आगरा। सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों के लिए ठोस
पैरवी न करने पर शिक्षामित्रों में रोष व्याप्त है। समायोजन रद होने के बाद
से शिक्षामित्र आंदोलनरत रहे और उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार से ओड़ीसा
के अध्यापकों की तहर
नियमों में परिवर्तन कर सहायक अध्यापक की नियुक्ति के लिए नियम लाने की मांग की लेकिन, सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। स्थानीय नगर निकाय चुनाव का शिक्षामित्रों ने बहिष्कार किया है। बुधवार को आगरा में मतदान के दिन शिक्षामित्र चुनाव से दूर देखे गए। चुनावी डयूटी में शिक्षामित्र शामिल नहीं हुए और उन्होंने वोट भी नहीं डाला।
समान कार्य समान वेतन की मांग के लिए जारी है लड़ाई
उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र संगठन के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर ने बताया कि शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाने के लिए कई कठिन दौर से गुजरना पड़ेगा। 15 से 17 साल की नौकरी करने वाले शिक्षामित्र उम्र के ऐसे पड़ाव पर हैं, जहां से उनके परिवारों पर आर्थिक संकट की मार पड़ रही है। परिवार में बच्चों की शिक्षा, भरण पोषण के लिए भी वे मोहताज हो रहे हैं। सरकारों ने डेढ़ लाख शिक्षामित्रों की जिंदगी पर संकट खड़ा नहीं किया, बल्कि साढ़े पाच लाख लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। समान कार्य समान वेतन की मांग को लेकर शिक्षामित्र हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। जो जारी रहेगी।
नगर निकाय चुनाव में बहिष्कार से दिया सरकारों को संकेत
जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर का कहना है कि स्थानीय नगर निकाय चुनाव में शिक्षामित्रों ने बहिष्कार कर सरकारों को चेतावनी दी है। सरकारों को सचेत होना चाहिए कि स्थानीय निकाय चुनाव में जब बहिष्कार किया है, तो आगामी लोकसभा चुनाव 2019 में भी इससे भी बुरा नतीजा होगा। यदि सरकारों ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के लिए ठोस और बुनियादी कदम नहीं उठाए, तो नतीजे उनके सामने होंगे। शिक्षामित्र इस निकाय चुनाव में डयूटी से बहिष्कृत है, तो वे मतदान की प्रक्रिया में भी शामिल नहीं हुए हैं।
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नियमों में परिवर्तन कर सहायक अध्यापक की नियुक्ति के लिए नियम लाने की मांग की लेकिन, सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। स्थानीय नगर निकाय चुनाव का शिक्षामित्रों ने बहिष्कार किया है। बुधवार को आगरा में मतदान के दिन शिक्षामित्र चुनाव से दूर देखे गए। चुनावी डयूटी में शिक्षामित्र शामिल नहीं हुए और उन्होंने वोट भी नहीं डाला।
समान कार्य समान वेतन की मांग के लिए जारी है लड़ाई
उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र संगठन के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर ने बताया कि शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाने के लिए कई कठिन दौर से गुजरना पड़ेगा। 15 से 17 साल की नौकरी करने वाले शिक्षामित्र उम्र के ऐसे पड़ाव पर हैं, जहां से उनके परिवारों पर आर्थिक संकट की मार पड़ रही है। परिवार में बच्चों की शिक्षा, भरण पोषण के लिए भी वे मोहताज हो रहे हैं। सरकारों ने डेढ़ लाख शिक्षामित्रों की जिंदगी पर संकट खड़ा नहीं किया, बल्कि साढ़े पाच लाख लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। समान कार्य समान वेतन की मांग को लेकर शिक्षामित्र हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। जो जारी रहेगी।
नगर निकाय चुनाव में बहिष्कार से दिया सरकारों को संकेत
जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर का कहना है कि स्थानीय नगर निकाय चुनाव में शिक्षामित्रों ने बहिष्कार कर सरकारों को चेतावनी दी है। सरकारों को सचेत होना चाहिए कि स्थानीय निकाय चुनाव में जब बहिष्कार किया है, तो आगामी लोकसभा चुनाव 2019 में भी इससे भी बुरा नतीजा होगा। यदि सरकारों ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के लिए ठोस और बुनियादी कदम नहीं उठाए, तो नतीजे उनके सामने होंगे। शिक्षामित्र इस निकाय चुनाव में डयूटी से बहिष्कृत है, तो वे मतदान की प्रक्रिया में भी शामिल नहीं हुए हैं।
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