लखनऊ। प्रदेश में भले ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, लेकिन योग्यता
और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रदेश के 1059 शिक्षकों को सरकार
नौकरी नहीं दे रही है। सरकार की बेरुखी से नाराज़ इन प्रशिक्षु शिक्षकों ने
शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर अपनी वेदना बताई और उनसे
शिक्षकों को नौकरी दिलाये जाने की गुहार लगाई।
बरेली के रहने वाले अनूप श्रीवास्तव बताते हैं कि अधिकारियों से जब हम मिलते हैं तो उनका कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार के सभी भर्तियों पर सरकार रोक लगाकर जांच कराएगी। आज हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश वाले भर्तियों पर हम कोई रोक नहीं लगायेंगे। मुख्यमंत्री ने हमें भरोसा दिलाया कि आप लोगों को न्याय मिलेगा।
फतेहपुर के रहने वाले हरिओम कृष्णा बताते हैं, “हमारे पास योग्यता भी है और कोर्ट का आदेश भी है, लेकिन फिर भी हमें नियुक्ति नहीं मिल रही है। हम योग्यता रखने के बावजूद इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। मेरिट को देखकर हमारा चयन किया गया। चयन के बाद छह महीने तक प्रशिक्षण दिया गया है। हमने प्रशिक्षण भी ले लिया है और उसके बाद परीक्षा भी पास की, इसके बावजूद भी नौकरी नहीं मिल रही है।
वहीं, बनारस के अनिल कुमार चौरसिया बताते हैं कि हम लोग 2011 से ही भटक रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक चयन-2011 के लिए प्रशिक्षु शिक्षकों को 6 महीने की प्रशिक्षण के बाद एक परीक्षा देनी होती है। हम लोग प्रशिक्षण के बाद परीक्षा में भी पास हो चुके हैं। नियमित हमें नौकरी मिल जानी चाहिए, लेकिन हमें नौकरी नहीं मिल रही है।
सहारनपुर के रहने वाले सतवीर सिंह कहते हैं कि हम बेसिक शिक्षा सचिव के पास जाते हैं, तो वो हमें मुख्य सचिव के पास भेज देते हैं और मुख्य सचिव के पास जाते हैं तो वे कहते हैं कि यह सचिव ही करेंगे। हमें इधर से उधर बस दौड़ाया जा रहा है।
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बरेली के रहने वाले अनूप श्रीवास्तव बताते हैं कि अधिकारियों से जब हम मिलते हैं तो उनका कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार के सभी भर्तियों पर सरकार रोक लगाकर जांच कराएगी। आज हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश वाले भर्तियों पर हम कोई रोक नहीं लगायेंगे। मुख्यमंत्री ने हमें भरोसा दिलाया कि आप लोगों को न्याय मिलेगा।
फतेहपुर के रहने वाले हरिओम कृष्णा बताते हैं, “हमारे पास योग्यता भी है और कोर्ट का आदेश भी है, लेकिन फिर भी हमें नियुक्ति नहीं मिल रही है। हम योग्यता रखने के बावजूद इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। मेरिट को देखकर हमारा चयन किया गया। चयन के बाद छह महीने तक प्रशिक्षण दिया गया है। हमने प्रशिक्षण भी ले लिया है और उसके बाद परीक्षा भी पास की, इसके बावजूद भी नौकरी नहीं मिल रही है।
वहीं, बनारस के अनिल कुमार चौरसिया बताते हैं कि हम लोग 2011 से ही भटक रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक चयन-2011 के लिए प्रशिक्षु शिक्षकों को 6 महीने की प्रशिक्षण के बाद एक परीक्षा देनी होती है। हम लोग प्रशिक्षण के बाद परीक्षा में भी पास हो चुके हैं। नियमित हमें नौकरी मिल जानी चाहिए, लेकिन हमें नौकरी नहीं मिल रही है।
सहारनपुर के रहने वाले सतवीर सिंह कहते हैं कि हम बेसिक शिक्षा सचिव के पास जाते हैं, तो वो हमें मुख्य सचिव के पास भेज देते हैं और मुख्य सचिव के पास जाते हैं तो वे कहते हैं कि यह सचिव ही करेंगे। हमें इधर से उधर बस दौड़ाया जा रहा है।
स्कूलों में स्थिति सही नहीं
हालांकि यूपी में पिछले दो वर्षों में सवा दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, फिर भी स्थिति अभी ठीक नहीं है। यूपी में 1 लाख 60 हज़ार प्राथमिक स्कूल हैं। बावजूद इसके कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है।वर्ष 2011 से नहीं मिली नौकरी
अनिल कुमार चौरसिया बताते हैं कि हम लोगों की भर्ती 2011 से चल रहा है। बीच में विवाद हुआ तो सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद नवम्बर 2015 से नौकरियां मिलनी शुरू हुई। अलग-अलग समय पर प्रशिक्षु लोगों को 6 महीने का प्रशिक्षण देकर परीक्षा भी ली गई। परीक्षा पास करने के बाद नौकरी दे दी जाती है। अब तक 60 हज़ार लोगों को नौकरी मिल चुकी है। हम लोगों को भी अब तक नौकरी मिल जानी चाहिए, लेकिन नहीं मिल पा रही है।- बेसिक शिक्षा में स्थानांतरण की नयी नीति , महिला शिक्षिकाओं को राहत, घर के नजदीक स्कूलों में मिलेगी तैनाती
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