आज अपने बड़े भाई श्री शशांक तिवारी जी द्वारा कही गयी दो पंक्तियाँ से अपनी बात को प्रारम्भ करूँगा.......
"हमेशा अनंत अंतरिक्ष को पाने की इक्षा रखें और प्रयास करें, यदि किसी कारण वहां नही पहुँचे तो हम तारों के मध्य तो होंगे ही।"
"हमेशा अनंत अंतरिक्ष को पाने की इक्षा रखें और प्रयास करें, यदि किसी कारण वहां नही पहुँचे तो हम तारों के मध्य तो होंगे ही।"