अमर उजाला, लखनऊ 368 पदों के लिए आए थे 23 लाख आवेदन
लखनऊ सचिवालय में अरसे से चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्तियां नहीं हुईं थीं। इन पदों को भरने के लिए सरकार ने अगस्त में प्रक्रिया शुरू की थी। सचिवालय के चतुर्थ श्रेणी के 368 पदों के लिए विज्ञापन निकाले गए थे। इन पदों में अप्लाई करने की योग्यता कक्षा पांच थी, लेकिन यूपी की बेरोजगारी का आलम यह था कि 368 पदों के लिए सचिवालय के पास करीब 23लाख आवेदन आए थे।
मजे की बात यह थी कि इनमें से पांचवी पास की आर्हता रखने वाले बहुत कम थी। ज्यादातर आवेदक पढ़े-लिखे थे। कुछ आवेदकों ने बीटेक, एमबीए और पीएचडी भी कर रखी थी।
आवेदकों की इतनी बड़ी संख्या आने के बाद सचिवालय प्रशासन चकरा गया था। सूत्रों के अनुसार इतनी बड़ी संख्या में इंटरव्यू लेते-लेते सचिवालय प्रशासन को कई साल लग जाते।
इस मामले में दुविधा को देखते हुए सरकार ने इन पदों के लिए शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया पर रोक ही लगा दी है। इन पदों को भरने के लिए सचिवालय प्रशासन नई प्रक्रिया और नियमो के तहत पुनः विज्ञापन जारी करेगा।
255 पीएचडी धारकों ने चपरासी के लिए किया आवेदन
चपरासी के लिए आए करीब 23 लाख आवेदनों में 255 ऐसे थे जिन्होंने पीएचडी कर रखी थी। यह सभी वह नौकरी करने के लिए तैयार थे जिसकी योग्यता� पांचवी पास हो।
बेरोजगारी का आलम यह है कि पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद पीएचडी करके डिग्री कालेजों में प्रवक्ता, रीडर और प्रोफेसर बनने का ख्वाब संजोने वाले युवा अब दफ्तरों में चाय, पानी पिलाने, फाइलों को इधर से उधर ले जाने के लिए तैयार हैं।
बेरोजगारी की भयावह तस्वीर का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि चपरासी के हर एक पद के लिए औसतन 6250 युवा दावेदार हैं। आवेदकों में 255 अभ्यर्थी डाक्ट्रेट उपाधि धारक (पीएचडी) हैं। डेढ़ लाख ग्रेजुएट ने चपरासी बनने के लिए आवेदन किया है।
इनमें बीए, बीएससी, बीकॉम के साथ ही बीबीए, बीसीए, बीटेक शामिल हैं। 25 हजार आवेदक पोस्ट ग्रेजुएट हैं। एमए, एमकॉम, एमएससी के साथ ही एमबीए जैसी उपाधियां प्राप्त युवा भी चपरासी बनने की कतार में हैं।
यह स्थिति तब है जब सचिवालय प्रशासन विभाग ने चपरासी के लिए न्यूनतम पांचवी पास योग्यता तय की थी। आवेदकों में सर्वाधिक संख्या दसवीं पास हैं। हाईस्कूल या उसके समकक्ष आवेदक 11.21 लाख हैं। 12वीं पास आवेदक 7.50 लाख हैं। 1415 अभ्यर्थी अन्य श्रेणियों के हैं जबकि 2681 की श्रेणियों का खुलासा नहीं है।
सचिवालय की थी ये दुविधा
चतुर्थ श्रेणी के 369 पदों पर 23 लाख से ज्यादा आवेदन आने पर सचिवालय प्रशासन के माथे पर बल पड़ गए थे। बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया था कि भर्ती कैसे की जाए।
आवेदकों को कैसे शॉर्ट लिस्ट किया जाए, साक्षात्कार कैसे लिए जाएं? यदि सभी आवेदकों के साक्षात्कार लिए गए तो महीनों, सालों में भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाएगी।
यदि हर रोज 2000 आवेदकों का साक्षात्कार लिया जाए तो 23 लाख के साक्षात्कार लेने में लगभग साढ़े तीन साल लग जाएंगे। ऐसे में एक संभावना यह भी है कि ज्यादा योग्यता वाले अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से अलग कर दिया जाएगा। दूसरी संभावना लिखित परीक्षा की सिफारिश करना भी हो सकती है।
बदले हालात में भर्ती व साक्षात्कार प्रक्रिया तय करने के लिए सचिवालय प्रशासन विभाग ने तीन विशेष सचिवों की कमेटी बनाई थी। इसी की रिपोर्ट आने के बाद यह फैसला हुआ है कि इन पदों के आवेदन प्रक्रिया अलग तरह से की जाएगी।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
लखनऊ सचिवालय में अरसे से चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्तियां नहीं हुईं थीं। इन पदों को भरने के लिए सरकार ने अगस्त में प्रक्रिया शुरू की थी। सचिवालय के चतुर्थ श्रेणी के 368 पदों के लिए विज्ञापन निकाले गए थे। इन पदों में अप्लाई करने की योग्यता कक्षा पांच थी, लेकिन यूपी की बेरोजगारी का आलम यह था कि 368 पदों के लिए सचिवालय के पास करीब 23लाख आवेदन आए थे।
मजे की बात यह थी कि इनमें से पांचवी पास की आर्हता रखने वाले बहुत कम थी। ज्यादातर आवेदक पढ़े-लिखे थे। कुछ आवेदकों ने बीटेक, एमबीए और पीएचडी भी कर रखी थी।
आवेदकों की इतनी बड़ी संख्या आने के बाद सचिवालय प्रशासन चकरा गया था। सूत्रों के अनुसार इतनी बड़ी संख्या में इंटरव्यू लेते-लेते सचिवालय प्रशासन को कई साल लग जाते।
इस मामले में दुविधा को देखते हुए सरकार ने इन पदों के लिए शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया पर रोक ही लगा दी है। इन पदों को भरने के लिए सचिवालय प्रशासन नई प्रक्रिया और नियमो के तहत पुनः विज्ञापन जारी करेगा।
255 पीएचडी धारकों ने चपरासी के लिए किया आवेदन
चपरासी के लिए आए करीब 23 लाख आवेदनों में 255 ऐसे थे जिन्होंने पीएचडी कर रखी थी। यह सभी वह नौकरी करने के लिए तैयार थे जिसकी योग्यता� पांचवी पास हो।
बेरोजगारी का आलम यह है कि पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद पीएचडी करके डिग्री कालेजों में प्रवक्ता, रीडर और प्रोफेसर बनने का ख्वाब संजोने वाले युवा अब दफ्तरों में चाय, पानी पिलाने, फाइलों को इधर से उधर ले जाने के लिए तैयार हैं।
बेरोजगारी की भयावह तस्वीर का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि चपरासी के हर एक पद के लिए औसतन 6250 युवा दावेदार हैं। आवेदकों में 255 अभ्यर्थी डाक्ट्रेट उपाधि धारक (पीएचडी) हैं। डेढ़ लाख ग्रेजुएट ने चपरासी बनने के लिए आवेदन किया है।
इनमें बीए, बीएससी, बीकॉम के साथ ही बीबीए, बीसीए, बीटेक शामिल हैं। 25 हजार आवेदक पोस्ट ग्रेजुएट हैं। एमए, एमकॉम, एमएससी के साथ ही एमबीए जैसी उपाधियां प्राप्त युवा भी चपरासी बनने की कतार में हैं।
यह स्थिति तब है जब सचिवालय प्रशासन विभाग ने चपरासी के लिए न्यूनतम पांचवी पास योग्यता तय की थी। आवेदकों में सर्वाधिक संख्या दसवीं पास हैं। हाईस्कूल या उसके समकक्ष आवेदक 11.21 लाख हैं। 12वीं पास आवेदक 7.50 लाख हैं। 1415 अभ्यर्थी अन्य श्रेणियों के हैं जबकि 2681 की श्रेणियों का खुलासा नहीं है।
सचिवालय की थी ये दुविधा
चतुर्थ श्रेणी के 369 पदों पर 23 लाख से ज्यादा आवेदन आने पर सचिवालय प्रशासन के माथे पर बल पड़ गए थे। बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया था कि भर्ती कैसे की जाए।
आवेदकों को कैसे शॉर्ट लिस्ट किया जाए, साक्षात्कार कैसे लिए जाएं? यदि सभी आवेदकों के साक्षात्कार लिए गए तो महीनों, सालों में भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाएगी।
यदि हर रोज 2000 आवेदकों का साक्षात्कार लिया जाए तो 23 लाख के साक्षात्कार लेने में लगभग साढ़े तीन साल लग जाएंगे। ऐसे में एक संभावना यह भी है कि ज्यादा योग्यता वाले अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से अलग कर दिया जाएगा। दूसरी संभावना लिखित परीक्षा की सिफारिश करना भी हो सकती है।
बदले हालात में भर्ती व साक्षात्कार प्रक्रिया तय करने के लिए सचिवालय प्रशासन विभाग ने तीन विशेष सचिवों की कमेटी बनाई थी। इसी की रिपोर्ट आने के बाद यह फैसला हुआ है कि इन पदों के आवेदन प्रक्रिया अलग तरह से की जाएगी।
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