प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शाहंशाहपुर की जनसभा में शनिवार को
नारेबाजी हुई। पहले शिक्षामित्रों ने समायोजन के मुद्दे पर नारे लगाए।
थोड़ी देर बाद पूर्वांचल राज्य बनाओ समिति के बैनर तले कुछ लोगों ने दूसरी
बार मंच के पास जाकर नारेबाजी की। पुलिस ने 50 शिक्षामित्रों को हिरासत में
लिया है।
शिक्षामित्रों ने पहले ही घोषणा कर रखी थी कि वे प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान धरना-प्रदर्शन करेंगे। उनकी धमकी पर जिला और पुलिस प्रशासन सतर्क था। इसके बावजूद बड़ी संख्या में शिक्षामित्र सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देते हुए सभा स्थल तक पहुंचे गए। वे वीआईपी दीर्घा के ठीक पीछे वाली कुर्सियों पर बैठे थे। जैसे ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना संबोधन शुरू किया, शिक्षामित्र कुर्सियों पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। पहले तो लोगों ने सोचा की सीएम के समर्थन में नारे लगा रहे हैं। 'शिक्षामित्र एकता जिंदाबाद' और 'अपना वादा पूरा करो' जैसे नारे गूंजने लगे तो पुलिस हरकत में आई।
भाजपा पदाधिकारी उनकी तरफ दौड़े। उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने। नारेबाजी चलती रही। इस बीच पूर्वांचल राज्य बनाने की मांग करती हुई कुछ महिलाएं मंच तक दौड़ गई। पुलिसकर्मियों ने किसी तरह उन्हें हटाया। मुख्यमंत्री का भाषण समाप्त होने के बाद जैसे ही प्रधानमंत्री ने बोलना शुरू किया शिक्षामित्रों की नारेबाजी शुरू हो गई। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी ने फिर समझाने की कोशिश की लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थे।
जवाब में भाजपा कार्यकर्ताओं ने 'मोदी-मोदी' का नारा लगना शुरू किया। शोरगुल इतना बढ़ गया कि पीछे वालों को पीएम का भाषण सुनाई ही नहीं दे रहा था। बात बढ़ती देख बड़ी संख्या में पीएसी बुलाई गई। उन्होंने चारो ओर से शिक्षामित्रों को घेरे में ले लिया।
पीएम ने ध्यान ही नहीं दिया
प्रधानमंत्री के रुख से जाहिर हो गया कि शिक्षामित्रों के पक्ष में अब कुछ नहीं होने वाला है। शिक्षामित्रों के इतने हंगामे के बावजूद प्रधानमंत्री ने उनकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया। उन्होंने अपना संबोधन जारी रखा। जबकि शिक्षामित्र नारेबाजी कर उनका ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे थे। ऐसा ही उन्होंने 2015 में डीरेका में आयोजित सभा में किया। उस समय प्रधानमंत्री ने उनकी समस्याओं का जिक्र किया था।
आखिर कैसे पहुंचे शिक्षामित्र
सभा के बाद वहां यह सवाल उठ रहा था कि इतनी सुरक्षा के बावजूद शिक्षामित्र वहां कैसे पहुंच गए। सूत्रों का कहना है कि बड़ी संख्या में आसपास के जिलों से शिक्षामित्र तीन दिन पहले ही पहुंच गए। उन्होंने किसी तरह सभा में पहुंचने के जारी निमंत्रण पत्र हासिल कर लिया। उनके हाथों में निमंत्रण पत्र दिख रहा था। इस पर उनका नाम और आधार कार्ड नंबर लिखा था। प्रशासन ने उनको चकमा देने के लिए पांच शिक्षामित्रों को प्रधानमंत्री से मिलवाने का आश्वासन दिया। जब ये शनिवार को डीरेका पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। पीएम से नहीं मिलवाया।
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शिक्षामित्रों ने पहले ही घोषणा कर रखी थी कि वे प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान धरना-प्रदर्शन करेंगे। उनकी धमकी पर जिला और पुलिस प्रशासन सतर्क था। इसके बावजूद बड़ी संख्या में शिक्षामित्र सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देते हुए सभा स्थल तक पहुंचे गए। वे वीआईपी दीर्घा के ठीक पीछे वाली कुर्सियों पर बैठे थे। जैसे ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना संबोधन शुरू किया, शिक्षामित्र कुर्सियों पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। पहले तो लोगों ने सोचा की सीएम के समर्थन में नारे लगा रहे हैं। 'शिक्षामित्र एकता जिंदाबाद' और 'अपना वादा पूरा करो' जैसे नारे गूंजने लगे तो पुलिस हरकत में आई।
भाजपा पदाधिकारी उनकी तरफ दौड़े। उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने। नारेबाजी चलती रही। इस बीच पूर्वांचल राज्य बनाने की मांग करती हुई कुछ महिलाएं मंच तक दौड़ गई। पुलिसकर्मियों ने किसी तरह उन्हें हटाया। मुख्यमंत्री का भाषण समाप्त होने के बाद जैसे ही प्रधानमंत्री ने बोलना शुरू किया शिक्षामित्रों की नारेबाजी शुरू हो गई। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी ने फिर समझाने की कोशिश की लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थे।
जवाब में भाजपा कार्यकर्ताओं ने 'मोदी-मोदी' का नारा लगना शुरू किया। शोरगुल इतना बढ़ गया कि पीछे वालों को पीएम का भाषण सुनाई ही नहीं दे रहा था। बात बढ़ती देख बड़ी संख्या में पीएसी बुलाई गई। उन्होंने चारो ओर से शिक्षामित्रों को घेरे में ले लिया।
पीएम ने ध्यान ही नहीं दिया
प्रधानमंत्री के रुख से जाहिर हो गया कि शिक्षामित्रों के पक्ष में अब कुछ नहीं होने वाला है। शिक्षामित्रों के इतने हंगामे के बावजूद प्रधानमंत्री ने उनकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया। उन्होंने अपना संबोधन जारी रखा। जबकि शिक्षामित्र नारेबाजी कर उनका ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे थे। ऐसा ही उन्होंने 2015 में डीरेका में आयोजित सभा में किया। उस समय प्रधानमंत्री ने उनकी समस्याओं का जिक्र किया था।
आखिर कैसे पहुंचे शिक्षामित्र
सभा के बाद वहां यह सवाल उठ रहा था कि इतनी सुरक्षा के बावजूद शिक्षामित्र वहां कैसे पहुंच गए। सूत्रों का कहना है कि बड़ी संख्या में आसपास के जिलों से शिक्षामित्र तीन दिन पहले ही पहुंच गए। उन्होंने किसी तरह सभा में पहुंचने के जारी निमंत्रण पत्र हासिल कर लिया। उनके हाथों में निमंत्रण पत्र दिख रहा था। इस पर उनका नाम और आधार कार्ड नंबर लिखा था। प्रशासन ने उनको चकमा देने के लिए पांच शिक्षामित्रों को प्रधानमंत्री से मिलवाने का आश्वासन दिया। जब ये शनिवार को डीरेका पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। पीएम से नहीं मिलवाया।
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