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सीबीआइ कैंप कार्यालय पर मनाई जीत की खुशी, आयोग की याचिका खारिज होने पर जश्न में डूबे प्रतियोगी छात्र: साक्ष्य मिलने पर दर्ज होगी प्राथमिकी

इलाहाबाद: पहले तो सीबीआइ जांच शुरू होने की सफलता और अब हाईकोर्ट से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की याचिका खारिज होने की खुशी। प्रतियोगियों में दिन भर इसको लेकर जश्न का माहौल रहा।
सोशल मीडिया पर बधाइयों का सिलसिला चला तो इलाहाबाद के गोविंदपुर में स्थित सीबीआइ के कैंप कार्यालय पर अबीर गुलाल की होली खेल प्रतियोगी गले मिले। कैंप पर शिकायत करने पहुंचे लोगों को मिठाई खिलाकर खुशी बांटी गई।1प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय के नेतृत्व में कई प्रतियोगी पहले तो याचिका पर फैसला आने के समय हाईकोर्ट पहुंचे। वहां आयोग की याचिका खारिज होते ही कुछ अधिवक्ताओं के साथ खुशी मनाई। इसके बाद सीधे सीबीआइ के कैंप कार्यालय पहुंचे। उस समय कई प्रतियोगी छात्र अपनी शिकायतें लेकर सीबीआइ के पास पहुंचे थे। हालांकि सीबीआइ के एसपी राजीव रंजन इन दिनों इलाहाबाद में नहीं हैं। कैंप कार्यालय के बाहर प्रतियोगियों ने आयोग की याचिका खारिज होने को अपनी जीत और सच्चाई की जीत बताते हुए खुशी जाहिर की। कहा कि सीबीआइ को भर्तियों में भ्रष्टाचार के साक्ष्य मिलने का संदेश दूर तक गया है। इससे अब भर्तियों में ‘खेल’ करने वाले बच नहीं सकते। प्रतियोगियों ने वहीं पर अबीर गुलाल की होली खेली। सीबीआइ टीम के सदस्यों को भी होली त्योहार की बधाई दी और उन्हें गुलाल का तिलक लगाया। वहीं जो प्रतियोगी कैंप कार्यालय पर नहीं पहुंच सके उन्होंने सोशल मीडिया पर ही अपनी खुशी जाहिर की।
 इलाहाबाद : राज्य सरकार और सीबीआइ की तरफ से कहा गया कि भर्तियों में धांधली की शिकायत की प्रारंभिक जांच की जा रही है। साक्ष्य मिलने पर प्राथमिकी दर्ज कर सीबीआइ विवेचना करेगी। सरकार ने शिकायतों का गंभीरता से परीक्षण करने के बाद ही जांच का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के जांच का अधिकार, सीबीआइ जांच से प्रभावित नहीं होता। यदि परीक्षा में धांधली की शिकायत आती है तो सरकार को निष्पक्ष जांच कराने का अधिकार है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नंदन, सीबीआइ के अधिवक्ता व भारत सरकार के सहायक सॉलिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश, विनय कुमार सिंह, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल के अलावा जे एफ रिवेलो व अन्य पूर्व पुलिस/प्रशासनिक अधिकारियों के अधिवक्ता आलोक मिश्र ने बहस की। 1यह है पूरा मामला : मालूम हो कि राज्य सरकार ने आयोग की परीक्षाओं में धांधली की शिकायत के मद्देनजर सीबीआइ जांच कराने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार की संस्तुति पर केंद्र सरकार ने आयोग की ओर से एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक हुई सभी परीक्षाओं की सीबीआइ जांच की अधिसूचना जारी कर दी। अधिसूचना जारी होते ही आयोग के अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह यादव व सदस्यों ने 21 दिसंबर 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआइ जांच की वैधानिकता को चुनौती दी थी। 1याचियों का कहना था कि आयोग के खिलाफ राष्ट्रपति की संस्तुति पर सुप्रीम कोर्ट को ही जांच कराने का अधिकार है। अन्य एजेंसी को जांच का अधिकार नहीं है। याचिका में कहा गया कि सरकार को संवैधानिक संस्था की जांच कराने का अधिकार नहीं है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने वर्तमान अध्यक्ष व सदस्यों पूछताछ करने पर रोक लगा दी थी और सीबीआइ जांच को हरी झंडी दे दी थी।

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