सरकारी शिक्षकों को रोज लिखकर देना होगा आज क्या पढ़ाएंगे, बनानी होगी डायरी

सिद्धार्थनगर. अब परिषदीय विद्यालयों में भी प्राइवेट स्कूलों की ही तर्ज पर पढ़ाई होगी। इसके लिए विद्यालयों में तैनात शिक्षकों को टीचर डायरी बनानी होगी, जिसमें किस दिन किस कक्षा को क्या पढ़ाना है, इसका पूरा ब्योरा दर्ज होगा। इसके बाद ही शिक्षक अपनी कक्षा में पढ़ा सकेंगे।
शिक्षक डायरी नहीं बनाने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए विद्यालयों के औचक जांच के दौरान सभी शिक्षकों के शिक्षक डायरी की भी जांच की जाएगी।
इस बार परिषदीय विद्यालयों में भी इण्टर काॅलेज व विश्वविद्यालय की तरह शैक्षणिक कैलेण्डर के आधार पर ही पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग तैयारी में जुटा हुआ है। अध्यापकों को डायरी बनाने के लिए ब्लाक संसाधन केन्द्रों पर बैठक के दौरान प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिसके आधार पर ही पढ़ाई कराई जाएगी।
विद्यालयों में शिक्षकों को पढ़ाई की व्यवस्था सुधारने के साथ ही गुणवत्ता की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए 40 बिन्दुओं का बुकलेट भी विभाग की ओर से दिया जाएगा, जिसके आधार पर ही शिक्षकों को काम करना होगा। ऐसा नहीं करने पर सम्बंधित शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई होगी। इतना ही नहीं अब शिक्षकों को हर महीने विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक करानी होगी। ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में विद्यालय की शैक्षिण गुणवत्ता पर चर्चा करने के साथ ही शैक्षिक माहौल को बेहतर बनाने के उपायों को भी मूर्त रूप दिया जाएगा।

इस सम्बंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अरविन्द कुमार पाठक ने सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को पत्र भी जारी कर दिया है, जिसके आधार पर सभी को शिक्षण कार्य करने का निर्देश दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर विद्यालयों की जांच के दौरान सभी बिन्दुओं का पालन नहीं पाया गया तो सम्बंधित प्रधानाध्यापक व शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई सुनिचिश्त की जाएगी।

शिक्षकों को अपडेट करनी होगी डायरी

परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अपनी डायरी हर दिन अपडेट करनी होगी। बच्चों को पढ़ाने के लिए लेसन प्लान तैयार करने के साथ ही उसे समय से अपडेट करना होगा। इसका भी निरीक्षण समय-समय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा जांच कर रिपोर्ट दी जाएगी। परिषद का मानना है कि शिक्षक डायरी से शैक्षिण गुणवत्ता में काफी सुधार आएगा और प्राइवेट विद्यालयों जैसा माहौल मिलने पर प्राइमरी स्कूलों की तरफ बच्चों व अभिभावकों का झुकाव भी बढ़ेगा।
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