Lucknow News: सुप्रीम कोर्ट से UP Shiksha Mitra
Samayojan निरस्त होने और योगी सरकार से निराशाजनक जवाब मिलने के बाद अब
शिक्षामित्र आर-पार की लड़ाई लडऩे जा रहे हैं। के मूड में हैं।
बतादें कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने कहा था कि वह नवंबर में बेसिक शिक्षकों की भर्ती करेगी। भर्तियों में शिक्षामित्रों को अधिकतम 25 नंबर का भारांक मिलेगा। वहीं टीईटी (TET) के मुद्दे पर न तो शिक्षामित्रों को कोई रियायत दी जाएगी और न ही यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन (पुर्नविचार याचिका) दायर करेगी। योगी सरकार के इस रवैये को लेकर शिक्षामित्रों में भारी रोष है। अब वह आर-पार की लड़ाई लडऩे के मूड में हैं।
बतादें कि 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त होने के बाद योगी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे शिक्षामित्रों ने आंदोलन करने का मन बनाया है। समायोजित शिक्षामित्रों का कहना है कि सहायक अध्यापक पद व वेतन बचाए रखने समेत उनकी अन्य मांगें अगर 16 अगस्त तक नहीं मानी गईं तो वे 17 से आंदोलन करेंगे।
क्या कहा था उत्तर प्रदेश सरकार ने
योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा था कि भर्तियों में शिक्षामित्रों को प्रतिवर्ष ढाई नंबर के हिसाब से अधिकतम 25 नंबर तक का भरांक मिलेगा। वहीं इस पर शिक्षामित्र संगठनों के नेताओं का कहना है कि उन्होंने भर्तियां होने तक मानदेय बढ़ाने की मांग की, लेकिन शासन ने साफ कह दिया कि फिलहाल 10 हजार रुपए प्रतिमाह से अधिक मानदेय नहीं दिया जा सकता। तब तक उन्हें यह सुविधा दी जा सकती है कि वे या तो मूल विद्यालयों में पढ़ाएं या जहां अभी कार्यरत हैं वहीं रहें।
योगी सरकार के रूख से शिक्षामित्र भी हैरान हैं अब वे आर-पार की लड़ाई लडऩे के मूड में हैं। अब उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि शासन का प्रस्ताव हमें मंजूर नहीं है। वहीं संयुक्त सक्रिय शिक्षक शिक्षामित्र समिति के प्रदेश अध्यक्ष दीनानाथ दीक्षित और संरक्षक दुष्यंत चौहान का कहना है कि सरकार कानून बना कर शिक्षामित्रों को राहत दे सकती है, लेकिन इस पर विचार नहीं किया जा रहा है। इसलिए 17 अगस्त को उत्तर प्रदेश के डेढ़ लाख से अधिक Shiksha Mitra राजधानी में प्रदर्शन करेंगे। शिक्षामित्रों के इस रूख से सरकार की भी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। शिक्षामित्र भी अब पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार कोई बीच का रास्ता निकालने को तैयार नहीं है। इसलिए हम आंदोलन करने को मजबूर हैं।
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- UPTET एकेडमिक लीडर कपिल देव यादव की फेसबुक पोस्ट
- शिक्षामित्रों को जल्द ही मिल सकती है खुसखबरी
बतादें कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने कहा था कि वह नवंबर में बेसिक शिक्षकों की भर्ती करेगी। भर्तियों में शिक्षामित्रों को अधिकतम 25 नंबर का भारांक मिलेगा। वहीं टीईटी (TET) के मुद्दे पर न तो शिक्षामित्रों को कोई रियायत दी जाएगी और न ही यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन (पुर्नविचार याचिका) दायर करेगी। योगी सरकार के इस रवैये को लेकर शिक्षामित्रों में भारी रोष है। अब वह आर-पार की लड़ाई लडऩे के मूड में हैं।
बतादें कि 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त होने के बाद योगी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे शिक्षामित्रों ने आंदोलन करने का मन बनाया है। समायोजित शिक्षामित्रों का कहना है कि सहायक अध्यापक पद व वेतन बचाए रखने समेत उनकी अन्य मांगें अगर 16 अगस्त तक नहीं मानी गईं तो वे 17 से आंदोलन करेंगे।
क्या कहा था उत्तर प्रदेश सरकार ने
योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा था कि भर्तियों में शिक्षामित्रों को प्रतिवर्ष ढाई नंबर के हिसाब से अधिकतम 25 नंबर तक का भरांक मिलेगा। वहीं इस पर शिक्षामित्र संगठनों के नेताओं का कहना है कि उन्होंने भर्तियां होने तक मानदेय बढ़ाने की मांग की, लेकिन शासन ने साफ कह दिया कि फिलहाल 10 हजार रुपए प्रतिमाह से अधिक मानदेय नहीं दिया जा सकता। तब तक उन्हें यह सुविधा दी जा सकती है कि वे या तो मूल विद्यालयों में पढ़ाएं या जहां अभी कार्यरत हैं वहीं रहें।
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योगी सरकार के रूख से शिक्षामित्र भी हैरान हैं अब वे आर-पार की लड़ाई लडऩे के मूड में हैं। अब उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि शासन का प्रस्ताव हमें मंजूर नहीं है। वहीं संयुक्त सक्रिय शिक्षक शिक्षामित्र समिति के प्रदेश अध्यक्ष दीनानाथ दीक्षित और संरक्षक दुष्यंत चौहान का कहना है कि सरकार कानून बना कर शिक्षामित्रों को राहत दे सकती है, लेकिन इस पर विचार नहीं किया जा रहा है। इसलिए 17 अगस्त को उत्तर प्रदेश के डेढ़ लाख से अधिक Shiksha Mitra राजधानी में प्रदर्शन करेंगे। शिक्षामित्रों के इस रूख से सरकार की भी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। शिक्षामित्र भी अब पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार कोई बीच का रास्ता निकालने को तैयार नहीं है। इसलिए हम आंदोलन करने को मजबूर हैं।
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