टीजीटी का परिणाम बना बोर्ड के गले की फांस
इलाहाबाद (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की टीजीटी सामाजिक विज्ञान परीक्षा 2009 का दोबारा मूल्यांकन कराए जाने के आदेश के बाद पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों पर बाहर होने का खतरा मंडराने लगा है। चयन बोर्ड की गलती के कारण बार-बार परिणाम में संशोधन करना पड़ रहा है।
ऐसे में तीन वर्ष से प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में अध्यापन कर रहे शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से टीजीटी सामाजिक विज्ञान के लिए 15 जनवरी 2009 को पदों की घोषणा की गई थी। इसमें सामान्य वर्ग की 136, पिछड़ा वर्ग की 340 और अनुसूचित जाति की 235 सीटें थीं। टीजीटी सामाजिक विज्ञान की परीक्षा एवं साक्षात्कार पूरा होने के बाद अभ्यर्थियों ने परीक्षा में पूछे गए सात प्रश्नों के गलत होने की शिकायत की थी। चयन बोर्ड की ओर से इस संबंध में सुनवाई नहीं होने पर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट ने प्रश्नों की जांच के बाद उनको गलत पाया और सही उत्तर सुझाते हुए संशोधित परिणाम जारी करने का आदेश दिया। इसके बाद चयन बोर्ड ने संशोधित परिणाम जारी किया, इसमें 137 चयनित अभ्यर्थी बाहर हो गए।
चयन बोर्ड ने एकल न्यायपीठ के फैसले को विशेष अपील में चुनौती दी। इसके बाद कोर्ट ने चयन बोर्ड के प्रश्नपत्र की जांच विशेषज्ञ से करवाई, इसमें प्रश्नों के उत्तर गलत पाए गए। विशेषज्ञ की रिपोर्ट के बाद आखिरकार कोर्ट ने चयन बोर्ड से प्रश्नपत्र का दोबारा मूल्यांकन कराने का आदेश दिया। इस बीच चयन बोर्ड की ओर से चयनित सामाजिक विज्ञान शिक्षकों ने अपने-अपने विद्यालयों में अध्यापन कार्य शुरू कर दिया। इन अध्यापकों को विद्यालयों में अध्यापन कार्य करते हुए तीन वर्ष से अधिक का समय बीत गया है।
गलत प्रश्न पूछे जाने के बाद हाईकोर्ट ने चयन बोर्ड से टीजीटी सामाजिक विज्ञान का दोबारा मूल्यांकन कराने को कहा
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इलाहाबाद (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की टीजीटी सामाजिक विज्ञान परीक्षा 2009 का दोबारा मूल्यांकन कराए जाने के आदेश के बाद पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों पर बाहर होने का खतरा मंडराने लगा है। चयन बोर्ड की गलती के कारण बार-बार परिणाम में संशोधन करना पड़ रहा है।
ऐसे में तीन वर्ष से प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में अध्यापन कर रहे शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से टीजीटी सामाजिक विज्ञान के लिए 15 जनवरी 2009 को पदों की घोषणा की गई थी। इसमें सामान्य वर्ग की 136, पिछड़ा वर्ग की 340 और अनुसूचित जाति की 235 सीटें थीं। टीजीटी सामाजिक विज्ञान की परीक्षा एवं साक्षात्कार पूरा होने के बाद अभ्यर्थियों ने परीक्षा में पूछे गए सात प्रश्नों के गलत होने की शिकायत की थी। चयन बोर्ड की ओर से इस संबंध में सुनवाई नहीं होने पर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट ने प्रश्नों की जांच के बाद उनको गलत पाया और सही उत्तर सुझाते हुए संशोधित परिणाम जारी करने का आदेश दिया। इसके बाद चयन बोर्ड ने संशोधित परिणाम जारी किया, इसमें 137 चयनित अभ्यर्थी बाहर हो गए।
चयन बोर्ड ने एकल न्यायपीठ के फैसले को विशेष अपील में चुनौती दी। इसके बाद कोर्ट ने चयन बोर्ड के प्रश्नपत्र की जांच विशेषज्ञ से करवाई, इसमें प्रश्नों के उत्तर गलत पाए गए। विशेषज्ञ की रिपोर्ट के बाद आखिरकार कोर्ट ने चयन बोर्ड से प्रश्नपत्र का दोबारा मूल्यांकन कराने का आदेश दिया। इस बीच चयन बोर्ड की ओर से चयनित सामाजिक विज्ञान शिक्षकों ने अपने-अपने विद्यालयों में अध्यापन कार्य शुरू कर दिया। इन अध्यापकों को विद्यालयों में अध्यापन कार्य करते हुए तीन वर्ष से अधिक का समय बीत गया है।
गलत प्रश्न पूछे जाने के बाद हाईकोर्ट ने चयन बोर्ड से टीजीटी सामाजिक विज्ञान का दोबारा मूल्यांकन कराने को कहा
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