नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में फर्जी रिजल्ट दिखा कर टीचर की
नौकरी हासिल करने वाले 23 शिक्षकों को निलंबित कर किया गया है। बेसिक
शिक्षा अधिकारी ने फर्जीवाड़ा करने वाले इन अध्यापकों पर लगे अरोप साबित
होने के बाद इन्हें निलंबित कर दिया।
यह पूरा मामला सामने आने के बाद इन पर
केस दर्ज किया गया था। जिन्हें अब इस मामले में दोषी पाया गया है।गौरतलब है कि यूपी के कौशांबी जिले में साल 2012-13 में इन 23 लोगों ने नकली मार्क्स शीट लगा कर शिक्षक की नौकरी हासिल की थी। साथ ही बताया जा रहा है कि यह केस इतने अधिक समय से इसलिए चल रहा था क्योंकि अपराधी कोई न कोई तरकीब लगा कर बच निकलते थे। पर इस बार अपराधियों की कोई तरकीब काम नहीं आई और आखिरकार सभी 23 लोगों को अपनी नौकरी गवानी पड़ी।
2012-14 के बीच तीन सिफ्ट में हुई परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल करने वाले लोगों ने टीईटी में फर्जी मार्क्स शीट लगाई थी। विवादों के चलते टीईटी 2011 की परीक्षा परिणाम लंबे समय से घोषित नहीं किेये गये थे। 2014 में टीईटी परीक्षा परिणाम आने के बाद लोगों की शिकायत पर केस दर्ज किया गया। जिसके बाद शिक्षा विभाग ने अभिलेखों का ऑनलाइन सत्यापन कराया तो जालसाजी कर टीईटी की फर्जी मार्क्स शीट लगाने का बड़ा खुलासा हुआ।
जिसके बाद जालसाजों ने सेटिंग कर मामला दबा दिया और बहाना बनाया था कि विवादों के कारण ऑनलाइन टीईटी परीक्षा 2011 की परीक्षा का परिणाम भरोसेमंद नहीं था। इसलिए उन सभी के अंक पत्रों का ऑफलाइन जांचा गया।
5 जुलाई 2018 को ऑफ़लाइन सत्यापन में फर्जीवाड़े का खुलासा सामने आने के बाद बोर्ड के निर्देश पर प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी सत्येन्द्र कुमार सिंह ने 23 शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया । सस्पेंड किये गए सभी शिक्षकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए संबंधित सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए गये हैं।