परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से 7 नवंबर को करायी गयी डीएलएड द्वितीय सेमेस्टर हिन्दी के प्रश्नपत्र में कई अशुद्धियां देखने को मिली हैं। भाषाविदू-समीक्षक आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पांडेय का कहना है कि छठे
प्रश्नपत्र को 'षष्ठम् प्रश्न- पत्र' लिखा था। इसके लिए शुद्ध शब्द 'षष्ठ' है; 'षष्ठमकोई सार्थक शब्द हे ही नहीं। इस प्रश्नपत्र में “निर्देश' के स्थान पर “निर्देश: का प्रयोग किया गया है, जिसका कोई अर्थ नहीं है।“75' को शब्द में 'पच्चहत्तर' लिखा गया है, जबकि उपयुक्त शब्द 'पचहत्तर' है। कुल मिलाकर, यह वाक्य-विन्यास “बचकाना' है। इस प्रश्नपत्र का पहला प्रश्न और उसके विकल्प व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध हैं। पहला प्रश्न है :- 'काव्य को कितने भागों में बांटा गया है-“जब हाकितने' का प्रयोग है तब इस प्रश्न के अन्तमें प्रश्नात्मक चिह्न ( 2) लगेगा। इसके विकल्प में 'दृश्य' को 'काव्य' से अलग (दृश्य काव्य) और “श्रव्य! को “काव्य' से मिला दिया गया है, जबकि दोनों को 'अलग-अलग' लिखना चाहिए था। ऐसा इसलिए कि और श्रव्य का अर्थ क्रमशः दिखने -योग्य' और 'सुनने-योग्य' है। चौथे प्रश्न में 'शब्दाँश' का प्रयोग किया गया है, जबकि 'शब्द+अंश' से 'शब्दांश' बनेगा। ग्यारहवें प्रश्न "काल की कितनी' अवस्थायें मानी जाती हैं! मेंदो प्रकार की अशुद्धियाँ हैं : - पहली, काल में ही अवस्था निहित है और दूसरी, अवस्थायें के स्थान पर अवस्थाएँ' होगा। ऐसी अनेक अशुद्!ियां हैं।