2011 से हुयी सभी शिक्षक भर्तियों और समायोजन के भविष्य का निर्धारण 26 अप्रैल को: केस को मेरिट के आधार पर तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जायेगा और सुनवाई लगातार दो से तीन दिवसीय सम्भव

नमस्कार मित्रों, विगत दिवस हियरिंग के उपरान्त कुछ समय न्यायालय और रजिस्ट्रार सेक्शन के चक्कर लगाने पड़े, उसी दौरान एक महत्वपूर्ण बात पता चली कि इस समय केस लिस्टिंग स्वयं मा0 मुख्य न्यायाधीश महोदय जी अपने निगरानी में करवा रहे हैं और उन्होंने ही हमारे केस को जस्टिस गोयल और ललित जी की बेंच में भेज कर तत्काल निस्तारित करने को कहा हैं व आगामी 26/27 अप्रैल को हमारे केस के अलावा काफी कम केसेस ही उस बेंच में लगाये जायेंगे!
फिलहाल अब हमारा केस निर्णायक अवस्था में आ चुका हैं! बेसिक शिक्षा विभाग में पूर्व से कार्यरत एक लाख सत्तर हजार शिक्षकों को छोड़कर २०११ से हुयी सभी भर्तियों का भविष्य अब इसी केस से निर्धारित होना हैं!


केस को मेरिट के आधार पर निम्न तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जायेगा और सुनवाई लगातार दो से तीन दिवसीय होगी:-

1. #सिविल_अपील_4347-4375/2014 (स्टेट ऑफ यूपी बनाम शिव कुमार पाठक व अन्य प्रतिवादीगण)---

हाईकोर्ट द्वारा सर्विस रूल-१९८१ के १५वें संशोधन (अकादमिक गुणांक प्रणाली) को रद्द कर 12वें संशोधन (टेट मेरिट) को बहाल करने वाले आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में चेलेंज किया हैं, जिसमें मुख्यतः 'शिक्षकों के चयन नियम' के निर्धारण का मुद्दा हैं! यदि राज्य द्वारा दाखिल उपरोक्त सिविल अपील एलाऊ होती हैं तो 72825 भर्ती स्वतः रद्द हो जाएगी और 15वें/16वें संशोधन से हुयी करीब नब्बे हजार भर्तियाँ बच जाएँगी, और यदि सिविल अपील डिसमिस होती हैं तो 90 हजार भर्तियाँ रद्द और 72825 एन्जॉय करते रहेंगे! फिलहाल हाईकोर्ट से 15वें/16वें संशोधन पर अभी तक हुयी करीब 90 हजार भर्तियाँ रद्द हो चुकी हैं!
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2. #एसएलपी_32599/2015 (स्टेट ऑफ यूपी बनाम आनंद कुमार यादव), #एसएलपी_1621/2016(#हिमांशु_राणा बनाम स्टेट ऑफ यूपी), #एसएलपी_2397/2016 (#अमित_सिंह व अन्य बनाम स्टेट ऑफ़ यूपी)---

हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के शिक्षक पद पर किये गये समायोजन को अवैध मानते हुए रद्द कर दिया था, स्टेट ऑफ यूपी ने हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध सुप्रीमकोर्ट में एसएलपी 32599/2015  दाखिल कर हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत रहने कि प्रार्थना की हैं, यदि स्टेट की अपील 32599/2015 एलाऊ हुयी तो शिक्षामित्र बहाल, यदि डिसमिस हुयी तो समायोजित शिक्षामित्र पुनः अपने मूल शिक्षामित्र पद पर वापस हो जायेंगे!

एसएलपी 1621/2016 व एसएलपी 2397/2016 - यह दोनों एसएलपी हमारी टीम ने हाईकोर्ट के आदेश में शिक्षामित्रों के ट्रेनिंग को गलत मानकर भी छोड़े जाने के विरुद्ध दाखिल की हैं! शिक्षामित्रों कि ट्रेनिंग अवैध घोषित कराना इसलिए भी आवश्यक हैं, क्योंकि यदि उनकी बीटीसी ट्रेनिंग कोर्ट से रद्द नहीं हुयी तो बीटीसी प्रशिक्षित होते हुए बीएड वालों की प्राइमरी में शिक्षक बनने की संभावना धूमिल हो जाएगी! यदि हमारी अपील एलाऊ हुयी तो शिक्षामित्रों की बीटीसी ट्रेनिंग अवैध हो जाएगी अन्यथा बच जाएगी!
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3. #रिट_पीटीशन_167/2015 (#हिमांशु_राणा व अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य), #रिट_पीटीशन_107/2016 (#दुर्गेश_प्रताप_सिंह व अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य) व इसके साथ संलग्न अन्य रिट पीटीशन---

यह दोनों रिट पीटीशन सुप्रीमकोर्ट में सीधे अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल कर प्रदेश में रिक्त पड़े शिक्षकों के पद पर तत्काल बीएड टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों व अन्य योग्य शिक्षकों के नियुक्ति की मांग करती! केस के निर्णायक दिवस पर इस पीटीशनस को सुनी जाएगी और अंतिम रूप से यह सभी भर्तियों/रिक्तियों के लिए निर्णायक बनेगी, क्योंकि 1.37 लाख शिक्षामित्रों के रद्द होने+72825 अथवा 90,000 भर्तियों में से कोई एक के रद्द होने+ प्रदेश में अभी भी पड़े करीब 1.70 लाख पदों पर संविधान के अनुच्छेद 21(अ) के संरक्षण में अर्ह शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल उपरोक्त रिट से ही किया जा सकता हैं! बीएड टेट उत्तीर्ण याचियों को राहत भी उपरोक्त बिंदु 2 में वर्णित ट्रेनिंग की एसएलपी व बिंदु 3 में वर्णित रिट पीटीशन से होगा!

उपरोक्त दोनों याचिकाओं में मेरे द्वारा लगाये गये प्रमाणिक साक्ष्यों के आधार पर, यह निश्चित तौर पर कह सकता हूँ कि न सिर्फ ट्रेनिंग के विरुद्ध हमारी दोनों एसएलपी बल्कि अनुच्छेद 32 के तहत समस्त रिक्तियों को भरवाने के लिए दाखिल हमारी तीनों रिट पीटीशन भी सुप्रीमकोर्ट द्वारा एलाऊ होगी और बीएड टेट साथियों को शिक्षक पद पर नियुक्ति प्राप्त होगी! विगत 6 वर्षों से हम बीएड वालों को इस निर्णायक सुनवाई की प्रतीक्षा थी, जो आगामी सुनवाइयों में सकारात्मक व फलदायक रहेगी! धन्यवाद्
_______*आपका दुर्गेश प्रताप सिंह*

नोट- वर्ष २०११ से हुयी कोई भर्ती या नियुक्ति पुर्णतः दोषमुक्त नहीं हैं, चाहे वो न्यायालय के अंतरिम राहत से हुयी ७२८२५ भर्ती हो, १५वे/16वें संशोधन की 90,000 भर्ती हो (हाईकोर्ट द्वारा रद्द), शिक्षामित्र हो(हाईकोर्ट द्वारा रद्द), या फिर अंतरिम राहत के तहत ८३९ तदर्थ नियुक्ति हो! जस्टिस गोयल व जस्टिस ललित जी केस को मेरिट के अनुसार सुनकर विधिअनुरूप निस्तारण पर विश्वास रखते हैं, अतः आप नौकरी पाकर तीन-चार वर्ष से सेवारत हैं जैसी बातों को न्याय के दौरान कोई अधिभारिता प्राप्त नहीं होने वाली हैं! सभी पक्ष अपनी बेहतर तैयारी करें!
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