देखिए सीएम, तीन महीने में टूट गए स्कूली बच्चों के जूते

जागरण संवाददाता, चन्दौसी: परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को पहनने के लिए दिए गए जूते मात्र तीन माह में ही टूट गए। योगी सरकार ने दिसंबर में नौनिहालों को जूते-मोजे वितरित करवाए थे।
अब हालत यह है कि नए शिक्षा सत्र में बच्चों को फटे व टूटे हुए जूते पहनकर स्कूल जाना पड़ रहा है। विभाग भी इसके प्रति गंभीर नहीं है।

बच्चों का नामांकन स्कूलों में करने के लिए सरकार द्वारा अभिभावकों को प्रेरित किया जा रहा है। बच्चों को स्कूलों में कई सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। खाने के लिए मिड-डे-मील की व्यवस्था है तो पहनने के लिए बच्चों को निश्शुल्क ड्रेस भी दी जा रही है। और तो और पढ़ने के लिए किताबें तथा उन्हें रखने के लिए बस्ते का इंतजाम भी सरकार ही कर रही है।1इस बार जूते-मोजे भी बच्चों को वितरित किए गए थे ताकि बच्चे कान्वेंट स्कूलों के छात्रों की तर्ज पर जूते पहनकर स्कूल आ सकें लेकिन गुणवत्ता में कमी के कारण जूते की योजना कारगर साबित नहीं हो रही है। बच्चों के जूते मात्र तीन माह में ही टूट गए हैं।

जूते दिसंबर माह में बच्चों को वितरित किए गए थे। एक अप्रैल से शुरू हुए शिक्षा सत्र में बच्चे टूटे हुए जूते पहनकर स्कूल जाने पर मजबूर हैं। बेसिक शिक्षाधिकारी डॉ. सत्यनारायण ने बताया कि जूतों के लिए प्रदेश स्तर पर टेंडर हुआ था। वहीं से जूतों की सप्लाई हुई है।’

>>दिसंबर में बच्चों को वितरित किए गए थे जूते-मोज

’>>नए शिक्षा सत्र में फटे व टूटे जूते पहनकर स्कूल जा रहे छात्र

प्रतिदिन बच्चों की हाजिरी की रिपोर्ट देंगे मास्टर साहब

सम्भल, जासं: परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने से पहले बच्चों की उपस्थिति अनिवार्य है लेकिन आलम ये है कि सरकारी विद्यालयों में शत प्रतिशत उपस्थिति तो दूर। पचास प्रतिशत भी बच्चे विद्यालय नहीं पहुंचते। आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे किसी भी परिवार का कोई बच्चा शिक्षा पाने से वंचित न रह जाए। हर किसी का बच्चा शिक्षा ग्रहण कर सके। शहर से लेकर गांव-गांव तक शिक्षित हो सके। इसके लिए गांव-गांव परिषदीय विद्यालयों का संचालन चल रहा है। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा को स्वरुप को बेहतर करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है लेकिन विद्यालयों में शिक्षा की स्थिति तो तब सुधरे जब विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति शत प्रतिशत हो सके। अधिकांश परिषदीय विद्यालयों में नाममात्र को ही बच्चों की उपस्थिति रहती है। विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए बच्चों की हाजिरी पर जोर दिया जा रहा है। सम्भल जनपद में 1046 प्राथमिक विद्यालय और 476 जूनियर हाईस्कूल हैं। सभी विद्यालयों के इंचार्ज अध्यापकों को प्रतिदिन अपने विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति की जानकारी विभागीय आला अधिकारियों को पोर्टल पर देनी होगी। इंचार्ज अध्यापक बच्चों को घरों से लाने के लिए प्रेरित करेंगे।परिषदीय विद्यालयों के इंचार्ज अध्यापक प्रतिदिन अपने विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति को पोर्टल पर दर्ज कराएंगे। इससे बच्चों की उपस्थिति में सुधार आएगा।

डॉ. सत्य नारायण, बीएसए, सम्भल।

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