यूपी में MBBS-MS के बाद 2 साल सरकारी नौकरी अनिवार्य

एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ  सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस, एमएस, एमडी, बीडीएस और पीजी डिप्लोमा करने वाले डॉक्टरों को शुरुआत के 2 साल सरकारी नौकरी करना अनिवार्य होगा।
ऐसा न करने पर उन पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और सरकार डिग्री भी वापस ले सकती है। इसके लिए छात्रों से बॉन्ड भरवाया जाएगा। मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में चिकित्सा शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।


सरकारी अस्पतालों और जिला अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए यह प्रस्ताव लाया गया है। मौजूदा समय में सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस या एमएस करने वाले छात्रों के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। इस वजह से यहां डॉक्टरों की कमी रहती है। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के 18,400 पद हैं जिनमें से करीब 7,400 पद अभी खाली हैं। इनमें भी ज्यादातर कमी सीएचसी और पीएचसी पर है।

शिक्षक भर्ती में लिखित परीक्षा अनिवार्य
शिक्षकों की भर्ती में अब लिखित परीक्षा अनिवार्य होगी। सरकार ने इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग की नियमावली 1981 के नियम 14 में संशोधन कर दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग में 68 हजार 500 पदों की भर्ती में लिखित परीक्षा अनिवार्य कर दी गई थी। टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सवाल उठाया था कि वे लिखित परीक्षा से ही टीईटी पास हुए हैं। दोबारा लिखित परीक्षा लेने का क्या औचित्य है? ऐसे में अब सरकार ने नियमावली ही बदल दी है।

यूपी में सस्ती होगी सीएनजी
कैबिनेट ने सीएनजी के लिए खरीदी जाने वाली नैचरल गैस पर लगने वाला टैक्स 21 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश मूल्य संवर्धित अधिनियम 2008 में संशोधन किया गया है। इस फैसले से अलग-अलग जिलों में सीएनजी अनुमानत: 3.50 से 4 रुपये तक सस्ती होगी। अभी लखनऊ में सीएनजी की कीमत 56.50 रुपये/ किलो है जो 53.50 रुपये तक आ सकते हैं।

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