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उत्तराखंड: अब डीएलएड करने पर ही रह सकेंगे शिक्षक: कक्षा एक से आठवीं तक के सभी शिक्षकों को करना होगा कोर्स

रामनगर : कक्षा एक से आठ तक सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजूकेशन (डीएलएड) करना अनिवार्य है।
जो भी विद्यालय इसकी अनदेखी करेंगे उनकी मान्यता रद्द होगी। परीक्षा कराने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) को सौंपी गई है।
शिक्षक एनआइओएस की वेबसाइट पर अपना पंजीकरण कराकर प्रशिक्षण की अग्रिम कार्रवाई कर सकते हैं। यह बात एनआइओएस के क्षेत्रीय निदेशक प्रदीप रावत ने कही। 1एमपीआइसी में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रलय का मानना है कि देश के भीतर एक से आठ तक के ऐसे 11 लाख शिक्षक हैं, जो प्रशिक्षित नहीं हैं। उत्तराखंड में यह संख्या करीब साढ़े दस हजार है। इसे देखते हुए भारत सरकार ने अब सरकारी, अशासकीय, मान्यता प्राप्त, प्राइवेट स्कूलों में कक्षा आठ तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए डीएलएड कराने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि डीएलएड प्रशिक्षण के लिए जिन शिक्षकों के इंटर में 50 फीसद नंबर नहीं है। उन्हें 50 फीसद नंबर प्राप्त करने के लिए एनआइओएस में कुछ विषयों में परीक्षा देने के लिए प्रवेश लेना होगा। 1उन्होंने बताया कि 31 अगस्त 2019 तक सभी शिक्षकों को डीएलएल का प्रशिक्षण लेना जरूरी है। इसके बाद शिक्षक कहीं भी नहीं पढ़ा सकेंगे। जो विद्यालय बिना डीएलएड किए शिक्षक को रखेगा, उसकी मान्यता रद होगी।पत्रकारों से वार्ता करते एनआइओएस के क्षेत्रीय निदेशक प्रदीप रावत ’ जागरण

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