सिद्धार्थनगर। जिले में फर्जी शिक्षकों के सत्यापन में जमकर खेल हुआ है।
600 से अधिक शिक्षकों के सत्यापन में विभागीय जिम्मेदारों ने जमकर
हीला-हवाली की है। जांच में परत-दर-परत विभाग की पोल खुल रही है।
जिम्मेदार
भी यह स्वीकार भी कर रहे है कि पूर्व में हुए सत्यापन में गड़बड़ी हुई है।
इसकी भरपाई के लिए अब नए सिरे से शिक्षकों का सत्यापन कराया जाएगा। इस
मामले में डीएम ने जांच के आदेश भी दे दिए हैं।
जिले में शिक्षा विभाग हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। 2015 में 16448
शिक्षकों की भर्ती हुई, जिसमें 616 पद जिले में सृजित हुए। इसके बाद 2016
में 12 हजार की भर्ती में करीब 500 पद जिले में सृजित किए गए थे। इसमें
बीटीसी से लेकर बीएलएड छात्रों को भी मौका दिया गया। 2015 और 2016 में भती
हुए 600 से अधिक शिक्षक ऐसे हैं, जिनके प्रमाण पत्रों के सत्यापन में जमकर
खेल हुआ। जांच में मामला सामने आने पर डीएम ने नए सिरे से सत्यापन कराने को
कहा है। बीएसए राम सिंह ने बताया कि 600 फर्जी शिक्षकों की सूचना मिली है।
नए सिरे से सत्यापन कराया जाएगा। मामले में पूरी निगाह रखी जा रही है।
बलिया, देवरिया व गोरखपुर से जुड़े हैं तार
जिन शिक्षकों की डिग्री संदेह के घेरे में है उनके तार बलिया, देवरिया और
गोरखपुर से जुड़े बताए जा रहे हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो जिले में
ऐसे शिक्षक सबसे अधिक बलिया और देवरिया जनपद के हैं। इनका रैकेट कोलकाता तक
फैला है। इनकी पकड़ बलरामपुर जनपद में भी है। इसमें एक बीईओ की भूमिका
संदिग्ध है, लेकिन राजनीति में बेहतर पकड़ होने के कारण विभाग उस पर
कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। पिछले दिनों सीडीओ ने उक्त बीईओ पर कार्रवाई
के लिए बीएसए को निर्देशित भी किया था।