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24 अगस्त आर्डर : कोर्ट ने स्पष्ट आदेश न करते हुए एक बार फिर से गेंद सरकार के पाले में फेंक दी हैं.. : अरशद अली

बीते दिनों मानसिक रूप से आघात पहुंचने के कारण आत्मचिंतन में व्यस्त रहा.. मित्रों जब मैं परेशान हुआ तो और टेट 2011 को अलविदा बोला तो प्रदेश में इस पर मुझे मिली जुली प्रतिक्रिया मिली..
अल्प मात्रा में लोग खुश थे की अरशद ये संघर्ष छोड़ कर भाग गया,क्योंकि सबसे ज्यादा अचयनितों के लिए हक़ की बात करता था, वहीँ एक बड़ा वर्ग मेरे इस फैसले से नाखुश था..और मेरे एकदम इस प्रकार के फैसले से आश्चर्यचकित था..और फिर शुरू उन लोगों का लगातार मुझे कॉल करना...लगातार मैसेज करना व्हाट्सएप फेसबुक पर साथ देने का आग्रह करना..वास्तविक रूप से ये वो अनमोल पल थे जिन्होंने मुझे मेरी अहमियत का आभास कराया..
इस दौरान मैंने अपने आका और अल्लाह के सबसे प्यारे नबी पैगम्बर सल्ललाहु अलैहि वसल्लम की जीवनी के कुछ अंशों का आत्मसात किया..मेरे आका स0 अलैहि वसल्लम पर एक बूढी महिला रोज़ राह से गुजरने पर कूड़ा फेंका करती थी..फिर भी वो बिना कुछ कहे दुआ दिए चले जाते थे.. एक रोज़ उस बूढी महिला ने आका पर कूड़ा नही फेंका,किसी ने बताया की वो बुढ़िया बीमार है.जिस पर हमारे नबी खैरियत लेने उस बूढी महिला के घर चले गए..बुढ़िया ने जब देखा तो रोने लगी की जिस पर मैं रोज़ कूड़ा फेंकती थी आज वो मेरी बीमारी पर मुझे देखने और खैरियत लेने आये हैं..
दोस्तों इस हदीस को बताने का मेरा एक ही मकसद है की हम अपने प्यारे रसूल S.A.W के पैरों की धूल भी नही हैं..लेकिन उनके उम्मती हैं..और हमारी कोशिश अपने नबी के बताये रास्ते पर चलने की ही होनी चाहिए.. जिन्होंने दोस्त तो दोस्त दुश्मनों से भी अच्छे इख़लाक़ से पेश आने की हिदायत दी हैं..
शैतान ने हमेशा लोगो को अच्छाई के खिलाफ भड़काने का काम किया हैं..लेकिन हमें इस गीबत(बुराई) से तौबा करनी है तभी हम सच्चे मायने में अपने नबी के बताये रास्तों पर चलने योग्य बन सकेंगे..
वर्तमान में टेट इतिहास में कई खबीस* मौजूद हैं..जिनका काम सिर्फ मेरे काम की गीबत(बुराई) करना ही हैं.. फिर काम कितना ही अच्छा क्यू न हो..इन्हें उस काम में कीड़े नज़र आते है और शैतान की तरह ये लोगों को भड़काने का काम करते है..
खैर.. आज के बाद मैं इन खबीस* का जवाब देकर गुनहगार नही होना चाहता.. इसलिए मैं अब प्रतिउत्तर में इन खबीस* को कोई जवाब नही दूंगा..और अपने लक्ष्य पर ध्यान दूंगा..
दोस्तों मैं वापस आया हूँ तो सिर्फ अपने चाहने वालों के उतरे चेहरों को देखकर जिनकी आँखों का पानी उनके बिना कुछ कहे सब कुछ कह जाता हैं.. इसलिए नवंबर तक और संघर्ष सही आप सभी के लिए.. I AM #BACK
""बनोगे दोस्त मेरे तुम भी दुश्मनों एक दिन
मेरी हयात की आह-ओ-फ़ुग़ाँ सुनो तो सही""
अब बात करते है 24 अगस्त के आर्डर की..
आर्डर में वही सब कुछ है जोकि सुनवाई के दिन मैंने आप सभी को अवगत कराया था.. बहुत अधिक विस्तार में जाकर मैं आप सभी को भ्रमित न करते हुए सीधे लफ़्ज़ों में आर्डर के बारे में बताना चाहूँगा की कोर्ट ने 7 dec और 24 Feb के आर्डर के कंप्लायंस में जो भी दिक्कतें आ रही हैं उस पर 4 सप्ताह के अंदर सरकार से जवाब दाखिल करने को बोला गया है.. जैसा की मैंने पहले ही बताया था की 24 फ़रवरी के आर्डर को ही मॉडिफाई करके पुनः दे दिया गया है मा0 दीपक मिश्रा जी द्वारा। यानि अगर ये कहा जाये की पुराना सामान नयी पैकिंग में दे दिया गया है तो कोई गलत नही होगा..
कोर्ट ने स्पष्ट आदेश न करते हुए एक बार फिर से गेंद सरकार के पाले में फेंक दी हैं.. हमें कूटनीति से सरकार को अपने पाले में करना होगा जिसकी शुरुआत मैंने कर दी हैं..
3 मई पुनः न दोहराया जाये इसलिए भावावेश में आकर और अनुभवहीनता से कोई कदम नही उठाना है..
आत्म मंथन के बाद ही इस पर स्थिति स्पष्ट करूँगा..अगली पोस्ट का इंतज़ार करें।
यहां एक बात और गौर करने वाली है और वो ये की किसी नौकरी कर रहे नेता ने आपको ये नही बताया की 24 अगस्त को याची राहत क्यों नही मिला..सबने एक स्वर में इसका ठीकरा चयन से वंचित साथियो पर ये कह कर फोड़ दिया कि इनके अनावश्यक वकीलों की भीड़ से जज नाराज़ हो गए.. जबकि ये कथन अपचय है क्योंकि देश की सबसे बड़ी अदालत में इसका कोई प्रभाव नही पड़ता बल्कि अधिक वकील इस बात का परिचायक है की बीएड अभ्यर्थी नौकरी के प्रति सजग है व ये मुद्दा अत्यंत सवेंदनशील है.. एक अफवाह और फैलाई गयी की याची राहत का विरोध कपिल देव के वकील ने किया जो की निराधार है क्योंकि याची राहत का जनक याची राहत के विरुद्ध नही जायेगा..
अग्रिम धन्यवाद।
आपका साथी
अरशद अली
चयन से वंचित
104 सामान्य कला वर्ग
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