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सरकार ने बनाई तीन समितियां
योगी सरकार ने शिक्षामित्रों की समस्याओं के निराकरण के लिए उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी बनाई है। इस समिति में वित्त, बेसिक शिक्षा व न्याय विभाग के प्रमुख सचिव सदस्य होंगे।इस समिति को शिक्षामित्रों की समस्याओं के हल के संबंध में सरकार को अपनी रिपोर्ट देनी होगी। मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों की तरह बी.एड और टीईटी पास अभ्यर्थियों की समस्याओं के समाधान के लिए भी समिति का गठन किया है। इस समिति में प्रमुख सचिव न्याय अध्यक्ष तथा अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा और प्रमुख सचिव गृह शामिल किए गए हैं। इसी तरह आशा बहुओं की समस्याओं के समाधान के लिए भी कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है।
क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांगे
पिछले साल समायोजन रद्द होने के बाद से शिक्षा मित्र लगातार आंदोलन कर रहे हैं। गौरतलब है कि शिक्षामित्र बीते एक वर्ष से समान कार्य, समान वेतन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनके समायोजन तक उन्हें शिक्षक के समान वेतन दिया जाए, शिक्षामित्र अध्यादेश लाकर समायोजन की मांग कर रहे हैं। बुधवार को शिक्षा मित्रों में राजधानी में सर मुंडवाकर काला दिवस मनाया। वहीं आशा बहुएं भी कई बार अपनी मांगो को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रही हैं । राज्य कर्मचारी का दर्जा हासिल करने के लिए आशा बहू कल्याण समिति ने सीएम योगी आदित्यनाथ को सात सूत्रीय मांग पत्र भेजा है। समिति की प्रांतीय अध्यक्ष सीमा सिंह ने आशा बहुओं व संगिनियों को न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाए। साथ ही काम के घंटे भी निर्धारित किए जाएं।
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-1.37 लाख शिक्षा मित्र (जिनका समायोजन नहीं हुआ)
-1.36 आशा बहुएं (लगभग)
- 1 लाख से ज्यादा बीएड-टीईटी 2011 उत्तीर्ण
(कुल साढ़े तीन लाख से ज्यादा प्रदर्शनकारी हैं। अगर मान लिया जाए कि एक परिवार में चार लोग हैं तो कुल 12 लाख से ज्यादा वोटर्स पर नजर)
बीएड-टीईटी - 2011 पास अभ्यर्थियों का ये है मामला
बीएड-टीईटी -2011 पास अभ्यर्थी भी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल ये मामाल लगभग साढ़े छह साल पुराना है। साल 2011 नंवबर में 72,825 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। इन पदों पर टीईटी के अंकों पर भर्ती होनी थी, जिसे अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट इलाहबाद में चैलेंज किया था। अभ्यर्थियों ने अकादमिक मेरिट पर भर्ती की मांग रखी थी। इसी बीच 2012 में सपा सरकार आ गई और सरकार ने टीईटी मेरिट पर आधारित विज्ञापन को रद्द करके, 7 दिसंबर 2012 को 72825 पदों के लिए अकादमिक मेरिट के आधार पर नया विज्ञापन जारी किया गया। पुराना मामला कोर्ट में चलता रहा। मुकदमे के दौरान इलाहबाद कोर्ट ने पुराने विज्ञापन को भी सही मानते हुए, उस पर ही भर्ती का आदेश दिया। यह आदेश नवंबर 2014 में आया। सपा सरकार ने विज्ञापन बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अभ्यर्थियों के अनुसार 25 जुलाई 2017 को SC ने अपने आदेश में नए विज्ञापन को सही मानते हुए अब तक हुए अंतरिम आदेशों पर हुई भर्तियों को सुरक्षित करते हुए, नए विज्ञापन पर भी भर्ती की सरकार को छूट दी लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी भर्ती नहीं हो सकी है।
विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना
सपा प्रवक्ता अब्दुल हफ़ीज गांधी का कहना है कि सरकार भ्रमित करने का काम रही है। आरटीई एक्ट में संशोधन के बाद उत्तराखंड में शिक्षामित्रों का समायोजन कर दिया है लेकिन यूपी में ऐसा क्यों नहीं हो रहा है। जब सपा सरकार इन शिक्षा मित्रों को वेतन दे रही थी तो बजट कम होने की बात कहां से आ जाती है। डबल इंजन की सरकार को समाधान करना चाहिए। पिछली बार जो समीति बनी थी उनकी मीटिंग्स भी नहीं हुईं थी। ये केवल छलावा है।
कांग्रेस प्रवक्ता शुचि विश्वास ने कहा कि सरकार सभी फैसले अगले चुनाव को ध्यान में रखते हुए ले रही है। वादे और आश्वासन बहुत दिए जा रहे हैं लेकिन समाधान नहीं निकल रहा है। आंगनवाड़ी वर्कर्स, वित्तवहीन शिक्षक,भोजन माता, रसोसियां, अनुदेशक भी आंदोलनरत हैं। उनको लेकर सरकार कब जागेगी। कमेटियों का गठन पहले भी होता रहा है लेकिन समाधान नहीं निकला। जिस तरह से टीईटी पास अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज हुआ था वो दर्शाता है कि सरकार कितनी संवेदनहीन है।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सरकार लगातार प्रदर्शकारियों से झूठे वादे कर रही है। आप सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह ने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया। आम आदमी पार्टी के मुताबिक सरकार द्वारा जो कमीटियां बनाई गई हैं ये पूर्व की तरह जुमलेबजाजी होंगी। चुनाव को करीब में देखते हुए ये फैसला लिया। पहले भी सीएम योगी इस तरह के फैसले ले चुके हैं लेकिन कोई हल नहीं निकला।