latest updates

latest updates

प्रबुद्ध व्यक्ति और न्यायपालिका TET को सिर्फ एक पात्रता परीक्षा ही मानती

बहुत दिनों से अकादमिक भर्तियों पर भयाक्रांत की विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है। जिसमे याचियों और गुणांक धारियों की गुणवत्ता न होने के बावजूद भी अपने को परिषदीय शिक्षक के रूप में नियोजित करवाने के लिए अनर्गल पैसो की बर्बादी और जी-तोड़ मेहनत में लगे पड़े है।
जबकि होना जाना इससे कुछ नहीं। याची बनना ही अगर गुणवत्ता का मानक हो जाता तो व्यवस्थापिका और कार्यपालिका का कोई भी अस्तित्व नही रह जाएगा। जो की संविधान का अतिक्रमण होगा।
टेट परीक्षा कभी भी गुणवत्ता का मानक/कसौटी नही बन सकती।
72825 में तदर्थ याचियों की नियुक्ति के बनाए गए ओवर ब्रिज पर अब सभी सवार होने की फिराक में है,,,,,कही ऐसा न हो की पुल ही ढय जाए।
72000 भर्ती में तदर्थ याचियों की नियुक्ति सरकारी वकील के संस्तुति पर ही हुई थी। इसमें न्यायपालिका का मनमाना आदेश बिलकुल भी नही था। इस भर्ती में सरकार अपनी क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है। अब एक भी बाहरी व्यक्ति दाखिल नही हो पायेगा। इसी वजह से सर्वोच्च न्यायालय आज तक नए रूप में याचियों को कंसीडर करने का डायरेक्ट आदेश जारी नही कर पायी।

कुछ मंदबुद्धि बालको और चाचियों है ये कहना है कि हमारी TET की वैधता कोर्ट एक्सटेंड कर देगी। ये बात उतनी ही सही है......जैसे हवा में लाठी मारना। क्योंकि NCTE की अधिसूचना में ये साफ़ साफ़ अंकित है कि TET की वैद्यता सिर्फ स्टेट/यूनियन ऑथोर्टीज़ ही बढ़ा सकती हैं जो की अधिकतम 7 वर्ष तक ही होगी।

यही दशा अब जूनियर और अन्य अकादमिक भर्तियों में चंद रुपयों के बल पर बने याचियों का होगा क्योंकि सरकार अब ऐसा कभी नही करेगी।।

हमारे अकादमिक साथियों में अभी भी जागरूकता का अभाव है। जो उनके लिए ही घातक होगा.....उनके साथ हम लोग भी जलेंगे।
इसलिए जियो और जीने दो।

आखिर कोर्ट ने टेट को सिर्फ पात्रता कैसे माना........

इसका खुलासा अगली क़िस्त की पोस्ट में.......
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

latest updates