68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा: अब परीक्षा संस्था को फिर देना होगा इम्तिहान, सफल अभ्यर्थियों की कम संख्या से मूल्यांकन पर खड़े हुए सवाल

इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों की 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा कराने वाले परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को फिर इम्तिहान देना होगा।
तय पदों से करीब हजार अभ्यर्थी कम चयन परीक्षा संस्था के लिए मुसीबत बना है, क्योंकि तमाम अभ्यर्थी मूल्यांकन को लेकर सहमत नहीं हैं। प्रदेश भर के अभ्यर्थी कार्यालय पर आकर लगातार सवाल उठा रहे हैं, साथ ही कई ने दो हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जमा करके स्कैन उत्तर पुस्तिका मांगी है। एक भी गड़बड़ी सामने आने पर पूरे मूल्यांकन व्यवस्था का तार-तार हो जाएगा।

प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए मई को लिखित परीक्षा हुई। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय मंडल मुख्यालयों पर सकुशल इम्तिहान कराने में सफल रहा है। इस परीक्षा में अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिका की कार्बन कॉपी ले जाने का अवसर मिला और अति लघु उत्तरीय प्रश्न होने के बाद भी उसकी उत्तरकुंजी जारी हुई। यह दोनों प्रमाण दस्तावेज के रूप में अभ्यर्थियों के पास मौजूद हैं। इन्हीं को आधार बनाकर अभ्यर्थी कम अंक मिलने का आरोप लगा रहे हैं। अभ्यर्थियों का दावा है कि उनके जवाब अधिक सही रहे हैं लेकिन, अंक कम मिले हैं। हालांकि ऐसे आरोप इसी संस्था पर शिक्षक पात्रता परीक्षा में लगे थे, जो हाईकोर्ट व शीर्ष कोर्ट में टिक नहीं सके लेकिन, इस बार की चुनौती बड़ी है। 1पहले उत्तर के विकल्प को चुनौती दी जाती रही है, जबकि इस बार उत्तर का सही मूल्यांकन न होने की बात कही जा रही है। अभ्यर्थी प्रीती भारती ने स्कैन कॉपी मांगी है उनका दावा है कि 95 प्रश्नों के जवाब सही हैं लेकिन अंक 48 मिले हैं। ऐसे ही आकृति गुप्ता को 82 की जगह 65 अंक मिलने की बात कही है। उन्होंने दोबारा मूल्यांकन व उत्तर पुस्तिका दिखाने की मांग की है। परीक्षा नियामक कार्यालय का कहना है कि कई अभ्यर्थियों ने गलत स्थानों पर जवाब लिखकर खुद गलतियां की हैं, फिर भी संस्था निशाने पर है।
उत्तीर्ण प्रतिशत कम होने से परेशानी : लिखित परीक्षा का उत्तीर्ण प्रतिशत रिजल्ट के पहले एकाएक कम होने से अभ्यर्थी व परीक्षा संस्था दोनों की परेशानी बढ़ी है। सूत्रों की मानें तो 21 मई को घोषित अंक प्रतिशत पर यदि परिणाम आता तो करीब 75 हजार से अधिक अभ्यर्थी उत्तीर्ण हो जाते। इससे भर्ती की सारी सीटें भर जाती और विवाद भी नहीं होता। यही नहीं, यदि कोर्ट मौजूदा रिजल्ट में पांच फीसदी अंक घटाने की अनुमति दे दे तो भी करीब 50 हजार से अधिक ही उत्तीर्ण होंगे हैं। इससे भी सीटें भरने का मंसूबा पूरा नहीं होगा.