किसी भी स्थिति में नहीं रोकी जा सकती कर्मचारी की ग्रेच्युटी

 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि किसी भी स्थिति में कर्मचारी की ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं रोका जा सकता है। कोर्ट की डिक्री या अन्य किसी प्रकार से कर्मचारी की देनदारी साबित होने पर भी

उसकी प्रतिपूर्ति के लिए ग्रेच्युटी को संबद्ध नहीं किया जा सकता। इसी के साथ कोर्ट ने कंपनी का एकाउंट एनपीए होने पर गारंटर बने बैंककर्मी की ग्रेच्युटी का भुगतान रोकने को अवैधानिक करार देते हुए बैंक को 15 दिन के भीतर


भुगतान करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने बैंक कर्मचारी भूदेव त्रिवेदी की याचिका पर दिया है।

याची जय गोपाल इंटरप्राइजेज का गारंटर था। कंपनी का खाता एनपीए हो गया तो बैंक ने याची के रिटायर होने पर उसकी ग्रेच्युटी का भुगतान इस आधार पर रोक लिया कि गारंटर की भी जिम्मेदारी बनती है। इसके खिलाफ याचिका दाखिल की गई। एकल पीठ ने याचिका खारिज कर दी तो इस आदेश को इस विशेष अपील में चुनौती दी गई।

खंडपीठ ने कहा कि याची की सेवा नियमावली में ऐसा कोई प्रावधान है जिसके आधार पर ग्रेच्युटी रोकी जा सके। पेंमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट में भी ग्रेच्युटी रोकने का कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 60 के सब सेक्शन (1) क्लाज (जी) के तहत ग्रेच्युटी को अटैच नहीं किया जा सकता। इस धारा के तहत ग्रेच्युटी को संबद्धता से इम्युनिटी प्राप्त है। यहां तक कि यदि किसी कोर्ट से पारित डिक्री या किसी अन्य प्रकार से याची की देनदारी साबित भी हो तो भी उसकी पूर्ति ग्रेच्युटी की रकम से नहीं की जा सकती है। भुगतान के लिए ग्रेच्युटी को संबद्ध नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने नियोक्ता बैंक को याची की ग्रेच्युटी का भुगतान 15 दिन के भीतर ब्याज सहित करने का निर्देश दिया है।