लखनऊ। प्रदेश में मिड डे मील और पुष्टाहार के मेन्यू में शकरकंदी भी शामिल की जाएगी। सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। अपर मुख्य सचिब उद्यान ने इस बाबत मध्याहन
भोजन अधिकरण और बाल विकास पुष्टाहार रुहेलखंड ओर विभाग को पत्र लिखा है। प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए यह आवश्यक है कि कृषि उत्पादों में विविधता रहे। एक ही तरह के उत्पाद का रकबा ज्यादा हो जाने से आपूर्ति बढ़ जाती है। नतीजतन, किसानों को अपने उत्पाद का उचित दाम नहीं मिल पाता। इसलिए सभी तरह के कृषि उत्पादों को प्रोत्साहन दिए जाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। वर्तमान में प्रदेश में 2.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में शकरकंदी की पैदावार होती है। मिड डे मील में विद्यार्थियों की संख्या 1.60 करोड़ व बाल विकास पुष्टाहार में लाभार्थियों की संख्या 1.64 करोड़ है। अगर दोनों योजनाओं के मेन्यू में शकरकंदी को शामिल कर लिया जाए तो इसकी डिमांड काफी बढ़ सकती है। नतीजतन शकरकंदी के रकबे में वृद्धि की गुंजाइश रहेगी। उद्यान विभाग के अनुसार शकरकंदी के उत्पादन के लिए रूहेलखंड व बुंदेलखंड कौ जमीन काफी मुफीद है। इसलिए इन क्षेत्रों को शकरकंदी उत्पादन का हब बनाया जा सकता है।कई प्रकार से हो सकता है प्रयोग शकरकंदी की कई रेसिपी भी प्रयोग में लाई जा सकती हैं, जैसे करी, हलवा, साधारण रूप से उबला हुआ, स्वीट पोटैटो फ्राई, चपाती, पराठा व टिक््की आदि। कीमत के लिहाज से भी यह ज्यादा महंगी नहीं है।
भरपूर ऊर्जा का स्रोत
उद्यान विभाग की ओर से बाल विकास पुष्टाहार विभाग व मध्याहन भोजन अधिकरण को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि शकरकंदी (स्वीट पोटैटो ) में भरपूर ऊर्जा होती है। कैलोरी और स्टार्च के लिहाज से यह काफी अच्छी है। वहीं फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा न के बराबर होती है। फाइबर, एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन और लवण भरपूर मात्रा में होते हैं। यह विटामिन बी-6 व डो और आयरन का भी अच्छा खोत है। इसमें पोटेशियम भी होता है, जिससे नर्वस सिस्टम की सक्रियता बढ़ती है।
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