यूपी बोर्ड चला हाईकोर्ट की राह पर
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने अभिलेखों को स्कैन करके ऑनलाइन अपलोड किया जा रहा है, उसी राह पर अब यूपी बोर्ड भी चल पड़ा है।
यहां ऑनलाइन पंजीकरण व परीक्षा शुल्क जमा कराने के भी निर्देश हुए हैं। उसके लिए भी तैयारियां चल रही हैं, जबकि ऑनलाइन मान्यता के लिए आवेदन करने का कार्य शुरू हो चुका है।
इलाहाबाद
एक क्लिक पर वर्षो पुराने शैक्षिक अभिलेख कंप्यूटर या मोबाइल की स्क्रीन पर होंगे। सुनने में भले ही यह सहज लगता है, लेकिन यह काम बहुत बड़ा है। वजह यूपी बोर्ड से हर साल लाखों परीक्षार्थी हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं। उन नये-पुराने सभी के रिकॉर्ड को स्कैन करके वेबसाइट पर अपलोड करना मैराथन प्रक्रिया का हिस्सा है। प्रदेश सरकार के आदेश के बाद भी उसकी रफ्तार बेहद धीमी है। ऐसे में तय समय पर काम पूरा कराना चुनौती भरा है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड ने तकनीक के साथ कदमताल कर रहा है। कक्षा 9 व 11 के पंजीकरण और 10 व 12 के परीक्षा फार्म ऑनलाइन भरवाने के बाद बोर्ड तेजी से इस दिशा में बढ़ा है। अब तमाम कार्य यहां ऑनलाइन हो रहे हैं। बोर्ड ने 1975 से लेकर अब तक के शैक्षिक रिकॉर्ड को भी ऑनलाइन अपलोड कराने का प्रस्ताव भेजा था। उस पर कुछ माह पहले ही मंजूरी मिल गई है। शासन ने यह कार्य समयबद्ध तरीके से करने के निर्देश दिए हैं। यानी किस वर्ष तक के अभिलेख कब तक ऑनलाइन अपलोड हो इसकी समय सारिणी जारी हुई है। तीन वर्ष के रिकॉर्ड 30 अक्टूबर तक जारी होने थे, लेकिन यह कार्य परीक्षा तैयारियों के कारण पूरा नहीं हो पाया है।
अभिलेख सत्यापन में होगी सुविधा : इस कार्य का सबसे बड़ा फायदा अभिलेखों के सत्यापन में होगा। नियुक्ति के बाद अफसर अपने कार्यालय में बैठकर ही सत्यापन कर सकेंगे। उन्हें पत्रवली बोर्ड भेजने की जरूरत नहीं होगी। फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा, क्योंकि पिछले वर्षो में अंक व प्रमाणपत्र में हेराफेरी करके नियुक्तियां होने का मामला सामने आ चुका है। अभ्यर्थियों को भी भागदौड़ से निजात मिलेगी।तीन फेज में पूरा हो काम 1बोर्ड ने यह कार्य दो चरणों में पूरा कराने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन शासन ने इसे बदलकर तीन चरण बना दिए हैं। दूसरा चरण 26 जनवरी 2018 व तीसरा चरण 15 अगस्त, 2018 में पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव का कहना है कि अगले माह से इसका असर दिखेगा। हर काम तेजी से हो रहा है। तय समय में कार्य हर हाल में पूरा करेंगे।
पुराने अभिलेख करने होंगे स्कैन
यूपी बोर्ड ने इधर के करीब 15 वर्षो का काफी हिस्सा ऑनलाइन अपलोड कर रखा है, लेकिन उसे अपडेट किया जाना है। क्योंकि सारे रिकॉर्ड अंक-सहप्रमाणपत्र की तरह नहीं है। वहीं, पुराने रिकॉर्ड स्कैन करके ही अपलोड होंगे। 1990 से पहले के रिकॉर्ड खोजकर अपलोड करने में वक्त लगेगा। इसके लिए विशेषज्ञों का सहारा लिया जाएगा। स्कैनिंग का काम पूरा होने के साथ ही उसे बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने अभिलेखों को स्कैन करके ऑनलाइन अपलोड किया जा रहा है, उसी राह पर अब यूपी बोर्ड भी चल पड़ा है।
यहां ऑनलाइन पंजीकरण व परीक्षा शुल्क जमा कराने के भी निर्देश हुए हैं। उसके लिए भी तैयारियां चल रही हैं, जबकि ऑनलाइन मान्यता के लिए आवेदन करने का कार्य शुरू हो चुका है।
इलाहाबाद
एक क्लिक पर वर्षो पुराने शैक्षिक अभिलेख कंप्यूटर या मोबाइल की स्क्रीन पर होंगे। सुनने में भले ही यह सहज लगता है, लेकिन यह काम बहुत बड़ा है। वजह यूपी बोर्ड से हर साल लाखों परीक्षार्थी हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं। उन नये-पुराने सभी के रिकॉर्ड को स्कैन करके वेबसाइट पर अपलोड करना मैराथन प्रक्रिया का हिस्सा है। प्रदेश सरकार के आदेश के बाद भी उसकी रफ्तार बेहद धीमी है। ऐसे में तय समय पर काम पूरा कराना चुनौती भरा है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड ने तकनीक के साथ कदमताल कर रहा है। कक्षा 9 व 11 के पंजीकरण और 10 व 12 के परीक्षा फार्म ऑनलाइन भरवाने के बाद बोर्ड तेजी से इस दिशा में बढ़ा है। अब तमाम कार्य यहां ऑनलाइन हो रहे हैं। बोर्ड ने 1975 से लेकर अब तक के शैक्षिक रिकॉर्ड को भी ऑनलाइन अपलोड कराने का प्रस्ताव भेजा था। उस पर कुछ माह पहले ही मंजूरी मिल गई है। शासन ने यह कार्य समयबद्ध तरीके से करने के निर्देश दिए हैं। यानी किस वर्ष तक के अभिलेख कब तक ऑनलाइन अपलोड हो इसकी समय सारिणी जारी हुई है। तीन वर्ष के रिकॉर्ड 30 अक्टूबर तक जारी होने थे, लेकिन यह कार्य परीक्षा तैयारियों के कारण पूरा नहीं हो पाया है।
अभिलेख सत्यापन में होगी सुविधा : इस कार्य का सबसे बड़ा फायदा अभिलेखों के सत्यापन में होगा। नियुक्ति के बाद अफसर अपने कार्यालय में बैठकर ही सत्यापन कर सकेंगे। उन्हें पत्रवली बोर्ड भेजने की जरूरत नहीं होगी। फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा, क्योंकि पिछले वर्षो में अंक व प्रमाणपत्र में हेराफेरी करके नियुक्तियां होने का मामला सामने आ चुका है। अभ्यर्थियों को भी भागदौड़ से निजात मिलेगी।तीन फेज में पूरा हो काम 1बोर्ड ने यह कार्य दो चरणों में पूरा कराने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन शासन ने इसे बदलकर तीन चरण बना दिए हैं। दूसरा चरण 26 जनवरी 2018 व तीसरा चरण 15 अगस्त, 2018 में पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव का कहना है कि अगले माह से इसका असर दिखेगा। हर काम तेजी से हो रहा है। तय समय में कार्य हर हाल में पूरा करेंगे।
पुराने अभिलेख करने होंगे स्कैन
यूपी बोर्ड ने इधर के करीब 15 वर्षो का काफी हिस्सा ऑनलाइन अपलोड कर रखा है, लेकिन उसे अपडेट किया जाना है। क्योंकि सारे रिकॉर्ड अंक-सहप्रमाणपत्र की तरह नहीं है। वहीं, पुराने रिकॉर्ड स्कैन करके ही अपलोड होंगे। 1990 से पहले के रिकॉर्ड खोजकर अपलोड करने में वक्त लगेगा। इसके लिए विशेषज्ञों का सहारा लिया जाएगा। स्कैनिंग का काम पूरा होने के साथ ही उसे बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
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