इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव राजप्रताप सिंह व बेसिक शिक्षा परिषद सचिव संजय सिन्हा को नोटिस जारी की है। भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत भेजी गई नोटिस में दोनों अधिकारियों से कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा है।
अधिकारियों की ओर से झूठा हलफनामा प्रस्तुत करने पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है।
कोर्ट ने महानिबंधक को सीजेएम लखनऊ तथा इलाहाबाद के माध्यम से नोटिस दोनों अधिकारियों पर तामील कराने को कहा है। याचिका की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने कुमारी पल्लवी की याचिका पर दिया है। याची की ओर से अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बहस की। याची अरुणाचल प्रदेश की डीएलएड डिग्री धारक है, जिसे एनसीटीई से मान्यता प्राप्त है। कोर्ट ने कहा था कि एनसीटीई से मान्य प्रशिक्षण डिग्री धारक को सहायक अध्यापक पद की चयन प्रक्रिया में शामिल होने की अर्हता प्राप्त है।
बेसिक शिक्षा परिषद सचिव का कोर्ट में कहना है कि प्रदेश के बाहर की डिग्री होने के कारण राज्य सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम अर्हता में शामिल नहीं किया गया है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से हलफनामा तलब कर पूछा था कि प्रदेश में सहायक अध्यापक नियुक्ति की अर्हता में कौन-कौन सी डिग्री मान्य है। दोनों अधिकारियों ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि परिषद ने 28 अक्टूबर 2017 को एनसीटीई को पत्र लिखकर इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने की प्रार्थना की है। कोर्ट की ओर से मांगी गई जानकारी देने के बजाय एनसीटीई से ही स्पष्टीकरण मांगने की सूचना देने को कोर्ट ने झूठा माना और कहा कि अधिकारियों ने स्वयं को धारा 195 के अपराध के लिए जाहिर कर दिया है।
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अधिकारियों की ओर से झूठा हलफनामा प्रस्तुत करने पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है।
कोर्ट ने महानिबंधक को सीजेएम लखनऊ तथा इलाहाबाद के माध्यम से नोटिस दोनों अधिकारियों पर तामील कराने को कहा है। याचिका की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने कुमारी पल्लवी की याचिका पर दिया है। याची की ओर से अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बहस की। याची अरुणाचल प्रदेश की डीएलएड डिग्री धारक है, जिसे एनसीटीई से मान्यता प्राप्त है। कोर्ट ने कहा था कि एनसीटीई से मान्य प्रशिक्षण डिग्री धारक को सहायक अध्यापक पद की चयन प्रक्रिया में शामिल होने की अर्हता प्राप्त है।
बेसिक शिक्षा परिषद सचिव का कोर्ट में कहना है कि प्रदेश के बाहर की डिग्री होने के कारण राज्य सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम अर्हता में शामिल नहीं किया गया है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से हलफनामा तलब कर पूछा था कि प्रदेश में सहायक अध्यापक नियुक्ति की अर्हता में कौन-कौन सी डिग्री मान्य है। दोनों अधिकारियों ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि परिषद ने 28 अक्टूबर 2017 को एनसीटीई को पत्र लिखकर इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने की प्रार्थना की है। कोर्ट की ओर से मांगी गई जानकारी देने के बजाय एनसीटीई से ही स्पष्टीकरण मांगने की सूचना देने को कोर्ट ने झूठा माना और कहा कि अधिकारियों ने स्वयं को धारा 195 के अपराध के लिए जाहिर कर दिया है।
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