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'यूपी बोर्ड परीक्षा नहीं, महज नकल की इंडस्ट्री'

कानपुर, जागरण संवाददाता: यूपी बोर्ड परीक्षाओं के दौरान होने वाली नकल को रोकने के लिए विभागीय अफसर कड़े इंतजाम तो करते हैं। मगर, पहले दिन से सारे इंतजामों पर पानी फिर जाता है।
इसका संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने माध्यमिक शिक्षा विभाग व यूपी बोर्ड के अफसरों को 2017 की परीक्षाओं के दौरान गंभीरता बरतने व परीक्षाओं को नकलविहीन कराने की बात कही। इस मामले पर जब शहर के प्रधानाचार्यो की राय ली गयी तो सभी ने अलग-अलग विचार रखे।
बीएनएसडी शिक्षा निकेतन के प्रधानाचार्य डॉ.अंगद सिंह ने कहा उत्तर प्रदेश में यूपी बोर्ड परीक्षा अब परीक्षा नहीं रह गई। वह एक नकल की इंडस्ट्री का रूप ले चुकी है। बोले, जब तक परीक्षा को इंडस्ट्री के रूप से असल परीक्षा के रूप में बदला नहीं जायेगा, तब तक यूपी बोर्ड की पुरानी साख वापस नहीं आ सकती।
खालसा इंटर कालेज गोविंद नगर के प्रधानाचार्य हेमराज सिंह का कहना था शिक्षा विभाग के अफसर चाह लें तो पूरा सिस्टम सुधर सकता है। वहीं ओंकारेश्वर सरस्वती विद्या निकेतन के प्रधानाचार्य राममिलन सिंह ने कहा परीक्षा केंद्रों को बनाते समय अफसरों को नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिये। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के प्रादेशिक महामंत्री श्रीकांत द्विवेदी ने उच्च न्यायालय की टिप्पणी को सटीक बताया। बोले, जिले स्तर पर केंद्रों का जो निर्धारण होता है वह ठीक नहीं। उस प्रक्रिया में बदलाव आना चाहिये। माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमरनाथ वर्मा का कहना था अभी इस संबंध में आदेश नहीं मिले हैं। अगर आदेश आता है तो उसका अनुपालन कराया जायेगा।
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