उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिला अध्यक्ष सुधाकर तिवारी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि विगत 25 जुलाई को लखनऊ के शहीद पार्क गोमती नदी के किनारे शिक्षामित्रों ने अपने मृत्त साथियों के आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कार्यक्रम संपन्न कराया। जिसमें महिला शिक्षा मित्रों ने भी भाग लिया। उसके उपरांत इको गार्डन में हिंदुत्व मोदी सरकार को चुनौती देते महिला शिक्षा मित्रों ने अपने पति के होते हुए, अपने जीवित पति के होते हुए अपने केसों का मुंडन कराया। जिसको देखते हुए हजारों की संख्या में शिक्षामित्रों ने भी मुंडन करा लिया।
मुंडन संस्कार सरकार को चुनौती
महिला शिक्षा मित्रों के द्वारा मुंडन संस्कार कराया जाना। सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। क्योंकि हिंदू परंपरा के अंतर्गत अंतर्गत यह मान्यता है कि जब किसी महिला का पति इस दुनिया में ना रहे तभी वह मुंडन करा सकती है। यह परंपरा बहुत ज्यादा प्रचलित नहीं है। लेकिन सरकार की हठ के कारण विवाहित महिला शिक्षामित्रों को यह भी करना पड़ा। संकल्प पत्र में किए गए अपने वादे को पूरा ना करने के कारण उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र वीरांगनाओं ने यह कदम उठाया। यदि सरकार अभी भी नहीं चेतती है और बहुत जल्द शिक्षक पद पर स्थाई व्यवस्था नहीं करती है तो उत्तर प्रदेश के 172000 शिक्षामित्र इससे भी कठिन कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के हिंदुत्ववादी सरकार की होगी।
श्राद्ध कार्यक्रम सुधाकर तिवारी व रितेश द्विवेदी ने किया
उन्होंने कहा कि 750 साथियों के खोने के गम में शिक्षामित्रों ने विगत 25 जुलाई को काला दिवस मनाया और लखनऊ के शहीद स्मारक में 750 शहीद शिक्षामित्रो का श्राद्ध एव पिंडदान किया गया। यह कार्यक्रम पंडित विनोद शास्त्री द्वारा कराया गया। उन्होंने बताया कि श्राद्ध कार्यक्रम में उनके साथ कासगंज के रितेश द्विवेदी ने पूरा किया। इसके साथ ही उन्नाव से बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों ने भाग लिया जिसमें निशा देवी, सरस्वती, नीलम, माया, विजय लक्ष्मी अंजू, गीता शुक्ला, मालती, रीता कुशवाह, संतोष कुमार, सर्वेश, वीरेंद्र मिश्र, अनिल यादव, देव प्रकाश कुशवाह, सर्वेश, नेपाल सिंह यादव, रामेंद्र द्विवेदी, ज्ञान दीक्षित सहित कई शिक्षक मौजूद थे।