वाराणसी। समान कार्य समान वेतन समेत विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे शिक्षामित्रों की परेशानी आज एक बार फिर बढ़ गई। शहंशाहपुर में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में हंगामा करने पर रोहनियां पुलिस ने तीन दर्जन से ज्यादा शिक्षामित्रों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
जेल जाने वाले 37 शिक्षामित्रों में दस महिला शिक्षामित्र भी शामिल हैं। पुलिस की इस कार्रवाई से शिक्षामित्रों में जबरदस्त रोष व्याप्त है।
शहंशापुर में मोदी का कार्यक्रम चल ही रहा था कि पुलिस व प्रशासन को चकमा देकर पहुंचे हजारों की संख्या में से सैकड़ों शिक्षामित्रों ने हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी।
कहा जा रहा है कि शिक्षामित्रों को उम्मीद थी कि इस तरह से उनकी आवाज प्रधानमंत्री तक पहुंच जाएगी। हालांकि ऐसा नहीं हो सका। वहीं प्रधानमंत्री की मौजूदगी में शिक्षामित्रों को हंगामा करते देख पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में पुलिस व सुरक्षा में लगे जवानों ने शिक्षामित्रों को काबू में कर रोहनियां कोतवाली पहुंचाया।
इंस्पेक्टर रोहनिया क्षितिज त्रिपाठी ने बताया कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम समाप्ति की ओर था उसी समय विभिन्न जिलों से आए शिक्षामित्रों ने हंगामा शुरू कर दिया। जिसके बाद हंगामा कर रहे शिक्षामित्रों को गिरफ्तार कर थाने लाया गया और धारा 151 के तहत चालान कर न्यायालय में पेश किया गया। जहां से सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
जेल जाने वाले शिक्षामित्रों में चार वाराणसी के जबकि बाकी इलाहाबाद, गाजीपुर, बलिया, मिर्जापर, सोनभद्र, सीतापुर, आजमगढ़, फैजाबाद, रायबरेली समेत अन्य जिलों के रहने वाले है।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के संगठन मंत्री श्रीराम द्विवेदी ने कहा कि हक मांगने पर शिक्षामित्रों को जेल भिजवा दिया जाना सरकार की सरासर नाइंसाफी है। सरकार की इस तरह की कार्रवाई अंग्रेजी कानून की याद दिला रही है।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील भदौरिया ने बताया कि प्रशासन की ओर से शिक्षामित्र के पांच सदसीय मंडल को आज सुबह डीएलडब्लू स्थित गेस्ट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलाने की बात कही गई थी।
जिसके लिए उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष अजय कुमार सिंह, आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अमरेंद्र कुमार दूबे, स्मिता राय, प्रतिमा दूबे व सीमा मिश्रा का पास भी बनाया गया था, लेकिन प्रशासन ने शिक्षामित्रों के साथ धोखा करते हुए उन लोगों को प्रधानमंत्री से नहीं मिलाया। इतना ही नहीं शाम करीब साढ़े छह बजे तक प्रतिनिधि मंडल के पांचों शिक्षामित्रों का कुछ पता भी नहीं चल सका वह कहां हैं, जबकि उनके मोबाइल भी बंद जा रहे है। इन सबसे प्रदेश सरकार की मंशा साफ झलक रही है कि वह शिक्षामित्रों के हित के लिए कुछ करने की जगह सिर्फ उनका दमन करना चाहती है ।
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जेल जाने वाले 37 शिक्षामित्रों में दस महिला शिक्षामित्र भी शामिल हैं। पुलिस की इस कार्रवाई से शिक्षामित्रों में जबरदस्त रोष व्याप्त है।
शहंशापुर में मोदी का कार्यक्रम चल ही रहा था कि पुलिस व प्रशासन को चकमा देकर पहुंचे हजारों की संख्या में से सैकड़ों शिक्षामित्रों ने हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी।
कहा जा रहा है कि शिक्षामित्रों को उम्मीद थी कि इस तरह से उनकी आवाज प्रधानमंत्री तक पहुंच जाएगी। हालांकि ऐसा नहीं हो सका। वहीं प्रधानमंत्री की मौजूदगी में शिक्षामित्रों को हंगामा करते देख पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में पुलिस व सुरक्षा में लगे जवानों ने शिक्षामित्रों को काबू में कर रोहनियां कोतवाली पहुंचाया।
इंस्पेक्टर रोहनिया क्षितिज त्रिपाठी ने बताया कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम समाप्ति की ओर था उसी समय विभिन्न जिलों से आए शिक्षामित्रों ने हंगामा शुरू कर दिया। जिसके बाद हंगामा कर रहे शिक्षामित्रों को गिरफ्तार कर थाने लाया गया और धारा 151 के तहत चालान कर न्यायालय में पेश किया गया। जहां से सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
जेल जाने वाले शिक्षामित्रों में चार वाराणसी के जबकि बाकी इलाहाबाद, गाजीपुर, बलिया, मिर्जापर, सोनभद्र, सीतापुर, आजमगढ़, फैजाबाद, रायबरेली समेत अन्य जिलों के रहने वाले है।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के संगठन मंत्री श्रीराम द्विवेदी ने कहा कि हक मांगने पर शिक्षामित्रों को जेल भिजवा दिया जाना सरकार की सरासर नाइंसाफी है। सरकार की इस तरह की कार्रवाई अंग्रेजी कानून की याद दिला रही है।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील भदौरिया ने बताया कि प्रशासन की ओर से शिक्षामित्र के पांच सदसीय मंडल को आज सुबह डीएलडब्लू स्थित गेस्ट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलाने की बात कही गई थी।
जिसके लिए उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष अजय कुमार सिंह, आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अमरेंद्र कुमार दूबे, स्मिता राय, प्रतिमा दूबे व सीमा मिश्रा का पास भी बनाया गया था, लेकिन प्रशासन ने शिक्षामित्रों के साथ धोखा करते हुए उन लोगों को प्रधानमंत्री से नहीं मिलाया। इतना ही नहीं शाम करीब साढ़े छह बजे तक प्रतिनिधि मंडल के पांचों शिक्षामित्रों का कुछ पता भी नहीं चल सका वह कहां हैं, जबकि उनके मोबाइल भी बंद जा रहे है। इन सबसे प्रदेश सरकार की मंशा साफ झलक रही है कि वह शिक्षामित्रों के हित के लिए कुछ करने की जगह सिर्फ उनका दमन करना चाहती है ।
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