रायबरेली : जिले में अप्रैल माह से ही नए शैक्षिक सत्र का आगाज हो गया
था लेकिन बच्चे जहां नाना-नानी के घर जाने को बेताब रहे तो वहीं शिक्षक
अपने स्थानांतरण की प्रक्रिया में जुटे रहे। किताब न होने से पूरे दो माह
पढ़ाई के नाम एक कदम आगे न बढ़ सका तो ऐसे में सोमवार से शैक्षिक सत्र की
विधिवत शुरुआत होगी।
जुलाई में स्कूलों का पहला दिन खासा चुनौतीपूर्ण होगा।
डेढ़ दर्जन अधिक स्कूल बंद रहेंगे तो वहीं नए शिक्षकों की काउंसि¨लग न
होने व पुराने शिक्षकों में जुगाड़ की मंशा हावी होने से शिक्षामित्रों पर
ही भारी जिम्मेदारी होगी। हालांकि जिले में 75 प्रतिशत शिक्षा मित्रों को
बीएलओ के साथ लगाया गया है लेकिन पढ़ाई कराने के लिए शिक्षामित्रों को आना
होगा।
सोमवार से जिले के सभी सरकारी स्कूल खुल जाएंगे। हालांकि बच्चों के लिए
खुशखबरी है कि पहली बार समय पर उन्हें किताब मिल जाएंगी। इसके साथ ही
पढ़ाई शुरू हो जाएगी लेकिन मास्साब पर पढ़ाई का जो जिम्मा है उसमें 283 नए
शिक्षकों की काउंसि¨लग अभी नहीं हुई है, न ही इनके स्कूलों का आवंटन हुआ
है। ऐसे में जिन शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं हुआ है वह पठन-पाठन के लिए
मौजूद होंगे। सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिक्षामित्र निभाएंगे, जिले में 2600 के
करीब शिक्षामित्र हैं और ड्यूटी के अनुरूप जो मानदेय मिलने की प्रक्रिया है
उससे यह सब बंधे हुए हैं ऐसे में इन्हें अपनी डयूटी करनी ही होगी।
प्राथमिक शिक्षा
जिले में 1987 प्राथमिक तथा 718 जूनियर हाईस्कूल हैं। इसमें सबसे अधिक 2
लाख 6 हजार 754 बच्चे पढ़ते है। इन्हें पढ़ाने के लिए ग्रामीण अंचल में
प्राथमिक स्तर पर 2415 सहायक शिक्षक व प्रधान शिक्षक हैं। नगर क्षेत्र में 4
सहायक अध्यापक व 27 प्रधान शिक्षक हैं। उच्च प्राथमिक शिक्षा में ग्रामीण
अंचल में 1428 सहायक अध्यापक व 417 प्रधान शिक्षक नियुक्त हैं। नगर में 35
सहायक अध्यापक व 12 प्रधान शिक्षक हैं। यह आंकड़े बता रहे हैं कि बच्चों के
अनुपात में शिक्षकों की भारी कमी है। हालांकि अंतर्जनपदीय स्थानांतरण
प्रक्रिया के तहत पूरे प्रदेश से 283 शिक्षक आए हैं तो वहीं 78 शिक्षक
रिलीव हुए है। उसके बाद भी शिक्षकों की कमी रहेगी। खासकर नगर क्षेत्र के
चार स्कूल तो बंद रहेंगे यहां पर एक भी शिक्षक नहीं है। इसी तरह लालगंज में
5, खीरों में 4, महाराजगंज में 4 स्कूल हैं। शिक्षकों की कमी पर नजर
प्राथमिक स्कूल ग्रामीण- 1766 सहायक अध्यापक, 3027 प्रधान शिक्षक
प्राथमिक स्कूल नगर- 70 सहायक अध्यापक, 9 प्रधान अध्यापक
उच्च प्राथमिक स्कूल ग्रामीण- 195 सहायक अध्यापक, 195 प्रधान अध्यापक
उच्च प्राथमिक स्कूल नगर- 2 प्रधान शिक्षक
बछरावां में सबसे अधिक स्टेशन छोड़ते शिक्षक
शिक्षकों के लिए नियम हैं कि जहां पर स्कूल है उसी के आसपास उन्हें
निवास करना होगा लेकिन जिले में ऐसा नहीं है। बीएसए व डीएम के निर्देश के
बाद भी शिक्षक स्टेशन छोड़ देते हैं। बछरावां में 55 फीसद शिक्षक स्टेशन
छोड़कर लखनऊ में अपने निवास पर शाम को चले जाते हैं। डलमऊ में 8, ऊंचाहार
में 2 शिक्षक बाहर रहते हैं।
माध्यमिक शिक्षा
वित्तविहीन ढो रहे शिक्षा का भार
जिले में माध्यमिक शिक्षा वित्त विहीन स्कूलों के कंधों पर टिकी हुई
है। 313 माध्यमिक शिक्षा से जुड़े स्कूलों में 232 कालेज वित्त विहीन हैं
जिसमें करीब 1.25 लाख छात्र-छात्रा पढ़ रहें हैं। यहां पर भौतिक, रसायन व
जीव विज्ञान की बेहतर लैब है तो शिक्षक भी पूरी क्षमता के साथ लगे हैं। ऐसे
में बोर्ड परीक्षा में इन्हीं स्कूलों का परिणाम बेहतर होता है। वहीं 46
वित्त पोषित हैं लेकिन प्रबंध तंत्र का झंझट कई स्कूलों की व्यवस्था में
खलल डालता रहा है।
कभी लगती थी सिफारिश अब छात्रों की जरूरत
एक समय था जब जिले राजकीय स्कूलों में पंजीकरण के लिए सांसद, विधायक व
मंत्री तक की सिफारिश लगती थी लेकिन समय ऐसा बदला कि 35 राजकीय स्कूलों में
पढ़ने के लिए बच्चे नहीं हैं। अब हर साल एडमिशन के लिए जागरुकता अभियान
चलाया जा रहा है। असल में शिक्षकों की कमी को पूरा नहीं किया गया जिसका
नतीजा यह रहा कि यह कालेज धीरे-धीरे बदहाल होते चले गए।
राजकीय स्कूलों पर नजर
राजकीय इंटर कालेज बालिका- 10
राजकीय इंटर कालेज बालक- 7
राजकीय हाई स्कूल- 18
शिक्षकों पर नजर
प्रवक्ता- 59
सहायक अध्यापक- 95
सहायक अध्यापक एलटी- 32
इनकी सुनें
शिक्षकों की कमी को पूरा किया जा रहा है। नए शिक्षक जो स्थानांतरण
प्रक्रिया के तहत आए हैं उनकी काउंसि¨लग सात जुलाई तक हो सकती है। रही बाद
बंद स्कूलों की तो उसकी सूची बनाई जा रही है। हालांकि जिले में अब बहुत कम
स्कूल ही बंद हैं।
वीरेंद्र कनौजिया
खंड विकास अधिकारी जिले में 2600 के करीब शिक्षामित्र हैं, जून माह में
संगठन ने शिक्षामित्रों को बीएलओ से साथ काम करने को लेकर ज्ञापन दिया था।
करीब 75 प्रतिशत शिक्षामित्र बीएलओ के काम से जुड़े हैं वहीं हर ब्लाक में
10 स्कूलों में शिक्षामित्र पठन-पाठन की व्यवस्था का भार संभाले हुए हैं।
अजीत ¨सह
नेता शिक्षामित्र
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- 2004 में शिक्षामित्रों की नियुक्तियों हेतु जारी विज्ञप्ति: इसी विज्ञप्ति के आधार पर हुआ था शिक्षामित्रों की का चयन
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- वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय की पहली किस्त अक्टूबर में, यह होगा सहायक अध्यापक व प्रधानाचार्य का मानदेय
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- Shikshamitra Appointment: 2001 में शिक्षामित्रों की नियुक्ति सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों के सापेक्ष ही हुई थी