एलटी
ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में सेंधमारी करने से पहले ही पकड़े गए सॉल्वर
गिरोह के सरगना ओम सहाय के बार में चौंकाने वाली जानकारी मिली है। पता चला
है कि हेराफेरी, गड़बड़झाला कर पैसे कमाना उसका पुराना शगल है। वह खुद भी
प्राइमरी का शिक्षक रह चुका है और उसकी पत्नी भी परिषदीय स्कूल की शिक्षिका
थी। बाद में दस्तावेजों में गड़बड़ी पाए जाने पर दोनों को बर्खास्त कर
दिया गया था।
गिरोह का सरगना ओम सहाय पुत्र अवध बिहारी मूल रूप से यमुनापार में लालापुर थाना क्षेत्र के छतहरा तरहार का रहने वाला है। मौजूदा समय में वह शहर में राजरूपपुर में आलीशान मकान में रहता है। एसटीएफ डिप्टी एसपी नवेंदु सिंह ने बताया कि पूछताछ में पता चला है कि सरगना ओम और उसकी पत्नी नीलम परिषदीय शिक्षक रह चुके हैं। दोनों की कौशाम्बी में तैनाती थी। ओम जहां प्राथमिक विद्यालय गांधीनगर, मंझनपुर में तैनात था वहीं नीलम की प्राथमिक विद्यालय भेलखा मंझनपुर में बतौर सहायक अध्यापिका नियुक्ति हुई थी। दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान उनकी हेराफेरी पकड़ ली गई। पता चला कि कूटरचित दस्तावेज तैयार कर दोनों ने नौकरी पाई थी। जिसके बाद करीब 13 महीने पहले उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। एसटीएफ का कहना है कि पूछताछ में यह भी पता चला है कि लंबे समय से ओम परीक्षा में नकल कराने का ठेका लेने का काम कर रहा था। शॉर्टकट तरीके से पैसा कमाने के चक्कर में उसने यह रास्ता चुना।
पकड़े गए लोगों में शामिल गिरोह के सदस्य विनीत कुमार और जीतेंद्र कुमार सरगना ओम के रिश्तेदार हैं। दोनों रिश्ते में उसकी पत्नी नीलम के चचेरे भाई लगते हैं। पैसों की लालच में दोनों ने ओम के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। कम वक्त में ज्यादा पैसे कमाने की लत ने उन्हें इस तरह घेरा कि फिर वह इसी काम में रम गए। एसटीएफ टीम की मानें तो पूछताछ में दोनों ने बताया है कि ओम कई सालों से नकल का ठेका लेने का काम कर रहा था।
पकड़े गए सॉल्वर गिरोह से पूछताछ में जानकारी मिली है कि सॉल्वरों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने के लिए प्रयाग स्टेशन के बाहर पहले से गाड़ियां तैयार खड़ी थीं। यह गाड़ियां ट्रैवेल एजेंसी से बुक कराई गई थीं। प्लानिंग यही थी कि स्टेशन से निकलते ही उन्हें गाड़ियों में बैठा लिया जाता, जिससे किसी को भनक भी नहीं लग पाती। इसके बाद तय समय पर परीक्षा केंद्र पर पहुंचा दिया जाता और परीक्षा खत्म होने के बाद उन्हें ट्रेन के जरिए ही वापस बिहार भेजने की योजना बनाई गई थी। हालांकि इससे पहले ही एसटीएफ ने पूरा खेल बिगाड़ दिया।
गिरोह के सदस्यों ने यह भी बताया है कि इलाहाबाद में बुलाए गए सॉल्वर भले ही ट्रेन से आए हों लेकिन कानपुर व मथुरा के लिए बुलाए गए सॉल्वरों को हवाई जहज का टिकट उपलब्ध कराया गया था। फ्लाइट से वह बिहार से लखनऊ पहुंचे थे और उसके बाद कानपुर व आगरा गए।
गिरोह का सरगना ओम सहाय पुत्र अवध बिहारी मूल रूप से यमुनापार में लालापुर थाना क्षेत्र के छतहरा तरहार का रहने वाला है। मौजूदा समय में वह शहर में राजरूपपुर में आलीशान मकान में रहता है। एसटीएफ डिप्टी एसपी नवेंदु सिंह ने बताया कि पूछताछ में पता चला है कि सरगना ओम और उसकी पत्नी नीलम परिषदीय शिक्षक रह चुके हैं। दोनों की कौशाम्बी में तैनाती थी। ओम जहां प्राथमिक विद्यालय गांधीनगर, मंझनपुर में तैनात था वहीं नीलम की प्राथमिक विद्यालय भेलखा मंझनपुर में बतौर सहायक अध्यापिका नियुक्ति हुई थी। दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान उनकी हेराफेरी पकड़ ली गई। पता चला कि कूटरचित दस्तावेज तैयार कर दोनों ने नौकरी पाई थी। जिसके बाद करीब 13 महीने पहले उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। एसटीएफ का कहना है कि पूछताछ में यह भी पता चला है कि लंबे समय से ओम परीक्षा में नकल कराने का ठेका लेने का काम कर रहा था। शॉर्टकट तरीके से पैसा कमाने के चक्कर में उसने यह रास्ता चुना।
पकड़े गए लोगों में शामिल गिरोह के सदस्य विनीत कुमार और जीतेंद्र कुमार सरगना ओम के रिश्तेदार हैं। दोनों रिश्ते में उसकी पत्नी नीलम के चचेरे भाई लगते हैं। पैसों की लालच में दोनों ने ओम के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। कम वक्त में ज्यादा पैसे कमाने की लत ने उन्हें इस तरह घेरा कि फिर वह इसी काम में रम गए। एसटीएफ टीम की मानें तो पूछताछ में दोनों ने बताया है कि ओम कई सालों से नकल का ठेका लेने का काम कर रहा था।
पकड़े गए सॉल्वर गिरोह से पूछताछ में जानकारी मिली है कि सॉल्वरों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने के लिए प्रयाग स्टेशन के बाहर पहले से गाड़ियां तैयार खड़ी थीं। यह गाड़ियां ट्रैवेल एजेंसी से बुक कराई गई थीं। प्लानिंग यही थी कि स्टेशन से निकलते ही उन्हें गाड़ियों में बैठा लिया जाता, जिससे किसी को भनक भी नहीं लग पाती। इसके बाद तय समय पर परीक्षा केंद्र पर पहुंचा दिया जाता और परीक्षा खत्म होने के बाद उन्हें ट्रेन के जरिए ही वापस बिहार भेजने की योजना बनाई गई थी। हालांकि इससे पहले ही एसटीएफ ने पूरा खेल बिगाड़ दिया।
गिरोह के सदस्यों ने यह भी बताया है कि इलाहाबाद में बुलाए गए सॉल्वर भले ही ट्रेन से आए हों लेकिन कानपुर व मथुरा के लिए बुलाए गए सॉल्वरों को हवाई जहज का टिकट उपलब्ध कराया गया था। फ्लाइट से वह बिहार से लखनऊ पहुंचे थे और उसके बाद कानपुर व आगरा गए।