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यूपी बोर्ड में अब अभिभावक भी होंगे जवाबदेह: हाईस्कूल व इंटर के परीक्षार्थियों के अभिभावक लिखेंगे सिर्फ यहीं पढ़ रहे

यूपी बोर्ड ने इस वर्ष से कक्षा नौ व 11 के पंजीकरण व हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के परीक्षा फार्म भरने में बड़ा बदलाव किया है। माध्यमिक कालेजों में छात्र-छात्रओं के दाखिले से लेकर परीक्षा उत्तीर्ण होने तक अभ्यर्थी के
संबंध में किसी तरह की गड़बड़ी उजागर होने पर सिर्फ अफसर ही जिम्मेदार नहीं होंगे, बल्कि उनके अभिभावक भी जवाबदेह होंगे। इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण में अतिरिक्त कॉलम जोड़ा गया है। इसके तहत अभिभावक लिखकर देंगे कि उनका पाल्य सिर्फ इसी बोर्ड में पढ़ रहा है। 1यूपी बोर्ड में कक्षा नौ व 11 का पंजीकरण हो या फिर हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा का फार्म भरना। दोनों प्रक्रिया में लाखों अभ्यर्थी आवेदन करते हैं। एक साथ सभी छात्र-छात्रओं के अभिलेखों का परीक्षण करना या फिर उनके संबंध में पूरी जानकारी हासिल करना संभव नहीं हो पाता। बोर्ड प्रशासन सिर्फ सरसरी तौर पर अभिलेख जांच पाता है और विवाद होने पर अफसर एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते हैं। मसलन, यूपी बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय से जवाब-तलब करता है और रीजनल ऑफिस डीआइओएस से पूछता है। जिला विद्यालय निरीक्षक संबंधित कालेज प्रधानाचार्य से रिपोर्ट मांगते हैं। ऐसे में जवाबदेही तय नहीं हो पाती। 12018 की इंटरमीडिएट की परीक्षा में तो प्रदेश के फरुखाबाद जिले में श्री गजेंद्र सिंह मीरा देवी बालिका इंटर कालेज के प्रबंधक की पुत्री ने जिला टॉप किया था। यहां तक गनीमत रही कि जिस कालेज में मां प्रधानाचार्य और पिता प्रबंधक हो उसकी बेटी टॉपर हो गई। ‘दैनिक जागरण’ ने राजफाश किया कि टॉपर छात्र ने इसी वर्ष सीबीएसई बोर्ड से भी इंटर की परीक्षा दी है। इस पर हंगामा मचा और छात्र का परीक्षा परिणाम रद किया गया। इस घटना से सबक लेकर यूपी बोर्ड ने इस बार से पंजीकरण व परीक्षा फार्म भरने में यह नियम जोड़ा है कि हर अभ्यर्थी के अभिभावक से लिखवाकर लिया जाएगा कि उनका पाल्य इसी बोर्ड में पढ़ रहा है। इसका मकसद है कि आगे की परीक्षाओं की फरुखाबाद जैसी स्थिति सामने आने पर अभिभावक को भी कटघरे में खड़ा होगा। यही नहीं इस कदम से लोगों को साफ संदेश होगा कि उन्हें दो नावों पर एक साथ सफर नहीं करना है। बोर्ड प्रशासन ने माना कि इसमें छात्र-छात्र को जवाबदेह बनाने से बेहतर है कि उसके अभिभावक को जोड़ा जाए, क्योंकि इस मुकाम तक पाल्य के सारे निर्णय अभिभावक ही करते हैं। यूपी बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया कि इस कदम से बोर्ड जैसी संस्था को असहज स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा। प्रधानाचार्य इस निर्देश का हर हाल में अनुपालन कराएं।’

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