72,825 भर्ती का वर्तमान सच... मेरी ये पोस्ट उन तमाम मक्कार, बेईमान और हरामखोर टीईटी नेताओं के मुंह पर एक जोरदार जूता...
मित्रो, 72,825 भर्ती आज भी 2011 के विज्ञापन के अनुसार चल रही है, भर्ती प्रक्रिया में आज भी कोई ऐसा अंतर नजर नहीं आ रहा है, जो 2011 के विज्ञापन के अनुसार 72,825 भर्ती से अलग हो।
फिर भी कुछ तथाकथित टेट लीडर इसे अपने तरीके से कराने पर तुले हुयें हैं, यही कारण है कि 25 मार्च 2014 के माननीय दत्तू जी के स्पष्ट आदेश के बावजूद भी इस भर्ती में दो वर्षों से 72,825 पद पूर्ण रूप से भर नहीं पा रहे हैं।
इसका प्रमुख कारण भारत की लचर न्याय व्यवस्था तो है ही, और उसके साथ-साथ स्वार्थ लोलुपता में लिप्त कुछ स्वार्थी तत्व जो प्रत्येक सुनवाई के दौरान अपने नियुक्त किये गये वकीलों द्वारा न्यायाधीशों के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न कराते हैं और न्यायाधीशों के समक्ष गलत तथ्य पेशकर कर न्यायपालिका को भ्रमित करते हैं, जिससे अस्पष्ट आदेश देने पर न्यायपालिका मजबूर होती है और ऐसे अस्पष्ट आदेश की अपने स्वार्थ सिद्धि के लिये ये स्वार्थी लीडर अपने मनमाफिक व्याख्या करके पीड़ित जन-जन को बरगलाने और धनार्जन का जरिया बनाकर अल्प समय में ही करोड़ों में खेल जाते हैं।
अब बात करते हैं कोर्ट के 1100 याचियों के राहत के आदेश की...
ऐसा प्रमुखता से कई आदेशों में होता है कि न्यायपालिका पीड़ित पक्ष को लाभ देती है, जो उस समय न्यायपालिका को उचित लगता है ,न्यायपालिका उसी अनुसार अपने आदेश से लाभ देती है, जिसे सरकारें और पीड़ित जन सभी मान्य करते हैं , लेकिन कुछ पैदाइशी हरामखोर टीईटी लीडर इस आदेश से लाभान्वित अभ्यर्थियों को 72,825 भर्ती से जोड़ रहे हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है क्योंकि 72,825 भर्ती एक विज्ञप्ति के अनुसार 'स्थाई' भर्ती है, जबकि 1100 याचियों की नियुक्ति एडहॉक बेस पर मतलब तदर्थ (अस्थाई) है और ऐसा किसी भी कानून में नहीं है कि स्थाई पदों को अस्थाई नियुक्ति से भर दे। फिर भी कोई नेता यदि मानने को तैयार नहीं है तो मुझे आकर बताये कि जिन 1100 याचियों में 862 लोगो को नियुक्ति मिली है, उनको 72,825 भर्ती में किस जिले में जोड़ा गया है??
मित्रो अब आते हैं क्राईटेरिया के मुद्दे पर...
दोस्तो, भारतीय राजपत्र और संविधान के अनुसार टीईटी परीक्षा में सामान्य के लिये 60% और शेष वर्गों के लिये 55% है और भारत में सभी जगह अध्यापक की प्राथमिक और जुनियर के लिये यही क्राईटेरिया सुनिश्चित है, और प्रत्येक भर्ती में इसी क्राईटेरिया के अभ्यर्थियों से आवेदन लिये जाते हैं और किसी भी भर्ती में 65/60% का क्राईटेरिया नहीं लगा है, तो ये 72,825 में ही कहाँ से लगेगा?
मित्रो, कोई भी केस न तो किसी भी बेंच में हमेशा के लिये रहता है और न ही किसी न्यायाधीष के अन्तर्गत। ये केस भी किसी और न्यायाधीष के अधीन हस्तारान्तित होगा और ये 65/60% का क्राईटेरिया भी खतम होगा दरअसल वर्तमान न्यायाधीष ने 2011 के विज्ञापन के कान्सेप्ट को कभी समझने की कोशिश ही नहीं की, बल्कि बिना आधार के हवाई फैसले दिये जाते रहे हैं और यही करण है कि 72,825 भर्ती आज तक अपने गंतव्य को नहीं पहुंच सकी।
मित्रो, अब बात करते हैं वर्तमान की ज्वलित समस्या 'याचियों' की नियुक्ति की...
तो दोस्तो, ये याची लाभ भी इसी भर्ती और न्यायपालिका की ही देन है, यदि कोर्ट ने 1100 याचियों को बिना गुणवत्ता परखे नियुक्ति दी है, तो 24 फरवरी का सभी याचियों को नियुक्ति देने के बारे में विभाग को निर्णय देने का फैसला भी इसी कोर्ट का है न कि किसी सरकार या किसी टीईटी लीडर का...
इसीलिये निश्चिंत रहें और मस्त रहें और अपने प्रोसेस को पूरा करें जो कि कंपलायंस पूर्ण होने तक होती है। बाकी इस भर्ती में जितने भी फर्जी वाडे में लिप्त चयनित लोग ,, जिनमें तथाकथित नेताओं की संख्या काफी है , उनका बाहर जाना तय है ,
मित्रो, सच्चाई तो और भी बहुत सी हैं पर इतनी सारे तथ्य इस पोस्ट में लिखने में असमर्थ हूँ..
धन्यवाद
आपका
विनय कुमार श्रीवास्तव
अधिवक्ता , उच्च न्यायालय
इलाहाबाद
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मित्रो, 72,825 भर्ती आज भी 2011 के विज्ञापन के अनुसार चल रही है, भर्ती प्रक्रिया में आज भी कोई ऐसा अंतर नजर नहीं आ रहा है, जो 2011 के विज्ञापन के अनुसार 72,825 भर्ती से अलग हो।
फिर भी कुछ तथाकथित टेट लीडर इसे अपने तरीके से कराने पर तुले हुयें हैं, यही कारण है कि 25 मार्च 2014 के माननीय दत्तू जी के स्पष्ट आदेश के बावजूद भी इस भर्ती में दो वर्षों से 72,825 पद पूर्ण रूप से भर नहीं पा रहे हैं।
इसका प्रमुख कारण भारत की लचर न्याय व्यवस्था तो है ही, और उसके साथ-साथ स्वार्थ लोलुपता में लिप्त कुछ स्वार्थी तत्व जो प्रत्येक सुनवाई के दौरान अपने नियुक्त किये गये वकीलों द्वारा न्यायाधीशों के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न कराते हैं और न्यायाधीशों के समक्ष गलत तथ्य पेशकर कर न्यायपालिका को भ्रमित करते हैं, जिससे अस्पष्ट आदेश देने पर न्यायपालिका मजबूर होती है और ऐसे अस्पष्ट आदेश की अपने स्वार्थ सिद्धि के लिये ये स्वार्थी लीडर अपने मनमाफिक व्याख्या करके पीड़ित जन-जन को बरगलाने और धनार्जन का जरिया बनाकर अल्प समय में ही करोड़ों में खेल जाते हैं।
अब बात करते हैं कोर्ट के 1100 याचियों के राहत के आदेश की...
ऐसा प्रमुखता से कई आदेशों में होता है कि न्यायपालिका पीड़ित पक्ष को लाभ देती है, जो उस समय न्यायपालिका को उचित लगता है ,न्यायपालिका उसी अनुसार अपने आदेश से लाभ देती है, जिसे सरकारें और पीड़ित जन सभी मान्य करते हैं , लेकिन कुछ पैदाइशी हरामखोर टीईटी लीडर इस आदेश से लाभान्वित अभ्यर्थियों को 72,825 भर्ती से जोड़ रहे हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है क्योंकि 72,825 भर्ती एक विज्ञप्ति के अनुसार 'स्थाई' भर्ती है, जबकि 1100 याचियों की नियुक्ति एडहॉक बेस पर मतलब तदर्थ (अस्थाई) है और ऐसा किसी भी कानून में नहीं है कि स्थाई पदों को अस्थाई नियुक्ति से भर दे। फिर भी कोई नेता यदि मानने को तैयार नहीं है तो मुझे आकर बताये कि जिन 1100 याचियों में 862 लोगो को नियुक्ति मिली है, उनको 72,825 भर्ती में किस जिले में जोड़ा गया है??
मित्रो अब आते हैं क्राईटेरिया के मुद्दे पर...
दोस्तो, भारतीय राजपत्र और संविधान के अनुसार टीईटी परीक्षा में सामान्य के लिये 60% और शेष वर्गों के लिये 55% है और भारत में सभी जगह अध्यापक की प्राथमिक और जुनियर के लिये यही क्राईटेरिया सुनिश्चित है, और प्रत्येक भर्ती में इसी क्राईटेरिया के अभ्यर्थियों से आवेदन लिये जाते हैं और किसी भी भर्ती में 65/60% का क्राईटेरिया नहीं लगा है, तो ये 72,825 में ही कहाँ से लगेगा?
मित्रो, कोई भी केस न तो किसी भी बेंच में हमेशा के लिये रहता है और न ही किसी न्यायाधीष के अन्तर्गत। ये केस भी किसी और न्यायाधीष के अधीन हस्तारान्तित होगा और ये 65/60% का क्राईटेरिया भी खतम होगा दरअसल वर्तमान न्यायाधीष ने 2011 के विज्ञापन के कान्सेप्ट को कभी समझने की कोशिश ही नहीं की, बल्कि बिना आधार के हवाई फैसले दिये जाते रहे हैं और यही करण है कि 72,825 भर्ती आज तक अपने गंतव्य को नहीं पहुंच सकी।
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मित्रो, अब बात करते हैं वर्तमान की ज्वलित समस्या 'याचियों' की नियुक्ति की...
तो दोस्तो, ये याची लाभ भी इसी भर्ती और न्यायपालिका की ही देन है, यदि कोर्ट ने 1100 याचियों को बिना गुणवत्ता परखे नियुक्ति दी है, तो 24 फरवरी का सभी याचियों को नियुक्ति देने के बारे में विभाग को निर्णय देने का फैसला भी इसी कोर्ट का है न कि किसी सरकार या किसी टीईटी लीडर का...
इसीलिये निश्चिंत रहें और मस्त रहें और अपने प्रोसेस को पूरा करें जो कि कंपलायंस पूर्ण होने तक होती है। बाकी इस भर्ती में जितने भी फर्जी वाडे में लिप्त चयनित लोग ,, जिनमें तथाकथित नेताओं की संख्या काफी है , उनका बाहर जाना तय है ,
मित्रो, सच्चाई तो और भी बहुत सी हैं पर इतनी सारे तथ्य इस पोस्ट में लिखने में असमर्थ हूँ..
धन्यवाद
आपका
विनय कुमार श्रीवास्तव
अधिवक्ता , उच्च न्यायालय
इलाहाबाद
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