बुलंद इरादों से ऊंची उड़ान भर रहे बेसिक के शिक्षक

 शाहजहांपुर : सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरा मकसद है कि सूरत बदलनी चाहिए.., बदहाल शिक्षा के लिए बदनाम बेसिक के स्कूलों में अब कवि की ये पंक्तियां चरितार्थ हो रही है।
एक, दो नहीं बेसिक शिक्षा विभाग के दर्जनों शिक्षकों ने मेहनत, मेधा व बुलंद इरादों से विद्यालयों की तस्वीर ही बदल दी है। नवाचार से बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कांट ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय पड़ैचा के प्रधानाध्यापक सुभाष चंद्र मिश्रा को शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। स्वच्छता व स्कूल सज्जा में अकर्रा रसूलपुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक कई पुरस्कार पा चुके हैं। हथौड़ा की सुख¨वदर कौर व चिनौर के दिव्यांग शिक्षक पंकज वर्मा के उत्कृष्ट कार्यों के लिए मॉडल स्कूल प्रधानाध्यापक का गौरव प्रदान किया गया। कई और ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने समय, श्रम, साध्य व सहयोग से बदहाल स्कूलों को सीबीएसई पैटर्न का रूप देकर शैक्षिक गुणवत्ता व सज्जा में बेहतर बना दिया।
बदहाल स्कूल को बना दिया सीबीएसई से बेहतर
भावलखेड़ा विकास खंड का प्राथमिक विद्यालय जमालपुर की साल भर पूर्व तक ब्लाक के सबसे बदहाल व जर्जर विद्यालयों में गिनती थी। अक्टूबर 2016 में अभिषेक दीक्षित ने प्रधानाध्यापक तथा दिसंबर 16 में ही मयंक भूषण पांडेय ने सहायक अध्यापक के रूप में कार्यभार संभाला। दोनों शिक्षकों ने निजी खर्च से विद्यालय की मरम्मत कराई। आर्थिक संकट पर ग्राम प्रधान रमेश चंद्र व अभिभावकों का सहयोग लिया। सरकारी सहयोग बगैर ही तीन माह में ही विद्यालय सीबीएसई से बेहतर बन गया।
विद्यार्थियों व शिक्षकों की गठित की कैबिनेट
विद्यार्थियों के संर्वांगीण विकास के साथ ही शिक्षकों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए डान एंड डोना स्कूल प्रधानाचार्य रहे मंयक भूषण पांडेय ने कैबिनेट गठन का प्रस्ताव रखा। कैबिनेट में एडमिनिस्ट्रेटर, एकेडमिक- कल्चरल-स्पोर्टस कोआर्डिनेटर आदि पद सृजित किए गए। इसी तरह अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन ¨सह, अशफाक उल्ला खां तथा मौलवी अहमद उल्ला शाह के नाम से हाउस बनाकर बाघा बार्डर की तर्ज पर मार्च व ध्वज बदलने की परंपरा शुरू की गई। बालक व बालिका वर्ग में स्कूल कैप्टन व मानीटर भी बनाए गए।
नन्हें पंख उंची उड़ान का दिया स्लोगन
अभिषेक व मयंक ने विद्यालय को नन्हें पंख ऊंची उड़ान का स्लोगन देकर नई पहचान दी। सरकारी ड्रेस के साथ निजी स्तर से बच्चों को बेल्ट मुहैया कराई। आउट पास की व्यवस्था से बच्चों को अनुशासन का नया मंत्र दिया।
आठ गुनी बढ़ी छात्र संख्या
अक्टूबर 2016 से पूर्व जमालपुर में 70 बच्चे पंजीकृत थे, इनमें रोजाना बीस तीस ही आते थे। विद्यालय के नए कलेवर में आते ही छात्र संख्या साल भर में बढ़कर 240 पर पहुंच गई। दो छात्र प्रतिभाखोज परीक्षा में पास हुए।
प्रेरणा स्त्रोत को समर्पित की लैब
शोएब ने विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित करने की प्रेरणा नाम खंड शिक्षा अधिकारी मनोज बोस से मिली। उन्होंने आर्थिक सहयोग भी किया। शोएब ने लैब का नाम मनोज बोस के नाम पर ही रख दिया। हालांकि अब बोस का हरदोई तबादल हो गया है, लेकिन शोएब बोस को ही अपना प्रेरक आदर्श मान बच्चों को विज्ञान का ज्ञान दे रहे हैं।
शत प्रतिशत उपस्थित पर बच्चों को पुरस्कार
शोएब ने शत प्रतिशत उपस्थिति के लिए प्रति माह छात्रों को पुरस्कृत करने की भी योजना शुरू की है। इससे 90 फीसद तक बच्चों की उपस्थिति रहती है। शोएब की उपलब्धि के लिए कई मंचों से उन्हें भी पुरस्कृत किया जा चुका है।
इंसेट
शिक्षकों की राय
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कलाम की तरह बने स्कूल के बच्चे
फोटो 10एसएचएन 23
विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित करने का मकसद गांव के बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ ही उन्हें सीबीएसई सकूलों में पढ़े बच्चों से बेहतर बनाना है। मेरा सपना है कि स्कूल के पढ़े बच्चे एपीजे कलाम की तरह नाम रोशन करें। इंटर तक के बच्चों के लिए लैब ज्ञानार्जन में सहायक है।
शोएब अहमद, विज्ञान शिक्षक, उच्च प्राथमिक विद्यालय शहबाजपुर
विद्यालय को मंदिर व शिक्षा को मिशन बनाने की जरूरत
डोना एंड डोना स्कूल ¨प्रसिपल से त्यागपत्र देकर जब बेसिक शिक्षा को ज्वाइन किया तो कई लोगों ने मजाक उड़ाया। लेकिन मैने तस्वीर बदलने की ठान ली। जमलापुर विद्यालय सबसे बदहाल था। मैंने इस विद्यालय को चुनौती के रूप में लिया। विद्यालय की तस्वीर बदलने के साथ ही शिक्षा में बच्चों को जिला स्तर पर पहचान दिलाकर बेहद अच्छा लगा।
मयंक भूषक पांडेय, सअ. प्रावि जमालपुर
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टीम वर्क में गजब की ताकत
जमालपुर प्राथमिक विद्यालय की जिले में पहचान बनाने में टीम वर्क बेहद प्रभावी रहा। मयंक भूषण के साथ ही अन्य सभी शिक्षकों ने सहयोग किया। ग्राम प्रधान व अभिभावकों ने भी हिम्मत दी। मेरा मानाना है कि यदि टीम भावना से काम किया जाए तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
अभिषेक दीक्षित, प्रधानाध्यापक प्रावि जमालपुर
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रोहिताश बने मिसाल
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बाजिदपुर जर्जर था। ग्रामीणों ने अतिक्रमण भी कर लिया था। एबीआरसी पद से हटने के बाद बदहाल विद्यालय को नई पहचान देने की ठान ली। पास से पैसे खर्च कर काम शुरू करा दिया। विद्यालय के अन्य शिक्षक व अभिभावक भी मददगार बने। साल भर में 1.80 लाख से विद्यालय की बाउंड़ी बाल बन गई। शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार आया और छात्र संख्या भी बढ़ी।

रोहिताश, विज्ञान शिक्षक- पूमावि बाजिदपुर
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