इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शिक्षामित्रों को साल 2011 की 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती में से खाली बचे पदों पर समायोजित करने की मांग नामंजूर कर दी है। इनमे ऐसे लोग हैं, जिन्होंने सहायक अध्यापक पद की न्यूनतम अर्हता हासिल कर ली है और पूर्व में समायोजित सहायक अध्यापक थे।
विकल प्रताप सिंह और अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने सुनवाई की।
याचिका में मांग की गयी थी कि याचीगण जिन विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं, उन्ही विद्यालयों में उनकी सेवाएं सहायक अध्यापक के तौर पर जारी रखी जाए। याचीगण 2004-06 में शिक्षामित्र के तौर पर नियुक्त हुए थे और बाद में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित कर दिये गये थे
बाद में हाईकोर्ट की फुल बेंच ने उनका समायोजन रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फुल बेंच के आदेश को सही ठहराते हुए 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती में रिक्त बचे पदों का नये सिरे से विज्ञापन जारी कर भर्ती करने के लिए कहा।
याचीगण की मांग थी कि रिक्त बचे पदों पर उनको समायोजित कर दिया जाए, क्योंकि वह सहायक अध्यापक पद की सभी अर्हताएं पूरी करते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को अगली दो भर्तियों में वेटेज देने का निर्देश दिया है। 72825 की भर्ती प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है, इसलिए याचीगण की मांग मंजूर नहीं हो सकती। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।
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- Shikshamitra Appointment: 2001 में शिक्षामित्रों की नियुक्ति सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों के सापेक्ष ही हुई थी