नीरज ¨सह, कौशांबी : बेसिक शिक्षा विभाग ने जिन 23 शिक्षकों के फर्जी
टीईटी अंक पत्र के आधार पर बर्खास्त किया है। उसी तरह फर्जी प्रमाण पत्र पर
नौकरी करने वाले 13 शिक्षक अभी और हैं। पूर्व के बीएसए की जांच में 36
फर्जी शिक्षकों के नाम सामने आए लेकिन शेष फर्जी शिक्षकों को विभाग के
अधिकारी और कर्मचारी बचाने में लगे हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग में दर्जनों की संख्या में फर्जी डिग्री के आधार पर
जालसाज नौकरी कर रहे हैं। इनको लेकर अधिकारियों की जांच को भी माफिया
गुमराह करने पर लगे हैं। वर्ष 2016 में तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी रहे
डीएस यादव ने 36 शिक्षकों की जांच की और ऑनलाइन सत्यापन के बाद उनकी टीइटी
की डिग्री फर्जी पाई थी। फिर इन सभी के वेतन रोकने का निर्देश दिया। इनके
प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए उन्होंने दस्तावेज विभाग को भेज दिए। करीब
दो साल बाद जब दस्तावेज की सूची आई तो उनमें से 13 नाम गायब हैं। यह नाम
कैसे गायब हो गए? यह विभाग में चर्चा का विषय है। माना जा रहा है कि विभाग
को कोई कर्मचारी शिक्षा माफिया का करीबी है। उसकी दखल के कारण 13 लोगों के
नाम सूची से हटा दिए गए। जो अब भी नौकरी कर रहे हैं। इन फर्जी शिक्षकों में
से दो का गैर जनपद स्थानांतरण भी हो चुका है। अन्य शिक्षक मंझनपुर, कड़ा,
सिराथू और कौशांबी ब्लाक में नौकरी कर रहे हैं। विभागीय कर्मचारी के गठजोड़
के कारण इनका वेतन भुगतान भी हो रहा है। खुद के बचने के लिए वह शिक्षक वेतन
से एक तय राशि हर माह विभाग के कर्मचारी को भी दे रहे हैं। 23 शिक्षकों के
बर्खास्त होने के बाद बचे हुए फर्जी शिक्षकों की धड़कन बढ़ गई है। फिलहाल
विभाग के अधिकारी अब इस पूरे मामले की जांच किए जाने की बात कह रहे हैं।
कहते है अधिकारी
पिछले दिनों जांच रिपोर्ट में 23 फर्जी शिक्षकों की पुष्टि हुई तो
उन्हें बर्खास्त कर दिया। बर्खास्त होने वालों में अधिकतर इलाहाबाद के रहने
वाले हैं। इनके अलावा और कितने शिक्षक फर्जी हैं, इसकी जानकारी नहीं है।
अगर ऐसा हो तो फिर से पूरे मामले की जांच की जाएगी। वहीं फर्जी शिक्षकों के
साथ ही उनकी मदद करने वाले पर भी कार्रवाई की जाएगी।
- सत्येंद्र ¨सह, बेसिक शिक्षा अधिकारी
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