नई दिल्ली : बोर्ड परीक्षाओं में ग्रेड सुधारने के चक्कर में बढ़ाकर दिए जाने वाले अंकों (माडरेट नंबर) का खेल अब खत्म होगा। बोर्डो के लिए बगैर किसी वाजिब वजह के नंबर बढ़ाना संभव नहीं होगा।
सहित सभी बोर्डो के साथ इस मुद्दे पर पिछले साल ही सहमति बन गई थी। लेकिन, इसके बाद भी कुछ राज्यों में इसे बंद नहीं किया गया।1मानव संसाधन विकास मंत्रलय के स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव अनिल स्वरूप ने इसे देखते हुए सभी बोर्डो को एडवाइजरी जारी की है। साथ ही कहा है कि परीक्षा मूल्यांकन की विश्वसनीयता के लिए माडरेट व्यवस्था ठीक नहीं है। ऐसे में इस प्रथा को तुरंत बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि पिछले साल ही सभी राज्यों के बोर्ड इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए सहमत हो गए थे, लेकिन जब तक इसे लागू किया जाता, उससे पहले ही ज्यादातर राज्यों में परीक्षाएं हो चुकी थीं। ऐसे में इस पर से अमल नहीं हो सका था। उन्होंने राज्यों को भेजी एडवाइजरी में कहा कि बोर्ड अब सिर्फ उन्हीं परिस्थितियों में माडरेट नंबर दे सकेंगे, जब प्रश्न पत्र में गलती हो गई हो या वह स्पष्ट न हो। ऐसी स्थिति में बढ़ाकर दिए जाने वाले नंबरों की जानकारी बोर्ड को हर साल अपनी बेवसाइट पर देने के लिए कहा गया है। एडवाइजरी में परीक्षाओं के मूल्यांकन के लिए एक स्टैंडर्ड फामरूला भी तैयार करने की बात कही गई है। इसके लिए सभी राज्यों से सलाह भी मांगी है। जिसकी अंतिम तारीख 31 अक्टूबर है।’परीक्षाओं में ग्रेड सुधारने के लिए बोर्ड देते हैं बढ़ाकर नंबर1’मूल्यांकन को तैयार होगा एक स्टैंडर्ड फामरूला, राज्यों से मांगी राय 1फेल होने से बचाना है तो ग्रेस मार्क दिए जाएं1मंत्रलय ने कहा है कि यदि छात्रों को फेल होने से बचाना है, तो उन्हें ग्रेस मार्क दिए जा सकते हैं। पर ये कितने दिए जाएं, राज्य इसे अपने स्तर पर तय कर सकते हैं। अंकतालिका में इसकी जानकारी देने या नहीं देने का निर्णय भी राज्यों का रहेगा। बता दें कि कई राज्यों में 10वीं और 12वीं के अतिरिक्त आठवीं की परीक्षा भी बोर्ड से होती है। ऐसे में छोटी कक्षाओं में बड़ी संख्या में छात्रों को फेल होने के बचाने के लिए ग्रेस मॉर्क्स देने जैसी व्यवस्था है।
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सहित सभी बोर्डो के साथ इस मुद्दे पर पिछले साल ही सहमति बन गई थी। लेकिन, इसके बाद भी कुछ राज्यों में इसे बंद नहीं किया गया।1मानव संसाधन विकास मंत्रलय के स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव अनिल स्वरूप ने इसे देखते हुए सभी बोर्डो को एडवाइजरी जारी की है। साथ ही कहा है कि परीक्षा मूल्यांकन की विश्वसनीयता के लिए माडरेट व्यवस्था ठीक नहीं है। ऐसे में इस प्रथा को तुरंत बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि पिछले साल ही सभी राज्यों के बोर्ड इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए सहमत हो गए थे, लेकिन जब तक इसे लागू किया जाता, उससे पहले ही ज्यादातर राज्यों में परीक्षाएं हो चुकी थीं। ऐसे में इस पर से अमल नहीं हो सका था। उन्होंने राज्यों को भेजी एडवाइजरी में कहा कि बोर्ड अब सिर्फ उन्हीं परिस्थितियों में माडरेट नंबर दे सकेंगे, जब प्रश्न पत्र में गलती हो गई हो या वह स्पष्ट न हो। ऐसी स्थिति में बढ़ाकर दिए जाने वाले नंबरों की जानकारी बोर्ड को हर साल अपनी बेवसाइट पर देने के लिए कहा गया है। एडवाइजरी में परीक्षाओं के मूल्यांकन के लिए एक स्टैंडर्ड फामरूला भी तैयार करने की बात कही गई है। इसके लिए सभी राज्यों से सलाह भी मांगी है। जिसकी अंतिम तारीख 31 अक्टूबर है।’परीक्षाओं में ग्रेड सुधारने के लिए बोर्ड देते हैं बढ़ाकर नंबर1’मूल्यांकन को तैयार होगा एक स्टैंडर्ड फामरूला, राज्यों से मांगी राय 1फेल होने से बचाना है तो ग्रेस मार्क दिए जाएं1मंत्रलय ने कहा है कि यदि छात्रों को फेल होने से बचाना है, तो उन्हें ग्रेस मार्क दिए जा सकते हैं। पर ये कितने दिए जाएं, राज्य इसे अपने स्तर पर तय कर सकते हैं। अंकतालिका में इसकी जानकारी देने या नहीं देने का निर्णय भी राज्यों का रहेगा। बता दें कि कई राज्यों में 10वीं और 12वीं के अतिरिक्त आठवीं की परीक्षा भी बोर्ड से होती है। ऐसे में छोटी कक्षाओं में बड़ी संख्या में छात्रों को फेल होने के बचाने के लिए ग्रेस मॉर्क्स देने जैसी व्यवस्था है।
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