इलाहाबाद : प्रदेश भर के अशासकीय सहायता प्राप्त हाईस्कूल व
इंटर कालेज के ‘बाबू’ अब ‘मास्साब’ भी बन सकेंगे। शिक्षणोतर कर्मियों को
पदोन्नति देने की प्रक्रिया तेज हो गई हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने शासन
को इस संबंध में प्रस्ताव भी भेजा है।
इसमें कहा गया है कि विद्यालयों में
सृजित पदों में से पांच फीसद एलटी ग्रेड शिक्षकों के पद लिपिक संवर्ग को
पदोन्नति देकर भरे जाएं। इस पर मुहर लगने पर करीब तीन हजार से अधिक लिपिकों
को शिक्षक बनने का मौका मिलेगा।- नवनियुक्त शिक्षकों का वेतन फिर लटका : बाबुओं की लापरवाही से वेतन बिल नहीं हुए तैयार
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शिक्षणोतर कर्मियों को
शिक्षक बनाने की मुहिम सोलह बरस पुरानी है। चार अप्रैल 2000 को तत्कालीन
मुख्य सचिव योगेंद्र नारायण ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षणोतर संघ के
संरक्षक गोमती प्रसाद शुक्ल की इस मांग पर सहमति जताई थी। हालांकि उस समय
विद्यालय में सृजित शिक्षक पदों के दस फीसद सीटों को लिपिक एवं चतुर्थ
श्रेणी संवर्ग से भरे जाने की मांग हुई थी। दरअसल इस मांग के पीछे मंशा यह
थी कि राजकीय कालेज में शिक्षक बनने वाले शख्स निरंतर प्रमोशन पाते हुए
शिक्षा विभाग के उच्च पदों तक पहुंचते हैं, वहीं अशासकीय कालेजों के शिक्षक
व अन्य संवर्ग जहां का तहां रह जाता है।
ऐसे में सूबे के
2310 हाईस्कूल एवं 4000 से अधिक इंटर स्तर के अशासकीय कालेजों के करीब दस
हजार लिपिक एवं 30 हजार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी लाभ दिलाने की
तैयारी है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने इस संबंध में पिछले दिनों शासन को
प्रस्ताव भी भेज दिया है कि कालेजों में सृजित एलटी ग्रेड शिक्षकों के पांच
फीसद पदों को शिक्षणोतर कर्मचारियों से भरा जाए। इसमें चतुर्थ श्रेणी
कर्मचारियों को उसी सूरत में मौका मिलेगा, जब उस कालेज में तृतीय श्रेणी
कर्मचारी शिक्षक बनने की अर्हता न पूरी करता हो। इस पर शासन में मंथन चल
रहा है। माना जा रहा है जल्द ही इस पर मुहर लगने के आसार हैं।
किसे मिलेगा यह लाभ :
अशासकीय सहायता प्राप्त कालेजों में शिक्षणोतर संवर्ग में तमाम ऐसे
कर्मचारी (लिपिक एवं अनुचर) नियुक्त हैं जो प्रशिक्षित शिक्षक हैं, लेकिन
अन्य पदों पर कार्य कर रहे हैं। शिक्षक बनने के लिए एलटी या फिर बीएड होना
जरूरी है। सूबे के एडेड स्कूलों में ऐसे कर्मचारियों की तादाद करीब तीन
हजार है।
बिहार, दिल्ली व आंध्र में मिल रहा लाभ : शिक्षणोतर
कर्मचारियों को शिक्षक बनाने का प्रयास उत्तर प्रदेश में किया जा रहा है,
जबकि बिहार, दिल्ली एवं आंध्र प्रदेश में यह लाभ दिया जा रहा है। शिक्षणोतर
संघ हालांकि 25 फीसद पद मांग रहा है, लेकिन संगठन में इसको लेकर दो मत है
अधिकांश लोग प्रतिशत कम होने पर भी इसे लागू करने की हिमायत कर रहे हैं।
उनका कहना है कि कम से कम यह नियम तो बन जाए।
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