नमस्कार,
मेरा नाम नवीन कुमार है और मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद का निवासी हूँ। उत्तर प्रदेश में पहली बार 2011 में उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन हुआ जिसमें लाखों लोग उत्तीर्ण हुए तत्पश्चात उत्तर प्रदेश शिक्षक
पात्रता परीक्षा के प्राप्तांकों के आधार पर 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई परंतु 2012 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव आ गए तथा नई सरकार का गठन हुआ। नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री ने आते ही 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया, इसके बाद तमाम अभ्यर्थियों के एकजुट प्रयास व दीर्घकालीन संघर्ष से पहले उच्च न्यायालय फिर उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार को भर्ती प्रक्रिया पुनः सुचारू रूप से शुरू करने का आदेश दिया परंतु सरकार ने भर्ती प्रक्रिया में कोई रुचि नहीं दिखाई। पिछली सरकार ने भी अपना कार्यकाल पूरा किया परंतु हम बेरोजगारों को नौकरी नहीं मिल पाई। उच्चतम न्यायालय ने भी कई बार भर्ती प्रक्रिया को पूरी करने के आदेश जारी किए तथा असंख्य बार संज्ञान लिया परंतु हम पिछले 7 वर्षों से नौकरी की बाट जोह रहे हैं। वर्तमान सरकार ने भी शुरुआत में 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को शुरू कराने का व बेरोजगारों को इंसाफ दिलाने का वादा किया था।
अब वर्तमान सरकार को भी 1 वर्ष से अधिक समय हो गया है लेकिन भर्ती प्रक्रिया शुरू कराने की बात अभी तक अधर में ही लटकी हुई है, लेकिन हाँ.. सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को समाप्त कराने के लिए पूर्ण प्रयास किए हैं। क्या सरकार को बेरोजगारों के हालात नजर नहीं आते या सरकार की मंशा बेरोजगारों को परेशान करने की है..?
लाखों लोग पिछले 7 वर्षों से लगातार संघर्ष कर रहे हैं, आंदोलन कर रहे हैं, भूख हड़ताल कर रहे हैं लेकिन हमारे नेताओं को चुनाव प्रचार करने से ही फुर्सत नहीं मिल रही है। बेरोजगार युवा चाहे नौकरी के लिए आंदोलन करते रहें लेकिन हमारी सरकार की नींद नहीं टूटने वाली है।
मेरा सरकार से सवाल है कि क्या हमें हमारा हक कभी नहीं मिलेगा? क्या हम सरकार से कोई भीख मांग रहे हैं? क्या हम आजीवन बेरोजगार ही रहेंगे? क्या उच्चतम न्यायालय के आदेशों की गरिमा नहीं रही जो राज्य सरकारें हर बार न्यायालय के आदेशों की अवमानना करती हैं?
जब तक सरकार बेरोजगारों के साथ इंसाफ नहीं करती तब तक हम आंदोलन करते रहेंगे।
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