69000 भर्ती: अंकपत्र में सुधार नहीं होने से चयन के बाद फंसी नियुक्ति

 प्रयागराज। प्राथमिक विद्यालय मिश्रपुर उरूवा में 2001 के शिक्षामित्र, टीईटी में 107 अंक, सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 में कुल 108 अंक पाने के बाद भी सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में चंद्रमोहन का चयन होगा

या नहीं यह तय नहीं है। चंद्रमोहन के सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के उनके ऑनलाइन आवेदन में कटेगरी अनुसूचित जाति दर्ज है, जबकि मानवीय त्रुटि से उनके टीईटी के अंकपत्र में एससी की जगह ओबीसी श्रेणी दर्ज हो गई है। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी के पास टीईटी-2017 के अंकपत्र में संशोधन के लिए अभ्यर्थी ने 28 जनवरी 2018 को ही आवेदन किया था। आवेदन के बाद भी टीईटी के अंकपत्र में सुधार नहीं होने से काउंसलिंग कराने के बाद भी नियुक्ति फंस गई है।



टीईटी के त्रुटि पूर्ण अंकपत्र के आधार पर शिक्षक भर्ती में शामिल होने का मौका कैसे
- सहायक अध्यापक भर्ती के अभ्यर्थी की ओर से 2018 में सचिव परीक्षा नियामक के पास आवेदन करने के बाद भी अंकपत्र में गलती से एससी की जगह दर्ज ओबीसी को बदला नहीं गया। सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के आवेदन में जब अभ्यर्थी ने गलत तरीके से जारी अंकपत्र के आधार पर आवेदन किया तो सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने अभ्यर्थी को परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया। अब सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 108 अंक के साथ पास करने और काउंसलिंग कराने के बाद इस अभ्यर्थी को नौकरी नहीं मिल रही है। इससे पहले भी इस अभ्यर्थी ने 2018 में सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा त्रुटि पूर्ण प्रमाण पत्र के साथ दी, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने इस पर कोई आपत्ति नहीं की। इसी प्रकार एक अन्य अभ्यर्थी ने हाईस्कूल के अंकपत्र में दर्ज क्रमांक में तीन जीरो की जगह दो जीरो भर दिया। ऐसे में एक जीरो कम भरने से अभ्यर्थी की नौकरी फंस गई है।


बेसिक शिक्षा विभाग एससी पद के सापेक्ष 20 वर्ष से काम कर रहे अभ्यर्थी पूछ रहा जाति
- बेसिक शिक्षा विभाग एससी पद के सापेक्ष लगातार 20 वर्ष से प्राथमिक विद्यालय में शिक्षण कार्य कर रहे अपने एक शिक्षामित्र को अपनी जाति प्रमाणित करने को कह रहा है। सचिव परीक्षा नियामक कार्यालय की ओर से प्रमाण पत्र में संशोधन न किए जाने का खामियाजा शिक्षामित्र चंद्रमोहन को भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के पास यह प्रत्यावेदन दिया है कि उनके जाति प्रमाण पत्र की जांच कर ली जाए, उनकी मंशा किसी प्रकार से दूसरी श्रेणी में जाकर लाभ हासिल करने की नहीं थी। वह यह भी लिखकर देने को तैयार है कि उनको किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ दिए बिना अनारक्षित श्रेणी में रखकर चयन किया जाए।