब से काम के लिए मशहूर राजस्व परिषद ने रिक्त पर्दों पर भर्ती का प्रस्ताव आयोग को भेजने तक सरकार के करीब तोन ad fan fer फाइलें इधर से उधर घूमती रहीं। पिछले दिनों करीब 5,200 रिक्त पर्दों पर भर्ती का प्रस्ताव आयोग को भेजा गया था। आयोग ने प्रस्ताव का परीक्षण करने के बाद चयन वर्ष 2019-20 तक रिक्त हुए पदों का ब्योरा प्राप्त कर भर्ती कार्यवाही बढ़ाने का फैसला किया। अब आयोग ने राजस्व परिषद को चयन वर्ष 2017-18, 2018-19 व 2019-20 के रिक्त पदों का जिलाबार त्रेटिरहित भर्ती प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा है। हालांकि राजस्व परिषद को मौजूदा आयुक्त एवं सचिव मनीषा त्रिघटिया ने नया भर्ती प्रस्ताव जल्द से जल्द आयोग को उपलब्ध कराने के कदम उठाए हैं। उन्होंने भर्ती प्रस्ताव जिलाधिकारियों से मांगने की जगह सीधे मंडलायुक्तों से मांग लिया है। त्रिघटिया ने मंडलायुक्तों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने मंडल के जिलाधिकारियों से तीनों चयन वर्ष का प्रस्ताव प्राप्त कर स्वयं परीक्षण करें। साथ हो भर्ती नियमों व आरक्षण प्रावधानों का पालन करते हुए प्रत्येक जिले का भर्ती प्रस्ताव विशेष वाहक के जरिए परिषद को एक सप्ताह में उपलब्ध कराएं। मंदलायुकतों fi FT इस बात का प्रमाणपत्र भी देना है कि उनके द्वारा चयन वर्ष वार रिक्तियों व आरक्षण की पूर्ण प्रमाणकता से गणना की गई है। उन्होंने त्रुटि रहित भर्तो प्रस्ताव तैयार करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश व गाइडलाइन मंडलायुक्तों को भेजी है। लेखपाल संघ के पदाधिकारियों के मुताबिक एक-एक लेखपाल के पास औसतन दो से तीन गांव की जिम्मेदारी हैं। काम के अतिरिक्त बोझ की वजह से तय समय में काम न पूरा होने पर कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा हैं। शासन स्तर पर लेखपालों की जिन मांगों को उचित मानकर कार्यवाही की सहमति दी गई, शासनादेश जारी किया गया, फील्ड में उन पर भी ठीक से अमल नहीं हो रहा है।
सिरे से शुरू होने जा रही है। राजस्व परिषद की आयुक्त एवं सचिव ने मंडलायुक्तों से आरक्षण नियमों का पालन करते हुए एक सप्ताह में भर्ती प्रस्ताव उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। प्रदेश में राजस्व लेखपालों के 30.837 पद हैं। इनमें
8,000 से अधिक पद रिक्त हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता की कमान संभालने के बाद कई बार सार्वजनिक कार्यक्रमों व बैठकों में लेखपालों के रिक्त पर्दों को भरने के भिर्देश दिए। मगर, अपने हिसाब से काम के लिए मशहूर राजस्व परिषद ने रिक्त पर्दों पर भर्ती का प्रस्ताव आयोग को भेजने तक सरकार के करीब तोन ad fan fer फाइलें इधर से उधर घूमती रहीं। पिछले दिनों करीब 5,200 रिक्त पर्दों पर भर्ती का प्रस्ताव आयोग को भेजा गया था। आयोग ने प्रस्ताव का परीक्षण करने के बाद चयन वर्ष 2019-20 तक रिक्त हुए पदों का ब्योरा प्राप्त कर भर्ती कार्यवाही बढ़ाने का फैसला किया। अब आयोग ने राजस्व परिषद को चयन वर्ष 2017-18, 2018-19 व 2019-20 के रिक्त पदों का जिलाबार त्रेटिरहित भर्ती प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा है। हालांकि राजस्व परिषद को मौजूदा आयुक्त एवं सचिव मनीषा त्रिघटिया ने नया भर्ती प्रस्ताव जल्द से जल्द आयोग को उपलब्ध कराने के कदम उठाए हैं। उन्होंने भर्ती प्रस्ताव जिलाधिकारियों से मांगने की जगह सीधे मंडलायुक्तों से मांग लिया है। त्रिघटिया ने मंडलायुक्तों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने मंडल के जिलाधिकारियों से तीनों चयन वर्ष का प्रस्ताव प्राप्त कर स्वयं परीक्षण करें। साथ हो भर्ती नियमों व आरक्षण प्रावधानों का पालन करते हुए प्रत्येक जिले का भर्ती प्रस्ताव विशेष वाहक के जरिए परिषद को एक सप्ताह में उपलब्ध कराएं। मंदलायुकतों fi FT इस बात का प्रमाणपत्र भी देना है कि उनके द्वारा चयन वर्ष वार रिक्तियों व आरक्षण की पूर्ण प्रमाणकता से गणना की गई है। उन्होंने त्रुटि रहित भर्तो प्रस्ताव तैयार करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश व गाइडलाइन मंडलायुक्तों को भेजी है। लेखपाल संघ के पदाधिकारियों के मुताबिक एक-एक लेखपाल के पास औसतन दो से तीन गांव की जिम्मेदारी हैं। काम के अतिरिक्त बोझ की वजह से तय समय में काम न पूरा होने पर कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा हैं। शासन स्तर पर लेखपालों की जिन मांगों को उचित मानकर कार्यवाही की सहमति दी गई, शासनादेश जारी किया गया, फील्ड में उन पर भी ठीक से अमल नहीं हो रहा है।