अफसर चाहते तो स्थगित नहीं होती 68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा: टीईटी 2017 रिजल्ट के बाद से अपने रुख पर अड़े रहे अफसर, प्रश्नों का गलत जवाब स्वीकारा, रिजल्ट संशोधन को नहीं थे तैयार

इलाहाबाद : शिक्षक भर्ती की पहली और सबसे बड़ी लिखित परीक्षा स्थगन की नौबत इसलिए आई क्योंकि अफसर कुछ भी न मानने पर अड़े रहे। जिन अभ्यर्थियों के लिए इम्तिहान कराया जा रहा था, उन्हीं की मांगों को सिरे से खारिज किया गया।
टीईटी 2017 रिजल्ट के बाद अनसुनी होने से मजबूर होकर अभ्यर्थी हाईकोर्ट की शरण में गए।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान रिजल्ट : यूपी टीईटी 2017 में प्राथमिक स्तर की परीक्षा के लिए 349192 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया, उसमें से 276636 परीक्षा में शामिल हुए। उनमें से 47975 (17.34 फीसद) सफल हुए। वहीं उच्च प्राथमिक स्तर पर 627568 अभ्यर्थी पंजीकृत, 531712 परीक्षा में बैठे। उनमें से 41888 (आठ फीसद) सफल हुए। सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने प्रदेश के 1634 परीक्षा केंद्रों पर 15 अक्टूबर को इम्तिहान कराया। उसकी आंसर शीट 18 अक्टूबर को जारी हुई। उस पर हजारों ने आपत्तियां की। परीक्षा संस्था ने संस्कृत विषय का एक प्रश्न के उत्तर को गलत माना, बाकी को खारिज कर दिया। दो बार आंसर शीट जारी हुई लेकिन, 14 प्रश्नों का जवाब नहीं बदला। इसी को लेकर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने 22 नवंबर को आदेश दिया। अफसरों ने उस आदेश की अनदेखी करके 15 दिसंबर को रिजल्ट जारी कर दिया।

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