2011 टेट उत्तीर्ण शिक्षामित्रों ने नियुक्ति की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई-कोर्ट ने की याचिका खारिज

2011 टेट उत्तीर्ण शिक्षामित्रों ने नियुक्ति की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई-कोर्ट ने की याचिका खारिज |
आज मा० न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल जी ने कोर्ट न० 17 में टेट 2011 उत्तीर्ण शिक्षामित्रों के द्वारा की गई दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है :-

ये रखी थी मांग :-
2)
क) प्रतिवादियों को आदेशित/निर्देशित किया जाए कि उनके द्वारा टेट 2011 (प्राथमिक लेवल) उत्तीर्ण किया गया था जिस पर विचार करते हुए उनको उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा संचालित आगामी भर्ती में प्रतिभाग करने के लिए मौका दिया जाए |
ख) प्रतिवादियों को आदेशित/निर्देशित किया जाए कि मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश संख्या सिविल अपील 9529/2017 दिनांक 25-07-2017 में उल्लेखित लाभ को ध्यान में रखते हुए टेट 2011 की मार्कशीट की वैधता को बढ़ाया जाए और नियुक्ति के लिए भी वैध माना जाए |

3) यह याचिका उन शिक्षामित्रों के द्वारा दाखिल की गई है जिनके पास सहायक अध्यापक पद के लिए न्यूनतम अहर्ता नहीं थी और मा० सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें सहायक अध्यापक पद के लिए योग्य नहीं माना है |

4) विद्वान अधिवक्ता श्रीमान अशोक खरे जी ने बताया कि उनके याची टेट उत्तीर्ण कर चुके हैं परन्तु उसकी वैधता पांच वर्ष की ही थी लेकिन प्रतिवादी इनके हित में कुछ नहीं कर रहे हैं जबकि इनकी सर्टिफिकेट की वैधता उसी दौरान समाप्त हुई है और इन्हें लाभ नहीं मिल पाया |

4) मेरे द्वारा (मा० न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल जी) पाया गया है कि सिविल अपील संख्या 4347-4375/2014 दिनांक 17-11-2017 के अंतरिम आदेश में टेट 2011 की वैधता के लिए अंतिम आदेश का हवाल दिया गया था लेकिन सिविल अपील संख्या 4347-4375/2014 दिनांक 25-07-2017 के अंतिम आदेश में इसके लिए कुछ नहीं कहा गया है | अंतिम आदेश के ओपेराटिव भाग में कहा गया है :-
*प्रश्न ये है कि किसी भी अधिकार को ध्यान में न रखते हुए , क्या शिक्षामित्र किसी भी प्रकार की राहत पाने के लिए अर्ह हैं | परिस्थिति को देखते हुए शिक्षामित्रों को सर्वप्रथम न्यूनतम अहर्ताओं को पूरा करना होगा और फिर अगली दो भर्ती में सरकार इन पर विचार करे (ओपन मेरिट कम्पीटिशन) और सम्बंधित अधिकारी/समीति के निर्णय के अनुसार इन्हें उम्र में छूट और इनके अनुभव के अधिकार पर कुछ भारांक दे दिया जाए | सरकार चाहे तो इन्हें समायोजन से पूर्व के पद (शिक्षामित्र पद) पर भेज सकती है |
*इसी के अनुसार हम हाई-कोर्ट के निर्णय को उपरोक्त उल्लेखित निरिक्षण के साथ बहाल करते हैं और इसी के साथ समस्त मेटर निस्तारित किये जाते हैं |

5) जब इस तथ्य पर मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विचार ही नहीं किया गया है और न ही कोई दिशा/निर्देश दिए गए हैं तो मेरे अनुसार याचियों द्वारा याचिका में की गई प्रार्थना का कोई औचित्य नहीं बनता है |

6) विद्वान अधिवक्ता अशोक खरे भी इस बात पर कोई विवाद नहीं मानते हैं कि समस्त मुद्दे मा० सर्वोच्च न्यायालय में उठाये जा चुके हैं लेकिन अंतिम आदेश में कहीं कुछ नहीं हैं फिर भी उनके अनुसार चूंकि वैधता समाप्त हो रही है तो स्टेट को विचार करने के लिए आदेशित/निर्देशित किया जाए | मेरे अनुसार इसमें मा० सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष ही क्लेरिफिकेशन/मॉडिफिकेशन डाल सकते हैं लेकिन जहाँ तक इस कोर्ट की बात है तो ये कोर्ट उस मुद्दे पर कोई आदेश नहीं देगी जिसमे मा० सर्वोच्च न्यायालय ने ही कोई टिप्पणी नहीं की है |

7) खारिज

Note :- 1) शिक्षामित्रों की कोई पुनर्विचार याचिका खारिज नहीं हुई है |

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