लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में वर्ष 2017-18 के लिए राजकीय हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों के शिक्षकों की स्थानांतरण नीति पर मुहर लग गई।
यह नीति पहली बार बनायी गई है। मंजूर की गई नीति के मुताबिक शिक्षकों का स्थानांतरण/समायोजन तीन चरणों में होगा और इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। शिक्षकों के तबादले के लिए जिला या तहसील मुख्यालय से दूरी के आधार विद्यालयों को तीन जोन में बांटा जाएगा। 58 साल की आयु पूरी कर चुके शिक्षकों को ऐच्छिक जिले में तैनाती दी जाएगी।
पहले चरण में अतिरिक्त (सरप्लस) घोषित किये गए शिक्षकों का समायोजन होगा। जिस शिक्षक ने कार्यरत विद्यालय में बाद में कार्यभार ग्रहण किया है, उसे पहले अतिरिक्त घोषित किया जाएगा। अतिरिक्त घोषित किये गए शिक्षक को ऑनलाइन आवेदन कर समायोजन के लिए विकल्प देना होगा। उसे राजकीय हाईस्कूल/इंटर कॉलेज के विषयवार रिक्त पद पर तय वरीयता के अनुसार समायोजित किया जाएगा। समायोजन/सथानांतरण के लिए शिक्षकों की वरीयता गुणवत्ता अंक के आधार पर तय होगी।
अतिरिक्त शिक्षकों के समायोजन के बाद बचे हुए पदों पर दूसरे चरण में चार श्रेणियों के शिक्षकों को तय गुणांक के आधार पर वरीयता क्रम में उनके अनुरोध पर तबादला किया जाएगा। इनमें वे शिक्षक शामिल होंगे जिनके पति या पत्नी सेना या अर्धसैनिक बलों में नक्सल प्रभावित क्षेत्र या सीमा पर तैनात हैं। वे शिक्षक भी शामिल होंगे जो असाध्य रोग से पीड़ित हैं। स्थानांतरण वर्ष की 30 जून को जिन शिक्षकों की आयु 58 साल पूरी हो चुकी है, उन्हें ऐच्छिक जिले में तैनाती दी जाएगी। यदि पति/पत्नी दोनों सरकारी सेवा में अलग-अलग जिलों में तैनात हैं तो उन्हें एक जिले में तैनाती दी जाएगी। इसके बाद तीसरे चरण में अन्य बचे हुए शिक्षकों का गुणवत्ता अंक के आधार पर वरीयता क्रम में तबादला किया जाएगा। एक से अधिक शिक्षकों के गुणवत्ता अंक समान होने पर संवर्ग में वरिष्ठ शिक्षक को वरीयता दी जाएगी।
राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों को तबादले के लिए देने होंगे तीन विकल्प : कैबिनेट ने राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे दी है। इन शिक्षकों को तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा और तीन विकल्प देना होगा। शिक्षक का तबादला नीति के तहत निर्धारित गुणांक के सापेक्ष शिक्षक द्वारा अर्जित अधिकतम अंकों के आधार पर किया जाएगा। ऐसे शिक्षक जिनके पति या पत्नी सेना या अर्धसैनिक बलों में नक्सल प्रभावित क्षेत्र या सीमा पर तैनात हैं या वे जो असाध्य रोग से पीड़ित हैं या वे पति-पत्नी जो दोनों राजकीय महाविद्यालय की सेवा में हैं, उनका तबादला जहां तक संभव होगा, उनकी इच्छा के अनुसार किया जाएगा।
कैबिनेट ने राज्य स्तरीय पुरस्कार नियमावली 2017 को मंजूरी दे दी है। नियमावली के तहत पुरस्कार के लिए दिव्यांगों की प्रत्येक श्रेणी में एक या एक से अधिक उपश्रेणियां होंगी। नियमावली में विभिन्न श्रेणी के पुरस्कारों के लिए मानदंडों व कैलेंडर के निर्धारण के साथ ही चयन की प्रक्रिया भी तय कर दी गई है। इस पर करीब 13 लाख रुपये का खर्च संभावित है। वर्ष 1995 में समाज कल्याण विभाग से अलग करके दिव्यांग कल्याण विभाग का गठन किए जाने के पहले से दिव्यांगता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित व पुरस्कृत करने की व्यवस्था रही है। विभाग के गठन के बाद वर्ष 2000 में पुरस्कार की नकद राशि एक हजार से बढ़ा कर पांच हजार रुपये की गई थी।
समायोजन में यथासंभव नहीं शामिल होंगे ये शिक्षक
जिनके पति या पत्नी सेना, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (आइटीबीपी/बीएसएफ/सीआरपीएफ) में कार्यरत हैं और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों/सीमा पर तैनात हैं।
जो कैंसर/एचआइवी/किडनी या लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
जिनकी आयु स्थानांतरण वर्ष की 30 जून को 58 वर्ष पूरी हो चुकी है।
पति/पत्नी दोनों सरकारी सेवा में उसी जिले में तैनात हों।
जिन्हें राष्ट्रीय/राज्य पुरसकार मिला हो।
ऐसे बंटेंगे जोन
जिले की म्यूनिसिपल सीमा या जिला मुख्यालय से आठ किमी की दूरी तक, जो भी अधिक हो - जोन-1
तहसील मुख्यालय से दो किमी तक की दूरी - जोन-2
इनके अलावा बाकी क्षेत्र - जोन-3
ऐसे तय होंगे गुणवत्ता अंक
दिव्यांग शिक्षकों के लिए दिव्यांगता के आधार पर 10 से 20 अंक
पति/पत्नी या बच्चों के अपंग होने या असाध्य रोग से ग्रस्त होने पर 10 अंक
राष्ट्रीय/राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों के लिए 10 अंक
विधवा/तलाकशुदा महिला शिक्षक के लिए 10 अंक
विधुर शिक्षक के लिए 10 अंक
महिला शिक्षक के लिए 10 अंक
जोन-3 में तैनात शिक्षको को प्रत्येक वर्ष की सेवा के लिए दो अंक और अधिकतम 10 अंक
जोन-2 में तैनात शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष की सेवा पर एक अंक, अधिकतम 10 अंक
शिक्षक की आयु के अनुसार प्रत्येक वर्ष के लिए एक अंक, अधिकतम 58 अंक।
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यह नीति पहली बार बनायी गई है। मंजूर की गई नीति के मुताबिक शिक्षकों का स्थानांतरण/समायोजन तीन चरणों में होगा और इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। शिक्षकों के तबादले के लिए जिला या तहसील मुख्यालय से दूरी के आधार विद्यालयों को तीन जोन में बांटा जाएगा। 58 साल की आयु पूरी कर चुके शिक्षकों को ऐच्छिक जिले में तैनाती दी जाएगी।
पहले चरण में अतिरिक्त (सरप्लस) घोषित किये गए शिक्षकों का समायोजन होगा। जिस शिक्षक ने कार्यरत विद्यालय में बाद में कार्यभार ग्रहण किया है, उसे पहले अतिरिक्त घोषित किया जाएगा। अतिरिक्त घोषित किये गए शिक्षक को ऑनलाइन आवेदन कर समायोजन के लिए विकल्प देना होगा। उसे राजकीय हाईस्कूल/इंटर कॉलेज के विषयवार रिक्त पद पर तय वरीयता के अनुसार समायोजित किया जाएगा। समायोजन/सथानांतरण के लिए शिक्षकों की वरीयता गुणवत्ता अंक के आधार पर तय होगी।
अतिरिक्त शिक्षकों के समायोजन के बाद बचे हुए पदों पर दूसरे चरण में चार श्रेणियों के शिक्षकों को तय गुणांक के आधार पर वरीयता क्रम में उनके अनुरोध पर तबादला किया जाएगा। इनमें वे शिक्षक शामिल होंगे जिनके पति या पत्नी सेना या अर्धसैनिक बलों में नक्सल प्रभावित क्षेत्र या सीमा पर तैनात हैं। वे शिक्षक भी शामिल होंगे जो असाध्य रोग से पीड़ित हैं। स्थानांतरण वर्ष की 30 जून को जिन शिक्षकों की आयु 58 साल पूरी हो चुकी है, उन्हें ऐच्छिक जिले में तैनाती दी जाएगी। यदि पति/पत्नी दोनों सरकारी सेवा में अलग-अलग जिलों में तैनात हैं तो उन्हें एक जिले में तैनाती दी जाएगी। इसके बाद तीसरे चरण में अन्य बचे हुए शिक्षकों का गुणवत्ता अंक के आधार पर वरीयता क्रम में तबादला किया जाएगा। एक से अधिक शिक्षकों के गुणवत्ता अंक समान होने पर संवर्ग में वरिष्ठ शिक्षक को वरीयता दी जाएगी।
राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों को तबादले के लिए देने होंगे तीन विकल्प : कैबिनेट ने राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे दी है। इन शिक्षकों को तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा और तीन विकल्प देना होगा। शिक्षक का तबादला नीति के तहत निर्धारित गुणांक के सापेक्ष शिक्षक द्वारा अर्जित अधिकतम अंकों के आधार पर किया जाएगा। ऐसे शिक्षक जिनके पति या पत्नी सेना या अर्धसैनिक बलों में नक्सल प्रभावित क्षेत्र या सीमा पर तैनात हैं या वे जो असाध्य रोग से पीड़ित हैं या वे पति-पत्नी जो दोनों राजकीय महाविद्यालय की सेवा में हैं, उनका तबादला जहां तक संभव होगा, उनकी इच्छा के अनुसार किया जाएगा।
कैबिनेट ने राज्य स्तरीय पुरस्कार नियमावली 2017 को मंजूरी दे दी है। नियमावली के तहत पुरस्कार के लिए दिव्यांगों की प्रत्येक श्रेणी में एक या एक से अधिक उपश्रेणियां होंगी। नियमावली में विभिन्न श्रेणी के पुरस्कारों के लिए मानदंडों व कैलेंडर के निर्धारण के साथ ही चयन की प्रक्रिया भी तय कर दी गई है। इस पर करीब 13 लाख रुपये का खर्च संभावित है। वर्ष 1995 में समाज कल्याण विभाग से अलग करके दिव्यांग कल्याण विभाग का गठन किए जाने के पहले से दिव्यांगता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित व पुरस्कृत करने की व्यवस्था रही है। विभाग के गठन के बाद वर्ष 2000 में पुरस्कार की नकद राशि एक हजार से बढ़ा कर पांच हजार रुपये की गई थी।
समायोजन में यथासंभव नहीं शामिल होंगे ये शिक्षक
जिनके पति या पत्नी सेना, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (आइटीबीपी/बीएसएफ/सीआरपीएफ) में कार्यरत हैं और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों/सीमा पर तैनात हैं।
जो कैंसर/एचआइवी/किडनी या लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
जिनकी आयु स्थानांतरण वर्ष की 30 जून को 58 वर्ष पूरी हो चुकी है।
पति/पत्नी दोनों सरकारी सेवा में उसी जिले में तैनात हों।
जिन्हें राष्ट्रीय/राज्य पुरसकार मिला हो।
ऐसे बंटेंगे जोन
जिले की म्यूनिसिपल सीमा या जिला मुख्यालय से आठ किमी की दूरी तक, जो भी अधिक हो - जोन-1
तहसील मुख्यालय से दो किमी तक की दूरी - जोन-2
इनके अलावा बाकी क्षेत्र - जोन-3
ऐसे तय होंगे गुणवत्ता अंक
दिव्यांग शिक्षकों के लिए दिव्यांगता के आधार पर 10 से 20 अंक
पति/पत्नी या बच्चों के अपंग होने या असाध्य रोग से ग्रस्त होने पर 10 अंक
राष्ट्रीय/राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों के लिए 10 अंक
विधवा/तलाकशुदा महिला शिक्षक के लिए 10 अंक
विधुर शिक्षक के लिए 10 अंक
महिला शिक्षक के लिए 10 अंक
जोन-3 में तैनात शिक्षको को प्रत्येक वर्ष की सेवा के लिए दो अंक और अधिकतम 10 अंक
जोन-2 में तैनात शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष की सेवा पर एक अंक, अधिकतम 10 अंक
शिक्षक की आयु के अनुसार प्रत्येक वर्ष के लिए एक अंक, अधिकतम 58 अंक।
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